बिहार के राजनीति में हाल के घटनाक्रम ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है। बिहार विधानसभा चुनाव के तहत विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने एक घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें अनेक लोकलुभावन वादों का उल्लेख किया गया है। इस घोषणापत्र का अंदाज कुछ ऐसा है कि यह न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।
इस घोषणापत्र में ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने का वादा एक ऐसा मुद्दा है, जो पिछले कई वर्षों से बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। यह कदम राज्य के गरीब और दलित वर्ग के लोगों के लिए रोजगार सृजन का एक संभावित माध्यम हो सकता है।
बिहार के महागठबंधन का घोषणापत्र
विपक्षी गठबंधन INDIA ने मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी करते हुए बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट की समीक्षा करने का वादा किया। इस घोषणापत्र का शीर्षक है ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’, जिसमें 32 पृष्ठों में कई महत्वपूर्ण वादे शामिल हैं। इनमें से कुछ उल्लेखनीय वादे इस प्रकार हैं:
- हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली
- 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली की व्यवस्था
इन वादों के माध्यम से महागठबंधन ने बिहार की जनता को एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है, जो उनकी भलाई और आर्थिक समृद्धि से जुड़ा हुआ है।
ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने का वादा
घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट की समीक्षा की जाएगी और ताड़ी पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जाएगा। यह कदम उन लोगों के लिए राहत का संकेत है, जो ताड़ी के पारंपरिक व्यवसाय पर निर्भर हैं।
तेजस्वी यादव, आरजेडी नेता और INDIA ब्लॉक के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार, ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा:
"जो समुदाय पीढ़ियों से ताड़ी के धंधे से जुड़ा है, उसके पास न खेती की जमीन है और न ही कोई दूसरा रोजगार। ऐसे में यह प्रतिबंध अन्यायपूर्ण है और इसे हटाना जरूरी है।"
इस वादे का लक्ष्य उन परिवारों को पुनर्जीवित करना है, जो ताड़ी के व्यवसाय पर निर्भर हैं और इसके जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं।
गरीब वर्ग के लोगों की स्थिति
बिहार में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी कानून के तहत ताड़ी की बिक्री और सेवन पर रोक लगा दी गई थी। इस कानून के लागू होने के बाद से कई गरीब और दलित वर्ग के लोग जेलों में बंद हैं।
इस संदर्भ में वाम दलों के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने हाल ही में इस कानून को "ढोंग" करार दिया। उनका कहना है कि अगर INDIA ब्लॉक सत्ता में आता है, तो इस कानून की "गंभीर समीक्षा" की जाएगी।
समाज पर प्रभाव
ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने का कदम न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक नई उम्मीद भी जगा सकता है। इससे निम्नलिखित संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
- रोजगार सृजन: ताड़ी के व्यवसाय को कानूनी मान्यता मिल जाने से अनेक लोगों को रोजगार मिल सकता है।
- सामाजिक न्याय: ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने से उन समुदायों को न्याय मिलेगा, जो इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
- आर्थिकी में सुधार: ताड़ी के व्यवसाय को फिर से शुरू करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार आ सकता है।
चुनावी रणनीति और भविष्य की संभावनाएं
महागठबंधन का यह घोषणापत्र न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक कदम भी है। चुनावी मौसम में ऐसे वादों का महत्व बढ़ जाता है, क्योंकि यह जनमत को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
बिहार के आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन के ये वादे कितने प्रभावी होते हैं और क्या वे जनता के बीच अपनी छाप छोड़ने में सफल होते हैं या नहीं।
इस संदर्भ में एक वीडियो भी है, जिसमें तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के घोषणापत्र के बारे में विस्तार से चर्चा की है। इसे देखना आपको इस विषय में और अधिक जानकारी प्रदान करेगा:
अंततः, बिहार विधानसभा चुनाव के इस चरण में महागठबंधन के घोषणापत्र ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
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