UGC का नया फैसला: मनोविज्ञान-पोषण सहित ऑनलाइन कोर्स की मान्यता समाप्त

सूची
  1. यूजीसी का नया आदेश: ऑनलाइन पढ़ाई पर प्रतिबंध
  2. निर्णय के पीछे के कारण
  3. पहले से लागू प्रतिबंध
  4. भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर
  5. यूजीसी का स्पष्ट निर्देश
  6. छात्रों और शिक्षकों पर प्रभाव
  7. सम्बंधित खबरें

भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जिससे कई अध्ययन कार्यक्रमों की ऑनलाइन पढ़ाई पर प्रतिबंध लग गया है। यह निर्णय छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए कई नई चुनौतियाँ और अवसर लाएगा। आइए इस फैसले के पीछे के कारण, प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं पर एक नजर डालते हैं।

यूजीसी का नया आदेश: ऑनलाइन पढ़ाई पर प्रतिबंध

हाल ही में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसमें मनोविज्ञान (Psychology), पोषण (Nutrition) और स्वास्थ्य सेवा (Health Care) से संबंधित पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा (ODL) के माध्यम से पढ़ाने की अनुमति नहीं देने की घोषणा की गई है। यह फैसला जुलाई-अगस्त 2025 से प्रभावी होगा, और इसके तहत विश्वविद्यालय और कॉलेज इन विषयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं कर पाएंगे।

प्रतिबंधित पाठ्यक्रमों की सूची:

  • मनोविज्ञान (Psychology)
  • पोषण और आहार विज्ञान (Nutrition, Dietetics, Food Science)
  • सूक्ष्म जीव विज्ञान (Microbiology)
  • जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology)
  • स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अन्य पाठ्यक्रम

निर्णय के पीछे के कारण

यह निर्णय व्यावसायिक और व्यवहारिक शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, मनोविज्ञान, पोषण, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में प्रैक्टिकल ज्ञान हासिल करना अत्यंत आवश्यक है। केवल ऑनलाइन पढ़ाई से छात्रों को पर्याप्त व्यावहारिक अनुभव नहीं मिल पाता, जो कि इस प्रकार के पाठ्यक्रमों के लिए अनिवार्य है।

यूजीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है कि शिक्षण संस्थान छात्रों को उच्चतम स्तर की व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें। अध्ययन के लिए आवश्यक प्रैक्टिकल गतिविधियों को कक्षाओं में ही संचालित किया जाए, ताकि छात्रों को वास्तविक जीवन के अनुभव मिल सकें।

पहले से लागू प्रतिबंध

यह ध्यान देने योग्य है कि कुछ कोर्स पहले से ही ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से नहीं पढ़ाए जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

  • इंजीनियरिंग
  • मेडिकल
  • नर्सिंग
  • फार्मेसी
  • आर्किटेक्चर
  • लॉ
  • होटल प्रबंधन

इससे यह स्पष्ट होता है कि उच्च शिक्षा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

इस आदेश के परिणामस्वरूप, हजारों छात्र जो इन पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त करने की योजना बना रहे थे, अब उन्हें कॉलेज या विश्वविद्यालय जाकर पढ़ाई करनी होगी। यह परिवर्तन छात्रों के लिए एक नई चुनौती पेश करता है, लेकिन इसके साथ ही यह अवसर भी प्रदान करता है कि वे अपने अध्ययन के दौरान ज्यादा व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।

इसके अलावा, शिक्षण संस्थानों के लिए यह एक अवसर है कि वे अपनी पाठ्यक्रमों को और भी मजबूत बनाएं और छात्रों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करें। क्लासरूम शिक्षा में अधिक संसाधनों और प्रयोगशालाओं की उपलब्धता से छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

यूजीसी का स्पष्ट निर्देश

यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने इस फैसले के दायरे को स्पष्ट करते हुए बताया कि किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान को जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन मोड के तहत एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल किसी भी पाठ्यक्रम की पेशकश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि पहले से दिए गए किसी भी मान्यता को वापस ले लिया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बनी रहे। यह आदेश केवल उन पाठ्यक्रमों पर लागू होगा जो स्वास्थ्य सेवा से जुड़े हैं और जिन्हें व्यावहारिक अनुभव की आवश्यकता होती है।

छात्रों और शिक्षकों पर प्रभाव

इस निर्णय का छात्रों और शिक्षकों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। छात्रों को अब क्लासरूम में जाकर पढ़ाई करनी होगी, जो उनके लिए एक नया अनुभव होगा। वहीं, शिक्षकों को भी अपनी शिक्षण विधियों को अनुकूलित करना पड़ेगा ताकि वे छात्रों को बेहतर तरीके से मार्गदर्शन कर सकें।

शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे छात्रों को आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान करें, ताकि वे इस बदलाव को सहजता से स्वीकार कर सकें।

इस बीच, ये बदलाव शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चुनौती भी हैं, क्योंकि उन्हें अपनी पाठ्यक्रम संरचना और शिक्षण विधियों को फिर से परिभाषित करना होगा।

सम्बंधित खबरें

इस विषय पर और जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें यूजीसी के इस फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

इस प्रकार, यूजीसी का यह निर्णय उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के प्रति एक सकारात्मक कदम है, जो छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने में मदद करेगा।

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