महिलाओं की ऑर्गन डोनेशन में भूमिका और वैश्विक पैटर्न

सूची
  1. महिलाओं की भूमिका: आंकड़ों का विश्लेषण
  2. नियामक ढांचा और सरकारी पहल
  3. महिलाओं को प्राथमिकता: नई एडवाइजरी
  4. जानकारी का अभाव और इसके परिणाम
  5. वैश्विक परिप्रेक्ष्य: महिलाओं की स्थिति
  6. महिलाओं के अंगों का ट्रांसप्लांट: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
  7. जेंडर असमानता: कारक और प्रभाव
  8. वैश्विक अपवाद: कुछ देश और उनकी नीतियाँ

ऑर्गन डोनेशन एक ऐसा विषय है जो न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी छूता है। हाल के वर्षों में, इस मुद्दे पर महिलाओं की भूमिका और उनके अनुभवों को समझना विशेष रूप से आवश्यक हो गया है। आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं का योगदान इस क्षेत्र में अत्यधिक है, लेकिन जब बात जरूरतमंदों की आती है, तो उनका स्थान पीछे रह जाता है। आइए इस जटिलता के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालते हैं।

महिलाओं की भूमिका: आंकड़ों का विश्लेषण

नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच हुई ऑर्गन डोनेशन में लगभग 63 प्रतिशत महिलाएं थीं। हालांकि, जब बात अंग प्राप्त करने की आती है, तो यह संख्या घटकर केवल 27 प्रतिशत रह जाती है।

यहाँ तक कि एक एनजीओ, मोहन फाउंडेशन के 2023 में किए गए शोध ने यह दर्शाया कि 80 प्रतिशत ऑर्गन डोनर्स महिलाएं हैं, लेकिन जब उन महिलाओं को ऑर्गन की आवश्यकता होती है, तो उनकी संख्या 18.9 प्रतिशत तक ही रह जाती है।

  • महिलाएं डोनर के रूप में बहुत सक्रिय हैं।
  • लेकिन, अंग प्राप्त करने में उन्हें मुश्किलें आती हैं।
  • इस असमानता का क्या कारण है?

नियामक ढांचा और सरकारी पहल

भारत सरकार ने अंगदान की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कई पहल की हैं। NOTTO की स्थापना ऐसी ही एक पहल है, जिसका उद्देश्य अंगदान में पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।

केंद्र ने ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट्स 1994 के तहत अंगों के दान को कानूनी मान्यता दी है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कुछ अंगों का दान किया जा सकता है और इनका व्यापार करना अपराध है।

महिलाओं को प्राथमिकता: नई एडवाइजरी

हाल ही में, NOTTO ने एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है। यह कोऑर्डिनेटर अंगदान प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इसके अलावा, एंबुलेंस स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को पहचान सकें।

महिलाओं और उन परिवारों को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव भी रखा गया है, जिन्होंने अपने मृत रिश्तेदारों का अंगदान किया है। यह पहल महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।

जानकारी का अभाव और इसके परिणाम

हालांकि ऑर्गन डोनेशन हो रहा है, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव के कारण जरूरतमंदों तक अंग नहीं पहुँच पाते। हर साल, डेढ़ लाख से अधिक भारतीय किडनी फेल होने के कारण गंभीर अवस्था में पहुँच जाते हैं, जबकि डोनर्स की संख्या मात्र 12 हजार है। यदि डोनर्स की संख्या बढ़ सके, तो हजारों जीवन को बचाया जा सकता है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: महिलाओं की स्थिति

महिलाओं की ऑर्गन डोनेशन से जुड़ी स्थिति भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में समानता की कमी दर्शाती है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में भी 10 किडनी डोनर्स में से 6 महिलाएं होती हैं, लेकिन 10 रेसिपिएंट्स में से 6 पुरुष होते हैं।

  • महिलाएं डोनर्स के रूप में अग्रणी हैं।
  • लेकिन, प्राप्तकर्ताओं की सूची में उनका स्थान कम है।
  • मौत के बाद डोनेशन में स्थिति थोड़ी संतुलित होती है।

महिलाओं के अंगों का ट्रांसप्लांट: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

एक अध्ययन के अनुसार, जब पुरुषों में महिलाओं के अंगों का ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी पुरुष को महिला का दिल प्रत्यारोपित किया जाए, तो उसके अगले पांच साल में हार्ट फेल होने का खतरा 15 प्रतिशत बढ़ जाता है।

इसका एक मुख्य कारण है कि महिलाओं और पुरुषों के अंगों का आकार भिन्न होता है। यदि डोनर और रिसीवर के वजन में 30 किलोग्राम या उससे अधिक का अंतर हो, तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।

जेंडर असमानता: कारक और प्रभाव

जेंडर असमानता का एक मुख्य कारण "ब्रेडविनर डिलेमा" है। समाज में यह माना जाता है कि पुरुष ही परिवार के मुख्य कमाने वाले होते हैं, जिससे उनके अंगदान करने के प्रति संकोच होता है।

महिलाएं अक्सर परिवार के सदस्यों की जरूरतों को प्राथमिकता देती हैं और इसलिए वे अंगदान के लिए सहमत होती हैं, विशेषकर जब इसमें उनका स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होता।

वैश्विक अपवाद: कुछ देश और उनकी नीतियाँ

  • स्पेन: यहाँ ऑप्ट-आउट नीति लागू है, जहाँ सभी लोग डोनर माने जाते हैं जब तक वे मना न करें।
  • नॉर्वे और स्कैंडिनेवियाई देश: यहाँ महिलाओं और पुरुषों के रिसीवर रेट लगभग बराबर हैं।
  • ईरान: यह एकमात्र देश है जहाँ किडनी बेचना कानूनी है। यहाँ पैटर्न कुछ उल्टा है, जहाँ गरीब पुरुष डोनर ज्यादा होते हैं।

यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य हमें यह समझने में मदद करता है कि अंगदान में महिलाओं की भूमिका और उनके अनुभवों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।

महत्वपूर्ण है कि हम इस विषय पर संवाद को बढ़ावा दें और जागरूकता फैलाएं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें और जरूरतमंदों तक अंग पहुँचाने में मदद कर सकें।

Go up