मध्य प्रदेश की राजनीति में फिर से पुराने मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए हैं। यह विवाद सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह पार्टी के भीतर की अंतर्विरोधों को भी उजागर कर रहा है। आइए, हम इन घटनाक्रमों के पीछे के कारणों और उनके प्रभावों पर एक गहरी नज़र डालते हैं।
कमलनाथ और दिग्विजय का राजनीतिक इतिहास
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही मध्य प्रदेश की राजनीति के अनुभवी नेता हैं, जिनकी दोस्ती पिछले 45 वर्षों से अधिक पुरानी है। दोनों ने मिलकर कांग्रेस के लिए कई महत्वपूर्ण चुनावों में जीत हासिल की है, लेकिन राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलावों ने उनके रिश्ते में दरार डाल दी है।
2018 में कांग्रेस ने 15 साल के वनवास के बाद फिर से सत्ता में वापसी की थी। इस दौरान कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला, जबकि दिग्विजय सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक टिक नहीं पाया।
सिंधिया की बगावत और उसके परिणाम
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में अपनी बगावत के जरिए पार्टी के 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होकर कमलनाथ की सरकार का तख्तापलट कर दिया। यह घटना उस समय की सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल बन गई थी। सिंधिया को भाजपा में शामिल होने के लिए कई कारण बताए गए, जिनमें सत्ता की लालसा और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा शामिल थे।
कमलनाथ का कहना है कि सिंधिया की नाराजगी का मुख्य कारण यह था कि उन्हें लगा कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इस बगावत ने कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका दिया, जिससे उनकी सत्ता समाप्त हो गई।
दिग्विजय सिंह का खुलासा
हाल ही में, दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि सिंधिया और उन्होंने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से जुड़ी एक 'विशलिस्ट' तैयार की थी, जिस पर दोनों के हस्ताक्षर थे। यह सूची कमलनाथ को भेजी गई थी, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ। इस बात को लेकर दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ पर आरोप लगाया कि उनकी अनदेखी के कारण सरकार गिर गई।
सिंधिया की बगावत के बाद, दिग्विजय ने कहा कि समय समय पर दोनों नेताओं के बीच की नेतृत्व की लड़ाई ने पार्टी को कमजोर किया। इसपर कमलनाथ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने दिग्विजय के आरोपों का खंडन किया।
भाजपा का राजनीतिक तंज
भाजपा ने इस घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि ये दोनों नेता पहले भी लड़ते थे और आज भी लड़ रहे हैं। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के भीतर की कलह उनके लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
भाजपा ने इस मौके को भुनाते हुए कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को उजागर करने का प्रयास किया है। इस विवाद को लेकर भाजपा के नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस के नेता अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं और अपनी पार्टी की स्थिति को सुधारने के बजाय एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
सिंधिया का अतीत पर ध्यान न देने का बयान
सिंधिया ने हाल ही में इस विवाद के बारे में बात करते हुए स्पष्ट किया कि वे अतीत में नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा कि समय बीत चुका है और अब भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि वे अब अपने राजनीतिक करियर को नई दिशा में ले जाने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद, दिग्विजय और कमलनाथ के बीच की तकरार ने इस मुद्दे को फिर से गरम कर दिया है।
जनता की भूमिका और प्रतिक्रिया
राजनीतिक घटनाक्रमों में जनता की भूमिका अक्सर महत्वपूर्ण होती है। सिंधिया ने जनता के वादों को पूरा न कर पाने के लिए कमलनाथ पर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें समर्थन दिया था, लेकिन कमलनाथ ने उनकी आवाज़ को अनसुना कर दिया। इस प्रकार, जनता के आशीर्वाद ने सिंधिया को भाजपा में शामिल होने का अवसर दिया।
- सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थामा।
- कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की दोस्ती में दरार आ गई है।
- भाजपा ने इस मौके को अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया।
भविष्य की संभावनाएँ
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच का यह विवाद केवल एक व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मध्य प्रदेश के राजनीतिक भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। यदि दोनों नेता अपनी समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए और भी अधिक कठिनाई उत्पन्न कर सकता है।
कांग्रेस के अंदरूनी मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें एकजुट होना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो भाजपा इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार है।
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इस राजनीतिक विवाद के विभिन्न पहलुओं को और अधिक समझने के लिए आप इस वीडियो को देख सकते हैं:
इस प्रकार, मध्य प्रदेश की राजनीति में चल रहे ये घटनाक्रम न केवल वर्तमान समय में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आने वाले समय में भी इनके प्रभाव को समझना आवश्यक है।