भारत की स्थायी कूटनीति और वैश्विक दबदबा निरंतर बढ़ता जा रहा है। हाल ही के घटनाक्रमों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत, अमेरिका के साथ व्यापार तनाव के बीच, अपने मित्र देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस माहौल में, भारत में महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों का आगाज हो रहा है, जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की संभावित यात्रा शामिल है।
भारत और रूस की मित्रता: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और रूस के बीच संबंध सदियों पुरानी मित्रता पर आधारित हैं। जब भी अमेरिका ने भारत पर दबाव डालने की कोशिश की, रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है। यह मित्रता न केवल कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में भी मजबूत है। रूस ने भारत को हमेशा अपने समर्थक के रूप में देखा है, विशेष रूप से उस समय जब भारत ने तटस्थता की नीति अपनाई है।
- रक्षा सहयोग: भारत और रूस के बीच अनेक रक्षा समझौते हैं, जो दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूत करते हैं।
- ऊर्जा साझेदारी: भारत ने रूस से तेल और गैस खरीदने में लगातार बढ़ोतरी की है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।
- विकास परियोजनाएं: रूस ने भारत में कई विकास परियोजनाओं में योगदान दिया है, जैसे कि नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र।
यूक्रेन के साथ भारत के संबंध: संतुलन का खेल
भारत ने यूक्रेन के साथ भी संतुलित संबंध बनाए रखे हैं। यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में कुतुब मीनार को यूक्रेनी झंडे के रंगों से सजाना इस बात का प्रमाण है कि भारत यूक्रेन की स्वतंत्रता का सम्मान करता है।
यूक्रेन के राजदूत ने हाल ही में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया है। यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
पुतिन का संभावित दौरा: एक नया अध्याय
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जताई है। विशेष रूप से, ट्रंप प्रशासन ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसे भारत ने 'तर्कहीन' करार दिया है।
पुतिन का यह दौरा भारत-रूस संबंधों को और भी प्रगाढ़ करने का अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह संकेत भी देता है कि भारत अपनी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।
भारत की स्थिति: अमेरिका के खिलाफ मजबूती
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी संभावित व्यापार समझौते में अपनी शर्तों से पीछे नहीं हटेगा। उनके अनुसार, सरकार किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
- व्यापार और टैरिफ: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में तीन प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
- रूस से कच्चे तेल की खरीद: यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर भारत का ध्यान है।
- पाकिस्तान से संबंधित मुद्दे: अमेरिका का दखल इस मामले में भारत के लिए चिंताजनक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की अनोखी शैली
जयशंकर ने राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति की शैली को पहले के राष्ट्रपति से अलग बताया है। उन्होंने कहा है कि यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इसे महसूस कर रही है।
इस प्रकार, भारत अपनी विदेश नीति को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है, जिसमें रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संबंधों को संतुलित रखना महत्वपूर्ण है।
भारत के बढ़ते वैश्विक दबदबे के संकेत
भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर देखा गया है, जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी आवाज को बुलंद किया है।
भारत का यह बदलाव केवल कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापार, रक्षा और तकनीकी सहयोग में भी देखा जा सकता है।
इस संदर्भ में, एक वीडियो जिसमें वैश्विक राजनीति पर चर्चा की गई है, देखना उपयोगी हो सकता है:
अंततः, भारत का यह मार्गदर्शन इस बात का प्रमाण है कि वह अपने मित्रों के साथ खड़ा रहेगा और वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तत्पर है।