सैलरी और नौकरी का भरोसा नहीं, 5 में से 1 मिलेनियल की समस्या

सूची
  1. मिलेनियल्स की चिंताएं: सैलरी, मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य
  2. सर्वेक्षण के परिणाम: क्या कहते हैं आंकड़े?
  3. नौकरी की असुरक्षा: एक बढ़ती हुई चिंता
  4. तनाव और कार्यक्षमता: क्या है संबंध?
  5. मिलेनियल्स की समस्या का समाधान: क्या किया जा सकता है?

आज के समय में, युवाओं की समस्याएं एक गंभीर मुद्दा बन चुकी हैं। विशेषकर मिलेनियल्स, जो 90 के दशक में जन्मे हैं, नौकरी और सैलरी से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह स्थिति केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक स्तर पर भी प्रभाव डाल रही है। आइए इस विषय पर गहराई से नज़र डालते हैं।

मिलेनियल्स की चिंताएं: सैलरी, मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य

हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, हर 5 में से 1 मिलेनियल अपनी सैलरी से खुश नहीं है। इस सर्वे में यह भी सामने आया है कि ये युवा मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस नहीं कर पा रहे हैं। 90 के दशक में जन्मे ये लोग, जो मेहनती माने जाते हैं, आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं।

सर्वेक्षण के परिणाम: क्या कहते हैं आंकड़े?

Great Place to Work India द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों से फीडबैक लिया गया। इसके परिणाम चौंकाने वाले थे:

  • 15% मिलेनियल्स अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं।
  • 17% मानसिक स्वास्थ्य के कारण काम के दौरान चिंता में रहते हैं।
  • कई मिलेनियल्स वित्तीय, सामाजिक और शारीरिक सुरक्षा के मामलों में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

नौकरी की असुरक्षा: एक बढ़ती हुई चिंता

मिलेनियल्स नौकरी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान हैं। तेजी से बदलते बाजार की स्थिति और कंपनी की नीतियों में बदलाव के कारण, वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यह चिंता उन्हें काम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने में बाधा डालती है।

तनाव और कार्यक्षमता: क्या है संबंध?

मिलेनियल्स का मानना है कि उन्हें कार्य में नई चुनौतियों का सामना करने का अवसर नहीं मिलता। केवल 47% कर्मचारियों को नई चीजें सीखने का मौका मिल पाता है। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मिलेनियल्स की समस्या का समाधान: क्या किया जा सकता है?

इस समस्या के समाधान के लिए कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है:

  • कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता प्रदान करना।
  • कार्यस्थल पर सकारात्मक वातावरण का निर्माण करना।
  • नवोन्मेषी सोच को प्रोत्साहित करना और नई परियोजनाओं में भागीदारी बढ़ाना।

Great Place to Work India के सीईओ बलवीर सिंह ने कहा है कि 2025 तक 63% मिलेनियल्स भारत के कार्यस्थल का हिस्सा होंगे। ऐसे में, कंपनियों को उनके मानसिक स्वास्थ्य, विकास के अवसर और नौकरी की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

यह सर्वेक्षण हमारे समाज में नौकरी और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को उजागर करता है। मिलेनियल्स की समस्याएं केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि यह एक सामाजिक चुनौती है, जिसका समाधान सामूहिक प्रयास से ही संभव है।

ये भी देखें: मिलेनियल्स की नौकरी और मानसिक स्वास्थ्य पर एक चर्चा.

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