राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025: PSLV से गगनयान तक भारत की सफलता

सूची
  1. राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्व
  2. इसरो की प्रमुख उपलब्धियां
  3. चंद्रयान मिशन: चंद्रमा की खोज
  4. गगनयान: भारत का पहला मानव मिशन
  5. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)
  6. 2025 का समारोह: क्या था खास?
  7. इसरो की भविष्य की योजनाएं
  8. चुनौतियां और अवसर

23 अगस्त 2025 को भारत ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) का आयोजन किया, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की महान उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक चंद्रमा लैंडिंग की दूसरी वर्षगांठ को भी चिह्नित करता है। इस दिन ने भारत को दुनिया के पहले देश के रूप में मान्यता दिलाई, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा।

इस साल का समारोह नई दिल्ली के भारत मंडपम में 22 और 23 अगस्त को आयोजित किया गया, जहां ISRO ने अपनी पिछले वर्षों की उपलब्धियों और भविष्य के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों को प्रदर्शित किया। यहाँ PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) तक, भारत की अंतरिक्ष यात्रा का गर्व और उत्साह देखने को मिला।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्व

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि यह भारत की अंतरिक्ष क्षमता का प्रतीक बन गई। इस क्षेत्र में पहले कोई देश नहीं गया था, जिससे भारत चौथा ऐसा देश बन गया, जिसने चंद्रमा पर कदम रखा।

इस वर्ष का समारोह विशेष था क्योंकि ISRO ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पहली बार पेश किया। इस अवसर पर हजारों छात्र और युवा उपस्थित थे, जिन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों से बातचीत की और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति अपनी जिज्ञासा को बढ़ाया।

— ISRO (@isro) August 22, 2025

इसरो की प्रमुख उपलब्धियां

ISRO ने पिछले कुछ दशकों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर नजर डालते हैं:

  • PSLV: भारत का सबसे भरोसेमंद रॉकेट, जिसने 1993 से अब तक 50 से ज्यादा सफल मिशन पूरे किए हैं।
  • चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज की।
  • मंगलयान (2013): भारत का पहला मंगल मिशन, जो अपनी पहली कोशिश में ही सफल रहा।
  • 104 उपग्रहों का लॉन्च (2017): PSLV ने एक साथ 108 उपग्रह लॉन्च करके विश्व रिकॉर्ड बनाया।

PSLV ने भारत को नेविगेशन (IRNSS), संचार (GSAT) और पृथ्वी अवलोकन (कार्टोसैट) जैसे उपग्रहों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है।

चंद्रयान मिशन: चंद्रमा की खोज

चंद्रयान मिशन ने भारत को चंद्रमा की खोज में एक प्रमुख भूमिका निभाने में मदद की है:

  • चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की।
  • चंद्रयान-2 (2019): लैंडर के क्रैश के बावजूद, ऑर्बिटर अभी भी महत्वपूर्ण डेटा भेज रहा है।
  • चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की, जिससे भारत का नाम रोशन हुआ।

गगनयान: भारत का पहला मानव मिशन

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे 2026 में लॉन्च करने की योजना है। इस मिशन के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर ऊपर लो अर्थ ऑर्बिट में 3-7 दिन बिताएंगे।

  • LVM-3 रॉकेट: इसे लॉन्च करने के लिए भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट इस्तेमाल होगा।
  • चालक दल: चार वायुसेना पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं।
  • स्वदेशी तकनीक: गगनयान में क्रायोजेनिक इंजन, हीट शील्ड और लाइफ सपोर्ट सिस्टम भारत में बने हैं।

इसरो ने 2024 में गगनयान के मानवरहित मिशन और पैड अबॉर्ट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे किए, जो इसकी तैयारी का हिस्सा हैं।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)

ISRO ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया। BAS-01 मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगा और 2035 तक पूरा स्टेशन तैयार हो जाएगा।

  • वजन: 10 टन, ऊंचाई: 450 किमी।
  • स्वदेशी तकनीक: भारत डॉकिंग सिस्टम, बर्थिंग मैकेनिज्म और ECLSS (पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षा प्रणाली) विकसित कर रहा है।
  • उद्देश्य: माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान, अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरग्रहीय मिशनों की तैयारी।

BAS भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में लाएगा, जो अपने अंतरिक्ष स्टेशन चला रहे हैं।

2025 का समारोह: क्या था खास?

22-23 अगस्त 2025 को भारत मंडपम में हुए समारोह में कई खास बातें देखने को मिलीं:

  • BAS मॉडल: 3.8 मीटर x 8 मीटर का BAS-01 मॉडल मुख्य आकर्षण रहा।
  • प्रदर्शनियां: चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान के मॉडल दर्शकों के सामने रखे गए।
  • छात्रों का उत्साह: हजारों छात्रों ने इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात की और अंतरिक्ष विज्ञान को समझने का प्रयास किया।

इसरो की भविष्य की योजनाएं

ISRO का लक्ष्य 2047 तक भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाना है। इसके लिए कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:

  • शुक्रयान (2025): शुक्र ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन।
  • चंद्रयान-4 (2028): चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाना।
  • BAS (2035): पांच मॉड्यूल वाला अंतरिक्ष स्टेशन।
  • मंगल पर मानव मिशन: 2035 के बाद मंगल पर मानव भेजने की योजना।
  • अंतरिक्ष पर्यटन: BAS के जरिए भारत अंतरिक्ष पर्यटन के बाजार में प्रवेश करेगा।
  • निजी क्षेत्र: Skyroot, Agnikul Cosmos और Tata Advanced Systems जैसे स्टार्टअप्स ISRO के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

चुनौतियां और अवसर

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में कई चुनौतियां और अवसर सामने हैं:

  • चुनौतियां: अंतरिक्ष मिशनों की उच्च लागत (BAS की लागत 20,000 करोड़ रुपये), स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्ष कचरा) और तकनीकी जटिलता बड़ी चुनौतियां हैं।
  • अवसर: ISRO की सफलताएं मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही हैं। HAL, BEL और निजी कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे रही हैं, जिससे रोजगार और नवाचार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

इसरो की निरंतर प्रगति और महत्वाकांक्षी योजनाएं भारत को वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर कर रही हैं।

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