दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 2025: दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र चुनावों का आयोजन नजदीक है, और इस बार कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। यह चुनाव केवल छात्र राजनीति में भागीदारी का एक साधन नहीं हैं, बल्कि भविष्य में राजनीतिक करियर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि इस वर्ष चुनावों में क्या कुछ नया है और क्या बदलाव आए हैं।
छात्र चुनावों का माहौल हमेशा से ही जीवंत और उत्साह से भरा रहा है। जब चुनावों का समय आता है, तो दिल्ली विश्वविद्यालय का कैंपस रंग-बिरंगे पोस्टरों, बैनरों और नारों से भर जाता है। हर एक संगठन अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने में जुट जाता है। आइए देखते हैं कि इस बार छात्र संघ के चुनावों के नियम और माहौल में क्या बदलाव हुए हैं।
छात्र संघ चुनाव में भाग लेने वाले संगठन
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनावों में कई प्रमुख छात्र संगठन भाग लेते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण संगठनों की सूची दी गई है:
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा संगठन, जो पिछले एक दशक से छात्र चुनावों में सबसे सफल रहा है।
- नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI): कांग्रेस का छात्र संगठन।
- स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI): एक वामपंथी छात्र संगठन।
- ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA): SFI के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाला संगठन।
- एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP): आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन।
इन संगठनों के उम्मीदवार अपने-अपने प्रचार में जुट जाते हैं, जिससे कैंपस का माहौल और भी गर्मा जाता है।
कैंपस का चुनावी माहौल
चुनावों के दौरान कैंपस में हर तरफ चर्चाएँ होती हैं कि कौन किसको वोट देगा। यह एक ऐसा समय होता है जब छात्र संगठनों के सदस्य अपने एजेंडे को पेश करने के लिए छात्रों के बीच में सक्रिय होते हैं। इस दौरान:
- छात्रों को पर्चे वितरित किए जाते हैं।
- पोस्टर और बैनर कैंपस में लगाए जाते हैं।
- छोटे मंचों पर भाषण दिए जाते हैं।
- समर्थक नारे लगाते हैं और जुलूस निकालते हैं।
यहाँ तक कि संगठन अपने उम्मीदवारों को जीप और ट्रकों में सजाकर छात्रों तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं।
इस बार चुनावों में क्या नया है?
पिछले चुनावों की तुलना में इस बार कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। विशेष रूप से, चुनाव प्रचार के तरीके में परिवर्तन आया है:
- नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद चुनावी प्रचार में पोस्टर और बैनर लगाने पर रोक लगा दी गई है।
- कॉलेजों की दीवारों पर बैनर और नोटिस चिपकाने की अनुमति नहीं है।
- वाहनों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इन बदलावों के कारण छात्र संगठनों को अपने प्रचार के तरीके को फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ा है, जिससे चुनावी माहौल काफी बदल गया है।
नामांकन प्रक्रिया और शर्तें
दिल्ली विश्वविद्यालय ने चुनाव प्रक्रिया के लिए एक विस्तृत शेड्यूल जारी किया है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ और शर्तें दी गई हैं:
- नामांकन की अंतिम तिथि: 10 सितंबर, 2025। सभी उम्मीदवारों को नामांकन पत्र भरना होगा।
- बॉंड की शर्त: सभी उम्मीदवारों को एक लाख रुपये का बॉंड भरना होगा।
- पंजीकरण शुल्क: सभी उम्मीदवारों को ₹500 का डिमांड ड्राफ्ट और एफिडेविट के साथ प्रस्तुत करना होगा।
छात्र संगठनों ने इस बॉंड का विरोध किया है, जिसे आम छात्रों के लिए चुनाव में भाग लेना कठिन बना रहा है।
हाईकोर्ट में दायर याचिका
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने इस एक लाख रुपये के बॉंड के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह शर्त छात्रों को चुनाव में भाग लेने से रोक रही है।
छात्रों ने इस बॉंड के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी किए हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे स्थिति में और भी तनाव उत्पन्न हो गया है।
उम्मीदवारों की सूची और वोटिंग प्रक्रिया
नामांकन के बाद, उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी:
- उम्मीदवारों की सूची जारी: 11 सितंबर को शाम 5 बजे।
- वोटिंग तिथि: 18 सितंबर, 2025।
- वोटिंग समय: पहली शिफ्ट सुबह 8:30 से 1:00 बजे, दूसरी शिफ्ट शाम 3:00 से 7:00 बजे तक।
वोटों की गिनती अगले दिन की जाएगी, जिससे चुनाव परिणाम की घोषणा की जाएगी।
इस चुनाव के दौरान होने वाले बदलावों और नियमों ने स्पष्ट रूप से छात्र राजनीति में एक नई दिशा दी है, जो आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
चुनावों के इस उत्सव को और अधिक रोचक बनाने के लिए, यहाँ एक वीडियो है जो चुनावी प्रक्रिया और हालात पर प्रकाश डालता है:
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र चुनावों का यह साल निश्चित रूप से कई नए सबक और चुनौतियाँ लेकर आएगा, जो छात्रों को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा।