UP में देवरिया के BJP विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को धमकी

सूची
  1. बीजेपी विधायक को मिली जान से मारने की धमकी
  2. क्या है इस मामले की पृष्ठभूमि?
  3. स्थानीय विवाद और सुरक्षा चिंताएँ
  4. धमकी भेजने वालों का पता लगाने की प्रक्रिया
  5. राजनीतिक संदर्भ और प्रतिक्रियाएँ
  6. निष्कर्ष में

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से हाल ही में आई एक घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को जान से मारने की मिली धमकी न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि यह उस राजनीति का भी एक हिस्सा है, जिसमें अक्सर ऐसे मुद्दे उठते हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी शामिल किया गया है, जो इस घटना की गंभीरता को और बढ़ाता है।

बीजेपी विधायक को मिली जान से मारने की धमकी

देवरिया से बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को ईमेल और सोशल मीडिया के माध्यम से जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी स्पष्ट रूप से कहती है कि विधायक को कई गोलियां मारी जाएंगी। केवल विधायक ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस धमकी में चेतावनी दी गई है।

पुलिस विभाग ने इस मामले की पुष्टि की है। देवरिया सदर थाने के SHO दुर्गेश कुमार सिंह ने बताया कि विधायक की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

क्या है इस मामले की पृष्ठभूमि?

इस घटना के पीछे की कहानी को समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने 25 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर देवरिया-गोरखपुर मार्ग पर एक रेलवे ओवरब्रिज के नीचे बनी मजार पर अवैध कब्जे की शिकायत की थी। विधायक का आरोप है कि मजार का दायरा अवैध रूप से बढ़ाया गया है, जिसमें बंजर जमीन, नाला और राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा शामिल कर लिया गया है।

मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत पर गृह विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने जिला प्रशासन और पुलिस को निर्देश दिए थे कि भूमि अभिलेखों की जांच करें और यदि कब्जा अवैध पाया जाए तो तुरंत अतिक्रमण हटाया जाए।

स्थानीय विवाद और सुरक्षा चिंताएँ

विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने यह सवाल उठाया कि बिना मानचित्र पास किए रेलवे ओवरब्रिज के बगल में निर्माण कैसे हो गया। यह ध्यान देने योग्य है कि 28 साल पहले इसी मजार की वैधता पर सवाल उठाने वाले आरएसएस प्रचारक रामनगीना यादव की हत्या कर दी गई थी।

विधायक का कहना है कि स्थानीय लोग डर के कारण इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाते हैं। इसके अलावा, हाल ही में इस स्थल पर बाहरी लोगों की संदिग्ध बैठकों की जानकारी भी मिली है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने मांग की कि लखनऊ से एक विशेष टीम भेजकर जमीन की मालिकाना हक और मजार की गतिविधियों की जांच की जाए।

धमकी भेजने वालों का पता लगाने की प्रक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण की जांच शुरू कर दी है और पुलिस तकनीकी जांच के जरिए धमकी भेजने वालों का पता लगाने में जुटी है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस स्थिति ने स्थानीय निवासियों के बीच डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है।

राजनीतिक संदर्भ और प्रतिक्रियाएँ

इस घटना ने राजनीतिक हलकों में चिंता पैदा कर दी है। विधायक की सुरक्षा को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना उस व्यापक समस्या का हिस्सा है, जिसमें राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हिंसा और धमकियाँ शामिल हैं।

कई राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि वह उचित सुरक्षा उपाय करें। कांग्रेस</strong और अन्य विपक्षी दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक असहमति को सहन नहीं कर पा रही है और इस तरह की धमकियों के जरिए अपने विरोधियों को चुप कराने की कोशिश कर रही है।

इस मामले में अधिक जानकारी के लिए आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें इस घटना की विस्तार से चर्चा की गई है:

निष्कर्ष में

विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को मिली धमकी न केवल उनके लिए बल्कि पूरे राजनीतिक माहौल के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इस घटना ने सभी के लिए यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक असहमति के चलते हिंसा और धमकियाँ एक बड़ा खतरा बन गई हैं। स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ इस घटना की गंभीरता को और बढ़ा देती हैं।

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