राजस्थान में मानसून बाढ़ 177% ज्यादा बारिश हुई

सूची
  1. राजस्थान में बारिश का हाल और उसके प्रभाव
  2. नदियों का जल स्तर और खतरे की स्थिति
  3. बाढ़ के कारण और परिणाम
  4. बचाव कार्य और प्रशासन की प्रतिक्रिया
  5. राजस्थान में औसत वर्षा और इसकी अनियमितता
  6. राजस्थान में बारिश का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

राजस्थान, जिसे आमतौर पर अपनी शुष्क जलवायु और रेगिस्तानी परिदृश्य के लिए जाना जाता है, इस बार कुछ असामान्य मौसम की परिस्थितियों का सामना कर रहा है। बरसात ने राज्य की रेत की परतों को भिगो दिया है, और नदियों का जलस्तर अशांत हो गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस लेख में, हम राजस्थान में हाल की बारिशों के प्रभावों और इसके कारणों की गहराई से चर्चा करेंगे।

राजस्थान में बारिश का हाल और उसके प्रभाव

राजस्थान में हाल की बारिश ने 69 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 2024 में, राज्य में औसत से 156% अधिक बारिश हुई, जबकि 2025 के जुलाई तक यह आंकड़ा 177% तक पहुँच गया। इस वर्ष अगस्त में भी लगातार बारिश जारी है, जिससे राज्य के 18 बांध ओवरफ्लो हो चुके हैं।

इस भारी बारिश ने कई समस्याएं उत्पन्न की हैं, जैसे:

  • सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
  • कई इलाके एक-दूसरे से कट गए हैं।
  • जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

राज्य के 30 में से 22 जिले सीधे तौर पर इस मॉनसून से प्रभावित हुए हैं।

नदियों का जल स्तर और खतरे की स्थिति

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, राज्य के कुछ स्थानों पर नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। उदाहरण के लिए:

  • सवाई माधोपुर जिले के बारांवाड़ा स्टेशन पर चंबल नदी का जलस्तर 198 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया।
  • बूंदी जिले के लाखेरी स्टेशन पर यह जल स्तर 6 मीटर से अधिक था।
  • धौलपुर स्टेशन पर भी स्थिति बेहद खराब रही, जहां पानी खतरे के निशान से 7 मीटर ऊपर बह रहा था।

बाढ़ के कारण और परिणाम

इन चरम मौसम की स्थितियों के परिणामस्वरूप, कई गांव जलमग्न हो गए हैं, और लोगों को अपने घरों से evacuate करना पड़ा है। बाढ़ के तेज बहाव में बह जाने से एक 50 वर्षीय महिला की मौत हो गई।

उदयपुर के खंडियोवारी स्टेशन पर भी जल स्तर में अचानक वृद्धि देखी गई, जो खतरे के निशान को छू गया। 25 अगस्त की सुबह जल स्तर सामान्य था, लेकिन अचानक वृद्धि ने सभी को चौंका दिया।

बचाव कार्य और प्रशासन की प्रतिक्रिया

भारतीय वायु सेना ने प्रभावित लोगों को बचाने के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल ने स्थिति को संभालने के लिए कई अभियानों को चलाया है।

लोकसभा अध्यक्ष और कोटा के सांसद ओम बिरला ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, जबकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की।

राजस्थान में औसत वर्षा और इसकी अनियमितता

राजस्थान में औसत वर्षा सामान्यतः कम होती है। हालांकि, इस वर्ष की बारिश ने सभी मानकों को पार कर दिया है। राजस्थान का मौसम, जो आमतौर पर शुष्क है, इस साल अप्रत्याशित रूप से बदल गया है।

राजस्थान में औसत वर्षा के आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • औसत वार्षिक वर्षा: लगभग 600 मिमी
  • विशिष्ट क्षेत्र जैसे जैसलमेर और बाड़मेर में वर्षा की मात्रा और भी कम होती है।

राजस्थान में बारिश का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

राजस्थान में बारिश का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। राज्य के लिए बारिश का समय अक्सर अनियमित और अप्रत्याशित होता है। इस वर्ष की बारिश ने पिछले वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जिससे जल संकट की समस्या और भी बढ़ गई है।

इन सभी घटनाओं की व्यापकता को समझने के लिए, यह जानना आवश्यक है कि राज्य की जलवायु, भौगोलिक स्थिति और मौसमी पैटर्न कैसे काम करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि क्यों राजस्थान में औसत वर्षा अधिक नहीं होती है और कैसे मौसमी परिवर्तन कई बार बाढ़ जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

इसी संबंध में, एक वीडियो जो इस स्थिति को और स्पष्ट करता है, यहां प्रस्तुत किया गया है:

राजस्थान में इस वर्ष की बारिश ने न केवल मौसम की चुनौतियों को उजागर किया है, बल्कि इसने स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के लिए भी एक गंभीर परीक्षा प्रस्तुत की है।

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