बार-बार वोटिंग से थकान, पीयूष गोयल का वन नेशन-वन इलेक्शन पर जोर

सूची
  1. एकीकृत चुनावी ढांचे की आवश्यकता
  2. चुनावों के प्रभाव पर विचार
  3. स्थानीय निकायों का महत्व
  4. वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव
  5. विपक्ष की चिंताएं
  6. प्रधानमंत्री की आर्थिक दृष्टि
  7. बिहार में मतदाता सूची के संशोधन पर चर्चा

भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनाव एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, लेकिन बार-बार चुनाव होना मतदाता और प्रशासन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने हाल ही में इस मुद्दे पर जोर दिया है, जिससे देश की राजनीति और चुनावी प्रक्रिया में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है।

एकीकृत चुनावी ढांचे की आवश्यकता

केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने शनिवार को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (One Nation, One Election) की अवधारणा को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना है कि विभिन्न राज्यों में चुनावों का बार-बार होना मतदाता को थका देता है। यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो यह न केवल मतदाता सहभागिता को बढ़ाएगा, बल्कि शासन में सुधार और प्रशासनिक खर्च में कमी लाने में भी मदद करेगा।

गोयल ने कहा, “लोग वोटिंग से थक जाते हैं, बार-बार वोट डालने से ऊब जाते हैं।” यह समस्या केवल मतदाताओं की नहीं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की भी है, जो चुनावों के कारण प्रभावित होता है। अलग-अलग समय पर चुनाव होने से शासन का कार्य बाधित होता है, जिससे विकास की गति धीमी पड़ जाती है।

चुनावों के प्रभाव पर विचार

जब आदर्श आचार संहिता लागू होती है, तो प्रशासनिक कार्य पूरी तरह से ठप हो जाता है। गोयल ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा का उदाहरण दिया, जहां चुनाव एक साथ होते हैं और वहां मतदान प्रतिशत अधिक रहता है। यह इस बात का संकेत है कि यदि चुनावों का समय एकीकृत किया जाए, तो मतदाता अधिक सक्रिय हो सकते हैं।

स्थानीय निकायों का महत्व

पीयूष गोयल ने स्थानीय निकायों से सर्वभारतव्यापी एक्शन कमेटियां बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हमें प्रयास करना चाहिए कि जिला से राज्य स्तर तक संगठन मिलकर एक अखिल भारतीय एक्शन कमेटी बनाएं।” इससे ना केवल चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सकेगा, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ेगी।

  • सामूहिक जिम्मेदारी का महत्व
  • जाति और भाषा के विभाजन से ऊपर उठना
  • स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देना

गोयल ने उद्योग जगत के नेताओं से भी इस दिशा में सामूहिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की। उनके अनुसार, यदि कारोबारी समुदाय 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर मन बना लेता है, तो यह अभियान भारत के हर दिल तक पहुंच सकता है।

वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव

यह प्रस्ताव लोकसभा और सभी राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनावों की बार-बार होने वाली प्रक्रिया में कमी लाना, प्रशासनिक खर्च को कम करना और आचार संहिता लागू होने से होने वाली बाधाओं को समाप्त करना है।

हालांकि, इस प्रणाली को लागू करने के लिए व्यापक बदलावों की आवश्यकता होगी। अनुमान है कि लगभग 18 कानूनों में संशोधन करना होगा, जिनमें 15 संवैधानिक संशोधन शामिल हैं। ये संशोधन विधानसभा की अवधि और भंग करने के नियम, परिसीमन, राष्ट्रपति शासन और चुनाव आयोग की शक्तियों से जुड़े अनुच्छेदों को प्रभावित करेंगे।

विपक्ष की चिंताएं

जहां भाजपा इसे लागत बचाने और शासन में सुधार का रास्ता बताती है, वहीं विपक्षी दल इसे तानाशाही और असंवैधानिक करार दे चुके हैं। विपक्ष का कहना है कि यह राज्यों की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। इसके अलावा, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया की विविधता को नुकसान पहुंच सकता है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक दृष्टि

गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक दृष्टि का भी उल्लेख किया। उनका कहना है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' जैसे राष्ट्रीय अभियानों को और मजबूती देता है। यह न केवल चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाएगा, बल्कि आर्थिक विकास की गति को भी तेज करेगा।

बिहार में मतदाता सूची के संशोधन पर चर्चा

पीयूष गोयल ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) की चुनाव आयोग की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह गैर-नागरिक घुसपैठियों से चुनावी प्रक्रिया की रक्षा करने और साथ ही किसी भी पात्र मतदाता को वंचित न करने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि सभी योग्य मतदाता सही समय पर मतदान प्रक्रिया में भाग लें। इससे लोकतंत्र की मजबूती में भी सहायता मिलेगी।

इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए, यहां एक वीडियो है जिसमें पीयूष गोयल ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर विस्तार से बात की है:

इन सब बातों से स्पष्ट है कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को सुधारने के लिए एकीकृत चुनावों की आवश्यकता है। इससे न केवल मतदाता की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी सुगमता आएगी।

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