ओयो, अरबपति रितेश अग्रवाल द्वारा स्थापित एक प्रमुख ग्लोबल ट्रैवल टेक कंपनी, एक बार फिर अपने आईपीओ के लिए तैयार हो रही है। कंपनी ने हाल ही में संकेत दिया है कि वह नवंबर 2025 में नए दस्तावेज़ों के साथ सेबी (SEBI) के पास फाइलिंग करने का इरादा रखती है। इस कदम की योजना पिछले प्रयासों की तुलना में अधिक रणनीतिक और सुव्यवस्थित प्रतीत होती है।
ओयो का आईपीओ: इतिहास और वर्तमान स्थिति
ओयो ने पहले भी 2021 में आईपीओ के लिए दस्तावेज़ों को सेबी के पास जमा किया था, लेकिन बाजार की अनिश्चितताओं के कारण उसे यह प्रक्रिया वापस लेनी पड़ी थी। कोविड-19 महामारी ने उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसके चलते ओयो ने अपने आईपीओ को स्थगित करने का निर्णय लिया। अब, कंपनी फिर से अपने आईपीओ की दिशा में कदम बढ़ाने को तैयार है, जिससे निवेशकों और बाजार के सहभागियों के बीच उत्सुकता बढ़ गई है।
आईपीओ के लिए लक्ष्य और संभावनाएँ
ओयो का लक्ष्य अपने आईपीओ के जरिए लगभग 7-8 अरब डॉलर की वैल्यूएशन हासिल करना है। यह आंकड़ा कंपनी के भविष्य के विकास और व्यवसाय के विस्तार की संभावनाओं को दर्शाता है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, ओयो अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को सेबी के पास इस साल नवंबर में दाखिल करने की योजना बना रही है।
बोर्ड से मिली हरी झंडी
सूत्रों के अनुसार, कंपनी अगले सप्ताह अपने बोर्ड के सामने इस प्रस्ताव को पेश कर सकती है। हालांकि, ओयो के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है और निर्णय पूरी तरह से कंपनी के बोर्ड द्वारा लिया जाएगा। इसके अलावा, ओयो अपने हितधारकों के लिए मूल्य संवर्धन के लिए विभिन्न रणनीतियों का मूल्यांकन कर रही है।
पहले की फाइलिंग और चुनौतियाँ
ओयो की यह पहली बार नहीं है जब वह आईपीओ के लिए दस्तावेज़ों को सेबी के पास जमा करने का प्रयास कर रही है। 2021 में, ओयो ने 8,430 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए DRHP पेश किया था, लेकिन समय के साथ इस प्रक्रिया में कई बाधाएँ आईं, जिसके चलते इसे वापस ले लिया गया। इसके पीछे मुख्य कारण कोविड-19 का प्रभाव था। इसके बाद, 2023 में भी कंपनी ने आईपीओ लाने की कोशिश की, लेकिन फिर से दस्तावेज़ों को वापस लेने का निर्णय लिया।
साझेदारों की भूमिका और निवेश के अवसर
ओयो के सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक जापान का सॉफ्टबैंक है, जो कंपनी में 40% की हिस्सेदारी रखता है। इसके अलावा, ओयो के संस्थापक रितेश अग्रवाल के पास भी 30% हिस्सेदारी है। इस आईपीओ से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ओयो की वैल्यूएशन EBITDA के 25-30 गुना हो सकती है, जो संभावित निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर हो सकता है।
ब्रांड पहचान और नई रणनीतियाँ
ओयो अपने ब्रांड की पहचान को फिर से स्थापित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। कंपनी प्रीमियम होटलों और मिड-मार्केट से प्रीमियम सर्विस वाले होटलों के लिए एक नई ऐप लॉन्च करने की योजना बना रही है। इससे ग्राहकों को बेहतर सेवा और अनुभव प्रदान करने की उम्मीद है। ओयो के CEO रितेश अग्रवाल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ओयो के मूल इकाई ओरावेल स्टेज लिमिटेड के लिए नए नामों के सुझाव भी मांगे हैं।
नवीनतम अपडेट और भविष्य की योजनाएँ
ओयो का आईपीओ केवल कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम नहीं होगा, बल्कि यह पूरे ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत होगा। निवेशकों की रुचि और बाजार की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत देगी कि ओयो का भविष्य किस दिशा में जा सकता है। कंपनी के लिए यह अवसर है कि वह न केवल अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाए, बल्कि अपने ब्रांड को भी एक नई पहचान दे सके।
इसके अतिरिक्त, यदि आप ओयो के आईपीओ के बारे में और जानना चाहते हैं, तो आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जो इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है:
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ओयो के आईपीओ के विषय में और भी कई समाचार और अपडेट उपलब्ध हैं, जो इस कंपनी की रणनीतियों, योजनाओं और बाजार में उसकी स्थिति को दर्शाते हैं। कंपनी के आगे के कदम और निवेशकों की प्रतिक्रिया इस आईपीओ के सफल होने या न होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।




