भारत अमेरिका के बीच 87 अरब की डिफेंस डील और टैरिफ मुद्दा

सूची
  1. भारत और अमेरिका के बीच 97 LCA तेजस विमानों के लिए रक्षा सौदा
  2. भारत का रक्षा क्षेत्र और LCA प्रोजेक्ट
  3. डिलीवरी की समयसीमा
  4. भविष्य की संभावनाएँ
  5. अमेरिका के साथ रिश्तों में टैरिफ का असर
  6. निष्कर्ष की आवश्यकता नहीं

भारत और अमेरिका के बीच की रक्षा सहयोग की कहानी दिलचस्प और महत्वपूर्ण है, जो न केवल दोनों देशों के सैन्य संबंधों को प्रदर्शित करती है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा समीकरणों पर भी प्रभाव डालती है। हाल ही में, दोनों देशों के बीच एक बड़ा रक्षा सौदा अंतिम चरण में है, जो भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को और मजबूत करेगा।

भारत और अमेरिका के बीच 97 LCA तेजस विमानों के लिए रक्षा सौदा

भारत और अमेरिका के बीच 97 LCA मार्क 1ए तेजस विमानों के लिए 113 GE-404 इंजन खरीदने पर लगभग 1 अरब डॉलर का रक्षा सौदा अंतिम चरण में है। यह समझौता सितंबर 2025 तक फाइनल हो सकता है और भारत की स्वदेशी LCA परियोजना के लिए इंजन की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इस समझौते से भारतीय वायुसेना को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त होगी, जिससे उसकी युद्धक क्षमताएं और बेहतर होंगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ के बावजूद, भारत ने अमेरिका से यह इंजन खरीदने का निर्णय लिया है। यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच के रिश्तों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सुरक्षा सहयोग को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस रक्षा सौदे के तहत भारत अमेरिका से 97 LCA मार्क 1A तेजस लड़ाकू विमानों के लिए 113 GE-404 इंजन खरीदेगा, जिसकी कुल लागत लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (87 अरब रुपये) होगी। यह सौदा पहले के ऑर्डर 83 मार्क 1ए विमानों के लिए 99 GE-404 इंजन के अनुबंध के अतिरिक्त है।

भारत का रक्षा क्षेत्र और LCA प्रोजेक्ट

भारत का LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के तहत चलाया जा रहा है। यह परियोजना भारतीय वायुसेना के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमान तैयार करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। LCA तेजस विमानों का विकास भारत को स्वदेशी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास है।

  • LCA तेजस विमानों की विशेषताएँ: हल्के वजन, उच्च गति, और उन्नत एरोडाइनामिक डिजाइन।
  • तेजस विमानों में आधुनिक रडार और हथियार प्रणाली शामिल हैं।
  • भारत का लक्ष्य LCA के जरिए विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता को कम करना है।

भारत ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि HAL के लिए इंजन की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इससे न केवल स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारतीय वायुसेना की लड़ाकू तैयारियों में भी सुधार होगा।

डिलीवरी की समयसीमा

अगर इस डील पर सहमति बन जाती है, तो भारत को अमेरिका से 83 विमानों की पहली खेप 2029-30 तक मिल सकती है। जबकि अगली 97 विमानों की डिलीवरी 2033-34 तक होगी। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक हर महीने भारत को दो इंजन प्रदान करेगी, जो इस प्रक्रिया को सुगम बनाएगी।

इसके अलावा, HAL और GE के बीच एक अलग समझौते पर भी बातचीत चल रही है, जिसमें GE-414 इंजन की खरीद और 80% तकनीकी हस्तांतरण शामिल होगा। यह समझौता लगभग 1.5 अरब डॉलर का होगा, जो LCA मार्क 2 और AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोग्राम के लिए 200 इंजन प्रदान करेगा।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत के लिए यह रक्षा सौदा कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इससे न केवल भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमताएँ बढ़ेंगी, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, यह सौदा एक संकेत है कि भारत अपने रक्षा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अमेरिका से इंजन खरीदने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इससे न केवल सैन्य प्रौद्योगिकी में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

अमेरिका के साथ रिश्तों में टैरिफ का असर

हालांकि भारतीय बाजार में अमेरिकी टैरिफ का दबाव बढ़ रहा है, भारतीय सरकार ने इस चुनौती का सामना करने के लिए एक ठोस रणनीति अपनाई है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनावों के बावजूद, ये रक्षा सौदे इस बात का संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता को समझा जा रहा है।

इस प्रकार, भारत की अमेरिका से रक्षा उपकरणों की खरीद न केवल सैन्य क्षेत्र में सुधार करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनता जा रहा है। इस संदर्भ में, यह सौदा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं:

निष्कर्ष की आवश्यकता नहीं

यह सौदा भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें वह अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अमेरिका के साथ बढ़ते संबंध और तकनीकी विकास भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे।

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