राजस्थान करौली में स्कूल के स्टोर रूम की छत गिरी

सूची
  1. करौली में स्कूल के स्टोर रूम की छत गिरने का मामला
  2. बढ़ती चिंता: जर्जर भवनों का खतरा
  3. 50 साल पुराने स्कूल के कक्ष
  4. भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
  5. सम्बंधित ख़बरें

राजस्थान के करौली जिले में हाल ही में हुई लगातार बारिश ने न केवल सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। ऐसे हादसे, जो अचानक घटित होते हैं, हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या हम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रहे हैं।

करौली में स्कूल के स्टोर रूम की छत गिरने का मामला

मंगलवार को करौली के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय श्री महावीरजी के स्टोर रूम की छत अचानक गिर गई। इस घटना से गनीमत यह रही कि उस समय कोई छात्र या विद्यालय कर्मचारी स्टोर रूम के अंदर मौजूद नहीं था। अगर ऐसा होता, तो यह एक बड़ा हादसा बन सकता था।

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब जिले में भारी बारिश का सिलसिला जारी है। लगातार हो रही बारिश के कारण विद्यालय की दीवारें और छत पूरी तरह भीग चुकी थीं, जिससे विद्यालय भवन की स्थिति जर्जर हो गई है।

बढ़ती चिंता: जर्जर भवनों का खतरा

मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगले कुछ दिनों में जिले में भारी बारिश होगी। सपोटरा क्षेत्र में बारिश का दौर जारी है, जिसने जर्जर भवनों की चिंता को और बढ़ा दिया है। विद्यालय के प्रधानाचार्य मुकुट गुर्जर ने बताया कि उन्होंने पहले ही विभाग और जिला कलेक्टर को जर्जर कक्षों की जानकारी भेजी थी।

50 साल पुराने स्कूल के कक्ष

विद्यालय के कई कक्ष 50 वर्ष पुराने हैं। ऐसे भवनों में अध्ययन करना विद्यार्थियों के लिए खतरा बन सकता है। प्रधानाचार्य ने कहा कि जर्जर कमरों को भूमिदोज करने के आदेश भी विभाग की ओर से दिए गए हैं।

  • जर्जर कक्षों की जानकारी संबंधित विभाग को भेजी गई है।
  • विद्यालय के कई कक्ष 50 वर्ष पुराने हैं।
  • जर्जर भवनों के कारण विद्यार्थियों की सुरक्षा पर खतरा है।
  • HDMC का प्रपोजल आगे बढ़ाया गया है।
  • जर्जर कमरों का उपयोग न करने के निर्देश हैं।

इस घटना के बाद श्री महावीरजी क्षेत्र के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा भी प्राथमिकता होनी चाहिए।

भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

विद्यालय प्रशासन ने अब सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए कई कदम उठाने का निर्णय लिया है। इनमें शामिल हैं:

  1. जर्जर भवनों की तत्काल मरम्मत।
  2. नए भवनों का निर्माण या पुराने भवनों का नवीनीकरण।
  3. सुरक्षा मानकों की समीक्षा।
  4. स्थायी समाधान के लिए विभागीय प्रस्ताव तैयार करना।

इन कदमों से न केवल विद्यालय की भौतिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि विद्यार्थियों और अभिभावकों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी।

सम्बंधित ख़बरें

किस तरह की घटनाएं इस प्रकार की चिंताओं का कारण बनती हैं? यह सवाल हमेशा अनुत्तरित रहता है। हाल ही में, करौली के अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी स्कूलों के जर्जर भवनों की खबरें आई हैं। इस प्रकार की घटनाओं के कारण अक्सर विद्यार्थियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।

अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को भी देख सकते हैं, जिसमें करौली में स्कूल की छत गिरने की घटना को विस्तृत रूप से दिखाया गया है:

अंत में, यह स्पष्ट है कि शैक्षणिक संस्थानों के भवनों की सुरक्षा को लेकर एक ठोस योजना की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, हमें एक सक्रिय और समुचित दृष्टिकोण अपनाना होगा। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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