सीबीआई और इंटरपोल का संयुक्त ऑपरेशन: भारत लाया गया मोस्ट वांटेड अपराधी
हाल ही में, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का करीबी साथी सुनील कुमार, जिसे मयंक सिंह के नाम से भी जाना जाता है, को अजरबैजान से भारत लाया गया है। यह घटना न केवल भारत में कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
अजरबैजान से भारत लाए गए सुनील कुमार की कहानी
सुनील कुमार उर्फ मयंक सिंह को अजरबैजान में पकड़ने के लिए इंटरपोल द्वारा पिछले साल 10 अक्टूबर को उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया गया था। यह नोटिस उसकी संगीन अपराधों की सूची के आधार पर जारी किया गया था, जिसमें जबरन वसूली और धमकी शामिल हैं। झारखंड पुलिस ने सीबीआई की मदद से इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया।
इस ऑपरेशन के तहत, झारखंड पुलिस की एक तीन सदस्यीय टीम 19 अगस्त को बाकू, अजरबैजान के लिए रवाना हुई थी। चार दिन बाद, 23 अगस्त को, उन्होंने सुनील को पकड़कर भारत लौटने में सफलता प्राप्त की। इस प्रक्रिया में एनसीबी-बाकू का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
सुनील कुमार पर 196 देशों में इंटरपोल द्वारा अलर्ट जारी किया गया था। इस संदर्भ में, भारत ने जनवरी 2025 में अजरबैजान से औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था। इस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रक्रियाएं अब अधिक सामान्य होती जा रही हैं, जिससे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होता है।
धमकी भरे संदेशों से आतंक मचाने का काम
सुनील कुमार का अपराधीकरण का तरीका खास था। वह व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और रेलवे ठेकेदारों को व्हाट्सएप पर धमकी भरे संदेश भेजता था। इससे वह रंगदारी वसूलता था, जो उसकी गैंग की पहचान बन गई थी। वह झारखंड राज्य समेत कई अन्य राज्यों में रंगदारी और जबरन वसूली के मामलों में संलिप्त था।
- व्यापारियों को धमकाना और रंगदारी मांगना
- फर्जी नाम का उपयोग करना (मयंक सिंह)
- पुलिस से बचने के लिए छिपना
- इंटरपोल की मदद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रैकिंग
सीबीआई की इंटरनेशनल पुलिस कोऑपरेशन यूनिट ने लगातार उसकी लोकेशन ट्रैक की, जिससे उसे पकड़ना संभव हुआ। इस प्रकार के ऑपरेशनों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी सीमा के बाहर भी कानून लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमन साहू गैंग का प्रभाव और भविष्य की कार्रवाई
अमन साहू गिरोह, जो झारखंड और इसके आस-पास के राज्यों में संगठित अपराध के लिए कुख्यात है, सुनील कुमार के बिना अब कमजोर हो गया है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि सुनील के गिरफ्तार होने के बाद अब उसके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच तेज की जाएगी।
गैंग के अन्य सदस्यों को बेनकाब करना और उन्हें पकड़ना पुलिस की प्राथमिकता बन गई है। यह पूरी स्थिति उस समय आई है जब पुलिस ने इसी साल मार्च में गैंगस्टर अमन साहू को एक एनकाउंटर में मार गिराया था।
झारखंड पुलिस की इस सफलता से यह संकेत मिलता है कि संगठित अपराध के खिलाफ भारत की कार्रवाई और अधिक प्रभावी हो रही है। यह न केवल देश के भीतर कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि यह अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।
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इस ऑपरेशन से संबंधित और भी जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी गई है:
इस प्रकार के ऑपरेशनों में सीबीआई और पुलिस के बीच सहयोग से यह साबित होता है कि जब सभी सुरक्षा एजेंसियाँ एक साथ मिलकर काम करती हैं, तब वे जटिलतम मामलों को भी सफलतापूर्वक हल कर सकती हैं। भविष्य में भी इस तरह की सफलताओं की अपेक्षा की जा सकती है।