MP महिला आयोग का अध्यक्ष पद 6 साल से खाली, 26 हजार केस पेंडिंग

सूची
  1. महिला आयोग का अध्यक्ष पद: वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
  2. मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध: एक गंभीर तस्वीर
  3. राज्य महिला आयोग की संरचना और अध्यक्ष पद का इतिहास
  4. महिला आयोग की अध्यक्ष पद की रिक्तता का प्रभाव
  5. सम्बंधित समाचार और आगे की कार्रवाई

मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष पद पिछले छह वर्षों से खाली पड़ा है, जिससे आयोग की कार्यक्षमता और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस स्थिति की गंभीरता को समझना आवश्यक है, क्योंकि इससे प्रभावित होने वाले मामलों की संख्या लगभग 26 हजार तक पहुंच गई है।

महिला आयोग का अध्यक्ष पद: वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ

मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग, जो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है, वर्तमान में अध्यक्ष के बिना कार्य कर रहा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब हम देखते हैं कि आयोग के पास लगभग 26 हजार मामले पेंडिंग हैं। यह संख्या उन महिलाओं की है जो न्याय की प्रतीक्षा कर रही हैं, और इस रिक्ति के कारण उनके मामलों में देरी हो रही है।

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री, निर्मला भूरिया ने इस मुद्दे पर कहा है कि यह मामला अदालत में लंबित है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस पद को भरने के लिए कदम उठाए जाएंगे। यह महत्वपूर्ण है कि महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान देने और निपटने के लिए एक सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है।

मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध: एक गंभीर तस्वीर

मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या इस राज्य की सामाजिक स्थिति को दर्शाती है। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत की गई जानकारी के अनुसार, 1 जनवरी, 2024 से 20 जून 2024 के बीच राज्य में बलात्कार के 10,840 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही 21,175 महिलाएं एक महीने से अधिक समय तक लापता रहीं।

  • हर दिन बलात्कार के लगभग 20 मामले दर्ज होते हैं।
  • महिलाओं के लापता होने के 38 मामले प्रति दिन सामने आते हैं।
  • राज्य में महिलाएं अक्सर शिकायत लेकर आती हैं, जिनका समाधान समय पर नहीं हो पा रहा है।

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में सरकार को अधिक गंभीरता से विचार करना होगा। बिना अध्यक्ष के, आयोग की सक्रियता और प्रभावशीलता में कमी आई है, जिससे महिलाओं के प्रति न्याय का तंत्र कमजोर हो गया है।

राज्य महिला आयोग की संरचना और अध्यक्ष पद का इतिहास

मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग एक सात सदस्यीय पैनल है, जिसमें छह सदस्य सरकार से बाहर के होते हैं और एक सदस्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी 2019 से रिक्त है, जब सागर की लोकसभा सदस्य लता वानखेड़े ने इस पद को छोड़ दिया था। इसके बाद, 16 मार्च 2020 को कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने शोभा ओझा को अध्यक्ष नियुक्त किया, लेकिन उनकी नियुक्ति केवल चार दिनों तक ही चली।

कमलनाथ सरकार गिरने के बाद, शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने शोभा ओझा की नियुक्ति रद्द कर दी। शोभा ओझा ने इस निर्णय के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन स्थिति अभी भी जस की तस है।

महिला आयोग की अध्यक्ष पद की रिक्तता का प्रभाव

महिला आयोग के अध्यक्ष पद की रिक्तता ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को जन्म दिया है। शोभा ओझा ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार महिलाओं के प्रति असंवेदनशील है, और यह रिक्तता इसकी पुष्टि करती है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आयोग की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न हो रही है, जिससे कई महिलाएं न्याय से वंचित रह जाती हैं।

  • रिक्त पद के कारण शिकायतों की सुनवाई में देरी हो रही है।
  • महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में कमी आई है।
  • समाज में सुरक्षा और न्याय का तंत्र कमजोर हुआ है।

राज्य मंत्री निर्मला भूरिया ने यह स्वीकार किया है कि आयोग के अध्यक्ष पद की रिक्तता से कई शिकायतें लंबित हैं। उनका यह भी कहना है कि यह स्थिति न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि समाज के लिए भी चिंताजनक है।

सम्बंधित समाचार और आगे की कार्रवाई

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष पद की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना बहुत आवश्यक है। सरकार को इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि महिलाओं के मामलों का समय पर निपटारा किया जा सके। इसके लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. अध्यक्ष पद को जल्द से जल्द भरना।
  2. आयोग की कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाना।
  3. महिलाओं के लिए सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाना।

राज्य में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर मीडिया और सामाजिक संगठनों को भी सक्रियता से काम करना चाहिए, ताकि महिलाओं की आवाज को सुना जा सके।

इस बीच, मध्य प्रदेश की स्थिति को समझने के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि हम समाज में जागरूकता फैलाएं और महिलाओं की समस्याओं पर चर्चा करें। इसके लिए, यह वीडियो भी देखें, जो इस विषय पर और अधिक प्रकाश डालता है:

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए सभी स्तरों पर प्रयास करने की आवश्यकता है। आयोग का अध्यक्ष जितनी जल्दी भरा जाएगा, उतनी ही जल्दी न्याय की प्रक्रिया में सुधार होगा।

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