ट्रंप ने 4 बार फोन किया, मोदी ने बात करने से किया इनकार

सूची
  1. भारत-अमेरिका संबंधों में खटास का कारण
  2. ट्रंप के कॉल का कोई असर नहीं
  3. भारत की अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की टिप्पणियाँ
  4. भारत और अमेरिका के बीच शांति की प्रक्रिया
  5. भारत-चीन संबंधों पर ट्रंप की नीतियों का प्रभाव
  6. मोदी और ट्रंप की आखिरी बातचीत

भारत और अमेरिका के बीच के संबंध हाल के समय में काफी जटिल हो गए हैं। इन संबंधों में खटास के पीछे कई कारण हैं, जो केवल व्यापारिक मुद्दों तक सीमित नहीं हैं। जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन (FAZ) ने हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने हर बार कॉल लेने से इनकार कर दिया। यह स्थिति न केवल दोनों देशों के बीच के रिश्तों को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वर्तमान में वैश्विक राजनीति में कितनी अस्थिरता है।

भारत-अमेरिका संबंधों में खटास का कारण

भारत और अमेरिका के बीच पिछले 25 वर्षों में मजबूत होते संबंधों में खटास आना एक अप्रत्याशित घटना है। हाल के दिनों में, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर न केवल व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किया, बल्कि इसे एक राजनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। इस टैरिफ का प्रभाव दुनिया के अन्य देशों के प्रति अमेरिका की व्यापारिक नीतियों को भी उजागर करता है।

  • ट्रंप का व्यापार नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • भारत के खिलाफ व्यापारिक उपायों का उठाया जाना।
  • रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर पेनल्टी लगाना।

इस प्रकार के कदमों ने भारत को असहज कर दिया है और यह संकेत देता है कि मोदी सरकार अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को लेकर सतर्क है। जर्मन अखबार की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मोदी का यह गुस्सा ट्रंप के हालिया बयानों से भी उत्पन्न हुआ है।

ट्रंप के कॉल का कोई असर नहीं

अखबार ने बताया कि ट्रंप ने हाल के हफ्तों में मोदी को चार बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन हर बार मोदी ने कॉल रिसीव करने से इनकार कर दिया। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि मोदी ट्रंप की नीतियों और उनके व्यवहार को लेकर कितने असंतुष्ट हैं। थॉर्स्टन बेनर, एक जर्मन विशेषज्ञ, ने कहा कि यह स्थिति मोदी की सतर्कता को दर्शाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी किसी भी तरह की तात्कालिकता में नहीं फंसना चाहते। ट्रंप ने वियतनाम के साथ व्यापार समझौते को बिना किसी ठोस समझौते के सार्वजनिक कर दिया था, जिससे मोदी को सतर्कता बरतने की आवश्यकता महसूस हुई।

भारत की अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की टिप्पणियाँ

ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को "डेड इकोनॉमी" बताया था, जिस पर मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की दिशा में बढ़ रहा है। यह बयानों का आदान-प्रदान केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के आर्थिक हितों को भी प्रभावित कर रहा है।

  • ट्रंप के बयानों से भारत में नाराजगी।
  • मोदी का व्यापारिक लक्ष्यों को लेकर गंभीरता।
  • अर्थव्यवस्था को लेकर दोहराया गया आशावाद।

इससे संकेत मिलता है कि मोदी ट्रंप के बयानों से आहत हुए हैं और वह अमेरिका की नीतियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने को तत्पर हैं।

भारत और अमेरिका के बीच शांति की प्रक्रिया

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप का यह कहना कि उनके प्रयासों के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर संभव हुआ, भारत में और अधिक नाराजगी का कारण बना। भारत ने बार-बार इस दावे को खारिज किया है कि अमेरिका ने इस मामले में कोई मध्यस्थता की है।

उदाहरण के लिए, भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सीजफायर के लिए बातचीत सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। यह सब कुछ यह दर्शाता है कि भारत ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित की हैं।

भारत-चीन संबंधों पर ट्रंप की नीतियों का प्रभाव

दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप की नीतियों ने भारत और चीन के संबंधों में सुधार की संभावनाओं को जन्म दिया है। पिछले साल, पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत की थी और कहा था कि उन्हें चीन से सम्मान मिला है। यह संकेत करता है कि भारत अब अमेरिका के बजाय चीन के साथ सहयोग करने के लिए अधिक खुला है।

विशेषज्ञ मार्क फ्रेजियर के अनुसार, "भारत को चीन की अधिक आवश्यकता है, न कि चीन को भारत की।" इस प्रकार का दृष्टिकोण अमेरिका के व्यापारिक कदमों का प्रतिवाद कर रहा है।

मोदी और ट्रंप की आखिरी बातचीत

भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, मोदी और ट्रंप के बीच आखिरी फोन कॉल 17 जून को हुई थी। इस बातचीत में ट्रंप ने भारतीय आतंकवादी हमले पर संवेदना व्यक्त की थी। यह स्पष्ट है कि दोनों के बीच संवाद की कमी महसूस की जा रही है और यह स्थिति अमेरिका के प्रति भारत की नीतियों में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि मोदी ने ट्रंप से स्पष्ट रूप से कहा कि भारत कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। यह स्थिति भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की पुष्टि करती है।

सभी घटनाक्रमों के बीच, यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में मौजूदा तनाव विभिन्न कारकों का परिणाम है, जिसमें व्यापारिक नीतियाँ, राजनीतिक बयानबाजी और वैश्विक रणनीतियाँ शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में ये संबंध किस दिशा में बढ़ते हैं।

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