हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि, एक प्रमुख अमेरिकी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी, फिच रेटिंग्स, ने इस संबंध में एक सकारात्मक दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था इस टैरिफ के बावजूद मजबूत बनी रहेगी। आइए इस मुद्दे को और गहराई से समझते हैं।
ट्रंप के 50% टैरिफ का भारत पर असर
फिच रेटिंग्स के अनुसार, ट्रंप द्वारा घोषित 50% टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बात अमेरिका की इस रेटिंग एजेंसी द्वारा भारत की ग्रोथ रेट को मजबूत बताते हुए कहे जाने के बाद स्पष्ट होती है। फिच ने भारत की रेटिंग को BBB- पर बनाए रखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5% की ग्रोथ रेट की भविष्यवाणी की है।
इसका मुख्य कारण यह है कि भारत का अमेरिका को निर्यात कुल जीडीपी का केवल 2% है, जिससे यह टैरिफ का प्रभाव सीमित रहेगा। इसके अलावा, भारत ने अपने घरेलू बाजार को संजीवनी देने के लिए कई उपाय किए हैं, जो इसे वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के विरुद्ध मजबूत बनाते हैं।
भारत की आर्थिक मजबूती के कारक
फिच ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को उसके मजबूत ग्रोथ और ठोस बाहरी निवेश का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा, भारत का आर्थिक आउटलुक अन्य समान देशों की तुलना में अपेक्षाकृत मजबूत बना हुआ है। हालांकि, पिछले दो वर्षों में विकास की गति कुछ धीमी हुई है, लेकिन फिर भी भारत ने आर्थिक सुधारों के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
- महत्वपूर्ण बाहरी निवेश: भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हो रही है, जो इसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखता है।
- स्थिर जीडीपी ग्रोथ: फिच के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ दर स्थिर बनी रहेगी।
- वित्तीय सुधार: जीएसटी जैसे वित्तीय सुधारों ने अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की है।
जीएसटी सुधारों का प्रभाव
फिच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित जीएसटी सुधारों का विशेष उल्लेख करते हुए कहा है कि यदि ये सुधार सफलतापूर्वक लागू होते हैं, तो इससे उपभोग में वृद्धि होगी और आर्थिक विकास संबंधी जोखिम कम होंगे। जीएसटी सुधारों की प्रभावशीलता से न केवल मौजूदा समस्याएं हल होंगी, बल्कि यह भविष्य में विकास की संभावनाओं को भी बढ़ाएगा।
बहरहाल, यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि ये सुधार केवल आर्थिक विकास को गति देने के लिए नहीं हैं, बल्कि इनसे भारतीय बाजार को और अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
महंगाई पर फिच की रिपोर्ट
फिच की रिपोर्ट में महंगाई के मुद्दे पर भी चर्चा की गई है। फूड प्रोडक्ट्स की कीमतों में गिरावट और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों ने महंगाई को नियंत्रित रखने में मदद की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोर महंगाई दर RBI के निर्धारित दायरे 2%-6% में बनी हुई है, जबकि थोक महंगाई जुलाई में घटकर 1.6% रह गई। इस स्थिति के चलते, RBI ने 2025 में Repo Rate में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावना जताई है, जो इसे 5.5% तक लाएगा।
टैरिफ के खिलाफ भारत की संभावित प्रतिक्रिया
ट्रंप के 50% टैरिफ के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण होगी। भारतीय सरकार ने पहले ही संकेत दिया है कि वे इस टैरिफ के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए तैयार हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी आर्थिक नीतियों में लचीलापन बनाए रखेगा और आवश्यकतानुसार समायोजन करेगा।
- संभावित पलटवार: भारत भी अमेरिका पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित हो सकता है।
- बाजार की स्थिरता: सरकार घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए उपाय कर सकती है।
- वैश्विक भागीदारी: भारत अपने अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ा सकता है।
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भारत की आर्थिक भविष्यवाणी
फिच की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2025 में 6.5% के आसपास रहने का अनुमान है। यह दर भारत की स्थिरता और आर्थिक सुधारों की दिशा में एक संकेत है।
भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपने आर्थिक आधार को मजबूत बनाए और वैश्विक बाजार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहे। भारत की सरकार ने पहले ही कई नीतियों का अनावरण किया है, जो इसे इस दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
अंततः, भारत की आर्थिक रणनीतियों और नीतियों का प्रभाव न केवल देश के भीतर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण होने जा रहा है। यदि भारत अपने विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है, तो यह न केवल स्थानीय बाजार के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।



