हिंदुओं के कार्यक्रम में स्टालिन मुख्य अतिथि, BJP भड़की

सूची
  1. वैश्विक अयप्पा संगमम: एक धार्मिक महोत्सव
  2. बीजेपी की कड़ी प्रतिक्रिया
  3. स्टालिन के विवादास्पद बयान
  4. केरल सरकार का बचाव
  5. समाज में बढ़ता धार्मिक तनाव
  6. समापन विचार

हाल ही में केरल सरकार के निर्णय ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक त्योहार वैश्विक अयप्पा संगमम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने का निर्णय बीजेपी के नेताओं के गुस्से का कारण बन गया है। इस विवादास्पद निमंत्रण को लेकर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें इसे यहूदियों को सम्मानित करने के लिए हिटलर को बुलाने जैसा बताया गया है।

वैश्विक अयप्पा संगमम: एक धार्मिक महोत्सव

वैश्विक अयप्पा संगमम, जो पूरे रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ आयोजित किया जा रहा है, में कर्नाटक और तेलंगाना के मंत्री, केरल के मंत्री, विपक्षी नेता और अन्य प्रमुख लोग शामिल होंगे। यह महोत्सव त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड और केरल सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे, जबकि केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन इसका उद्घाटन करेंगे।

यह आयोजन अयप्पा भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें श्रद्धालुओं को सबरीमाला के प्रति अपनी आस्था को और मजबूत करने का अवसर मिलेगा। इस महोत्सव में भाग लेने वाले लोग न केवल दक्षिण भारत के बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी आएंगे, जो इस कार्यक्रम को और भी भव्य बनाएगा।

बीजेपी की कड़ी प्रतिक्रिया

बीजेपी ने स्टालिन के निमंत्रण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे “पाखंड” और “हिंदू आस्था का अपमान” करार दिया है। पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि जब डीएमके के नेताओं ने हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, तब स्टालिन चुप रहे। इस स्थिति को लेकर बीजेपी ने यह भी कहा है कि यदि स्टालिन और मुख्यमंत्री विजयन हिंदुओं और अयप्पा भक्तों से माफी नहीं मांगते हैं, तो वे अपनी भागीदारी का विरोध करेंगे।

राजीव चंद्रशेखर, केरल बीजेपी अध्यक्ष, ने इस संदर्भ में कहा, "कांग्रेस, सीपीएम और द्रमुक जैसी भारतीय गठबंधन पार्टियों का सबरीमाला कार्यक्रम में जाना उतना ही अवास्तविक है जितना कि हिटलर का यहूदियों का सम्मान करना।" उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा किसी भी प्रकार के झूठ और पाखंड को बर्दाश्त नहीं करेगी।

स्टालिन के विवादास्पद बयान

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सीएम स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि ने हाल ही में सनातन धर्म को लेकर विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी, जिसने धार्मिक समुदाय में काफी आक्रोश पैदा किया। स्टालिन का यह कदम और उनके बेटे का बयान बीजेपी के आरोपों को और अधिक वजनदार बनाते हैं।

केरल सरकार का बचाव

वहीं, केरल सरकार ने स्टालिन को इस धार्मिक समागम का चीफ गेस्ट बनाए जाने के निर्णय का बचाव किया है। केरल देवस्वोम विभाग के मंत्री वीएन वासवन ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य सबरीमाला को एक वैश्विक तीर्थस्थल का दर्जा दिलाना है। इस समागम में हजारों भक्तों के शामिल होने की संभावना है, जो इस आयोजन को एक नई पहचान देंगे।

  • धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना
  • सबरीमाला को वैश्विक तीर्थस्थल बनाना
  • भक्तों के लिए आवास और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना
  • सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन उपलब्ध कराना
  • एक मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य

मंत्री ने आगे बताया कि सरकार सबरीमाला के विकास के लिए 1,300 करोड़ रुपये का मास्टर प्लान भी लागू कर रही है, जिसमें प्रस्तावित हवाई अड्डा और रेलवे लाइन भी शामिल हैं, जिसे 2028 तक चालू होने की उम्मीद है। यह विकास कार्य न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

समाज में बढ़ता धार्मिक तनाव

यह विवाद केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह समाज में बढ़ते धार्मिक तनाव का भी एक प्रतीक है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच धार्मिक आस्थाओं को लेकर जो विवाद चल रहा है, वह समाज में विभाजन का कारण बन रहा है।

धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक हस्तक्षेप और धार्मिक आस्थाओं का अपमान करने के आरोपों ने भारतीय राजनीति को और अधिक जटिल बना दिया है। यह स्थिति सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए चिंताजनक है।

समापन विचार

वैश्विक अयप्पा संगमम जैसे धार्मिक आयोजनों में राजनीति का हस्तक्षेप केवल एक तात्कालिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक समस्या का हिस्सा है। धार्मिक आस्थाओं का सम्मान और उनकी रक्षा करना सभी के लिए आवश्यक है, ताकि समाज में शांति और सहिष्णुता बनी रहे।

इस प्रकार के आयोजनों को सफल बनाने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा, ताकि धार्मिक आस्था को संजोया जा सके और राजनीतिक विवादों से दूर रखा जा सके।

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