हिमाचल प्रदेश के सुदूर सुमदो क्षेत्र में हाल ही में भारतीय सेना ने सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 का सफल आयोजन किया। यह अनूठा समारोह 10 से 24 अगस्त 2025 तक स्पिति वैली के सुमदो में हुआ, जो 10500 से 17000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस ड्रोन प्रतियोगिता ने न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया।
इस आयोजन में अग्निवीर अनिल देव ने एफपीवी ड्रोन ऑब्स्टेकल क्रॉसिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया। उनकी इस उपलब्धि पर लद्दाख के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने उन्हें हार्दिक बधाई दी। अनिल देव की जीत ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय युवा सैनिक तकनीकी कौशल में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।
सूर्या ड्रोनाथॉन 2025: तकनीकी नवाचार का मंच
सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 का आयोजन सूर्या कमांड और ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से हुआ। यह ड्रोनाथॉन भारत में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने और स्वदेशी नवाचार को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। इस आयोजन ने तकनीकी कौशल के क्षेत्र में भारतीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया।
इस प्रतियोगिता में देशभर से विभिन्न लोग शामिल हुए, जिनमें सेना के स्वयंसेवी जवान, फ्रीलांसर्स, स्टार्टअप्स, एनसीसी कैडेट्स और स्थापित मूल उपकरण निर्माता (OEMs) शामिल थे। यह प्रतियोगिता दो चरणों में आयोजित की गई थी: पहला चरण 10 से 15 अगस्त और दूसरा चरण 20 से 24 अगस्त तक।
सुमदो, जो कि 10500 से 17000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, दुनिया के सबसे ऊंचे ड्रोन टेस्टिंग क्षेत्रों में से एक है। यहाँ की कठिन परिस्थितियां, जैसे तेज हवाएं, कम ऑक्सीजन और जटिल भूभाग, ड्रोन की उड़ान स्थिरता, नेविगेशन, बाधा प्रबंधन और टिकाऊपन का असली इम्तिहान थीं।
अग्निवीर अनिल देव की असाधारण उपलब्धि
इस ड्रोनाथॉन में अग्निवीर अनिल देव ने अपनी असाधारण प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन करते हुए एफपीवी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन ऑब्स्टेकल क्रॉसिंग प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया। अनिल देव, जो फॉरएवर इन ऑपरेशंस डिवीजन का हिस्सा हैं, ने अपनी मेहनत और तकनीकी समझ से सभी को प्रभावित किया।
उनकी जीत न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह युवा सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। लद्दाख के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने अनिल देव की इस उपलब्धि को सराहते हुए कहा कि उनकी जीत सेना में तकनीकी नवाचार और ड्रोन युद्ध के प्रति उत्साह को बढ़ाएगी। यह युवा पीढ़ी को ड्रोन युद्ध जैसे आधुनिक युद्ध कौशलों में महारत हासिल करने के लिए प्रेरित करती है।
ड्रोनाथॉन का उद्देश्य और महत्व
सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 का आयोजन आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित था:
- स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा: भारतीय ड्रोन निर्माताओं को प्रोत्साहित करना ताकि वे ऐसी तकनीक विकसित करें जो सेना की जरूरतों को पूरा कर सके।
- कठिन परिस्थितियों में परीक्षण: ड्रोन को उच्च ऊंचाई, तेज हवाओं और जटिल भूभाग में परखना ताकि उनकी विश्वसनीयता और मजबूती सुनिश्चित हो।
- सहयोग और नवाचार: सेना, स्टार्टअप्स, फ्रीलांसर्स और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि नए विचारों को मंच मिले।
- युवाओं को प्रेरित करना: एनसीसी कैडेट्स और युवा नवप्रवर्तकों को ड्रोन तकनीक में रुचि लेने और इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
इस आयोजन में ड्रोन की गति, उड़ान स्थिरता, पेलोड हैंडलिंग, नेविगेशन और सहनशक्ति जैसे पहलुओं का परीक्षण किया गया। प्रतिभागियों को प्राकृतिक बाधाओं से गुजरना था। यह साबित करना था कि उनके ड्रोन कठिन परिस्थितियों में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं। प्रतियोगिता में किसी भी चीनी पार्ट्स के उपयोग की मनाही थी, जिससे स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया गया।
ड्रोन युद्ध: आधुनिक युद्ध का भविष्य
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। ड्रोन न केवल निगरानी और टोही में उपयोगी हैं, बल्कि वे आपूर्ति पहुंचाने, सटीक हमले करने और आपदा राहत जैसे कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारतीय सेना ने ड्रोन तकनीक को अपनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें एफपीवी ड्रोन का विकास और उपयोग शामिल है। ये ड्रोन सैनिकों को वास्तविक समय में स्थिति का जायजा लेने और सटीक कार्रवाई करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 में प्रदर्शित ड्रोन ने न केवल सैन्य उपयोग के लिए अपनी क्षमता दिखाई, बल्कि आपदा राहत और कृषि जैसे नागरिक क्षेत्रों में भी इनके उपयोग की संभावनाओं को उजागर किया। इस आयोजन में लाइव डेमो और वर्कशॉप भी आयोजित किए गए, जहां विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को ड्रोन की तकनीकी जरूरतों और वैश्विक रुझानों के बारे में बताया।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्या सेनगुप्ता का योगदान
इस आयोजन को लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्या सेनगुप्ता, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (सेंट्रल कमांड) ने देखा। उन्होंने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है, बल्कि सेना और नागरिकों के बीच के रिश्तों को भी मजबूत करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त अभियानों और परिचालन तैयारियों का महत्व आज के युद्ध में बेहद अधिक है।
यह आयोजन न केवल भारतीय सेना के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में निरंतर नवाचार और अनुसंधान से भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
भारतीय सेना की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि भविष्य की लड़ाइयों में तकनीकी कौशल और नवाचार का कितना महत्वपूर्ण योगदान होगा। सुरक्षात्मक उपायों के साथ-साथ, यह आवश्यक है कि हम अपनी तकनीकी क्षमताओं को और भी अधिक मजबूत बनाएं।
इस प्रकार, सूर्या ड्रोनाथॉन 2025 ने न केवल ड्रोन तकनीक को बढ़ावा दिया, बल्कि यह भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए भी एक ठोस आधार तैयार किया।