भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनकर उभरा है सुदर्शन चक्र। यह एक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया है, बल्कि यह देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इस प्रणाली के विकास में कई तकनीकी नवाचारों का समावेश किया गया है, जो भविष्य की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अनिवार्य हैं।
भारत का सुदर्शन चक्र: एक नई वायु रक्षा प्रणाली
सुदर्शन चक्र एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित किया गया है। इसका नाम भारतीय पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के प्रसिद्ध शस्त्र 'सुदर्शन चक्र' से लिया गया है, जो दुश्मनों को पराजित करने का प्रतीक है। यह प्रणाली भारत को हवाई हमलों, मिसाइलों और ड्रोन से सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन की गई है।
सुदर्शन चक्र की तकनीकी विशेषताएं
सुदर्शन चक्र की तकनीकी विशेषताएं इसे अन्य वायु रक्षा प्रणालियों से अलग बनाती हैं। इसमें शामिल हैं:
- रेंज: यह प्रणाली 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
- ऊँचाई: सुदर्शन चक्र 150 किलोमीटर तक हवा में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है।
- प्रौद्योगिकी: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम का उपयोग किया गया है, जिससे यह सटीक निशाना लगाता है।
- गति: यह प्रणाली 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से मिसाइल दागने में सक्षम है।
- संरचना: यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम है, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल हैं।
- लक्ष्य: इसका मुख्य उद्देश्य बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल, और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करना है।
- तैनाती: इसे 2026 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है, और इसकी अनुमानित लागत लगभग 50,000 करोड़ रुपये है।
आईएडीडब्ल्यूएस: एक नई सुरक्षा प्रणाली
23 अगस्त 2025 को, डीआरडीओ ने ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का सफल परीक्षण किया। यह एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया गया है। इस प्रणाली में शामिल हैं:
- क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM): यह हवाई हमलों को रोकने में सक्षम एक तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली मिसाइल है।
- एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS): यह छोटी दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जो नजदीकी खतरों को नष्ट करने के लिए बनाई गई है।
- हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW): यह एक अत्याधुनिक लेजर हथियार है, जो दुश्मन के हवाई हमलों को बेअसर करने में सक्षम है।
यह प्रणाली मिलकर एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाती है, जो देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को हवाई खतरों से बचाने में मदद करेगी।
सुदर्शन चक्र का विकास और परीक्षण
सुदर्शन चक्र का विकास भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मेहनत का नतीजा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस प्रणाली की घोषणा की थी और इसके अनुसंधान, विकास और निर्माण को भारत में ही करने का आश्वासन दिया था। इस प्रणाली के पीछे की सोच केवल सुरक्षा नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता को भी दर्शाती है।
इस प्रणाली का पहला परीक्षण IADWS के तहत सफलतापूर्वक किया गया था, जो भारत की वायु रक्षा क्षमताओं में एक नया आयाम जोड़ता है।
सुदर्शन चक्र की विशेषताएं और क्षमताएं
इस प्रणाली में कई विशेषताएं शामिल हैं, जो इसे एक अनूठा एयर डिफेंस सिस्टम बनाती हैं:
- सटीकता: इसमें AI और लेजर-गाइडेड सिस्टम का उपयोग होता है, जिससे यह लक्ष्य को सटीकता से भेदने में सक्षम है।
- हाई स्पीड: यह प्रणाली 5 किमी/सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकती है।
- क्विक रिस्पांस: QRSAM प्रणाली तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली होती है, जो हवाई खतरों को तुरंत नष्ट कर सकती है।
सुदर्शन चक्र न केवल देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भारतीय रक्षा उद्योग को भी मजबूत करेगा।
सुधार के लिए भविष्य की योजनाएँ
प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रणाली के विकास को 2035 तक विस्तारित करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य इसे और अधिक मजबूत और आधुनिक बनाना है। इसके लिए अनुसंधान और विकास के कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा।
इस प्रणाली का उद्देश्य भारतीय नागरिकों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को दुश्मन के हमलों से सुरक्षित रखना है। यह एक बहु-स्तरीय सुरक्षा ढांचा होगा, जिसमें उन्नत निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा उपाय शामिल होंगे।
सुदर्शन चक्र के परीक्षण की सफलता
डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को इस सफल परीक्षण के लिए बधाई दी गई है। यह परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमता को और मजबूत करता है। IADWS का यह पहला परीक्षण 'सुदर्शन चक्र' की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को हवाई खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।
इस प्रणाली के परीक्षण और विकास से भारत की रक्षा क्षमता में एक नई जान आ गई है और यह देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने में सहायक साबित होगा।
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