असम राज्य में नशे का कारोबार एक गंभीर समस्या बन चुका है, और इसके खिलाफ पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है। हाल ही में, असम पुलिस ने तीन बड़े ऑपरेशनों में 7 करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य की प्रतिबंधित दवाओं को जब्त किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।
असम में ड्रग्स के खिलाफ पुलिस की सक्रियता
असम पुलिस, विशेषकर राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में, नशे के खिलाफ एक विस्तृत अभियान चला रही है। हाल ही में हुए तीन ऑपरेशनों में, पुलिस ने लाखों की नशीली गोलियां और अन्य मादक पदार्थों को जब्त किया। ये ऑपरेशन विभिन्न जिलों में किए गए थे, जिसमें श्रीभूमि और कार्बी आंगलोंग शामिल हैं।
सीएम सरमा ने जानकारी दी कि इन छापों के दौरान पुलिस ने कुल 20,000 याबा टैबलेट बरामद किए, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 3 करोड़ रुपए से ज्यादा है। याबा टैबलेट, जो मेथैम्फेटामाइन का मिश्रण है, भारत में पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।
याबा टैबलेट: एक खतरनाक नशा
याबा टैबलेट का सेवन न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह कानूनी दृष्टि से भी अपराध है। भारत में, इस पदार्थ को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेस एक्ट के तहत अनुसूची-2 में रखा गया है। इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
- याबा टैबलेट में मेथैम्फेटामाइन होता है, जो एक शक्तिशाली उत्तेजक है।
- यह मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
- उपयोगकर्ता के लिए यह उच्च स्तर की निर्भरता पैदा कर सकता है।
- बाजार में इसकी मांग और आपूर्ति के चलते, यह एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है।
ऑपरेशनों की विस्तृत जानकारी
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इन छापों की जानकारी साझा की, जिसमें बताया गया कि पुलिस ने दो अलग-अलग ऑपरेशनों में करीब 20,000 याबा टैबलेट जब्त कीं। इसके अतिरिक्त, कार्बी आंगलोंग में एक तस्कर को 4.1 किलो मॉर्फीन के साथ गिरफ्तार किया गया, जिसकी कीमत 4 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है।
इन ऑपरेशनों में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों से पुलिस पूछताछ कर रही है, ताकि नशे के नेटवर्क को तोड़ा जा सके। मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में स्पष्ट किया कि राज्य में नशे के कारोबारियों के लिए कोई जगह नहीं है।
असम में नशे के नेटवर्क को तोड़ने के प्रयास
असम पुलिस और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) लगातार नशे के कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सरमा ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर सख्त है और नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इन कार्रवाइयों के तहत पुलिस ने कई संदिग्ध तस्करों को गिरफ्तार किया है, जो नशे के कारोबार में शामिल थे। यह अभियान न केवल असम में, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत में नशे की समस्या को कम करने में मदद करेगा।
असम में ड्रग्स से संबंधित कुछ आंकड़े
असम में नशे के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े दिए गए हैं:
- हाल के वर्षों में, नशे के मामलों में 30% की वृद्धि हुई है।
- याबा टैबलेट की तस्करी में असम एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
- पुलिस ने पिछले साल में ही 5 करोड़ से अधिक की नशीली दवाएँ जब्त की थीं।
समुदाय की भूमिका और जागरूकता
नशे के खिलाफ लड़ाई में केवल पुलिस की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है; समुदाय की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से, स्थानीय निवासियों को नशे की हानियों और उसके दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।
समुदाय की भागीदारी को बढ़ाने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्कूलों और कॉलेजों में नशे के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
- स्थानीय समुदाय में नशे के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित करना।
- स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से उपचार और पुनर्वास कार्यक्रम स्थापित करना।
मीडिया का महत्व और सूचना का प्रसार
मीडिया, विशेषकर सोशल मीडिया, नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। असम के मुख्यमंत्री ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपने अभियानों के बारे में अपडेट साझा किए हैं।
एक हालिया वीडियो में असम पुलिस द्वारा किए गए ऑपरेशनों को दर्शाया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे पुलिस ने 2.70 लाख याबा गोलियाँ जब्त की हैं। यह वीडियो इस मुद्दे के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है:
असम में नशे के खिलाफ जारी इस अभियान ने यह साबित किया है कि जब सरकार, पुलिस और समुदाय एक साथ आते हैं, तो वे नशे के कारोबार को खत्म करने में सफल हो सकते हैं।