हाल के वर्षों में साइबर ठगी के मामलों में वृद्धि ने भारत में चिंता का विषय बना दिया है। ऐसे मामलों में आम जनता के साथ-साथ व्यवसायों को भी लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि ओडिशा पुलिस ने हाल ही में एक बड़ी साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है, जिसमें दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
सात करोड़ की साइबर ठगी: ओडिशा पुलिस की कार्रवाई
ओडिशा पुलिस ने पंजाब और आंध्र प्रदेश से दो आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए करोड़ों रुपये की ठगी का भंडाफोड़ किया है। आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर ओडिशा के बरहामपुर और मयूरभंज लाया गया है। यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जो यह दर्शाता है कि साइबर अपराधियों का नेटवर्क कितना व्यापक हो सकता है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान पंजाब के लुधियाना निवासी बिट्टू कुमार (41) और आंध्र प्रदेश के गुंटूर निवासी चपलामदुगु सुधीर कुमार (33) के रूप में की गई है। दोनों ने निवेश पर ऊंचे रिटर्न का लालच देकर कई निवेशकों को ठगा है। पुलिस के अनुसार, उन्होंने कुल 7.17 करोड़ रुपये की ठगी की है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिट्टू कुमार ने डिजिटल करेंसी एक्सचेंज ट्रेडिंग और उच्च रिटर्न का झांसा देकर एक निवेशक से 6.16 करोड़ रुपये ठगे। उसे लुधियाना में गिरफ्तार किया गया और फिर ट्रांजिट रिमांड पर कटक लाया गया। वहीं, सुधीर कुमार ने 1.01 करोड़ रुपये की ठगी की है।
कैसे काम करते हैं साइबर ठग?
साइबर ठग आमतौर पर निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करते हैं:
- फर्जी वेबसाइट: ठग विभिन्न वित्तीय सेवाओं के लिए फर्जी वेबसाइट बनाते हैं।
- सोशल इंजीनियरिंग: पीड़ित को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करते हैं।
- उच्च रिटर्न का लालच: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उच्च रिटर्न की पेशकश करते हैं।
- फर्जी फोन कॉल: निवेशकों को फोन करके उन्हें धोखा देते हैं।
यह मामला तब सामने आया जब कई निवेशकों ने लंबे समय तक अपनी रकम वापस नहीं मिलने की शिकायत की। दोनों पीड़ितों ने ओडिशा पुलिस के साइबर पुलिस स्टेशन में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराईं।
जांच की प्रक्रिया और कार्रवाई
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच शुरू की। उनके द्वारा किए गए डिजिटल लेन-देन, बैंक खातों और नेटवर्क की गहन जांच चल रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस ठगी में और लोग शामिल थे?
ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है, और इस ठगी के पीछे एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या कोई बड़ा गैंग सक्रिय है, जो इस तरह के अपराधों को अंजाम दे रहा है।
साइबर ठगी से बचाव के उपाय
साइबर ठगी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना जरूरी है:
- विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें: किसी भी निवेश योजना में शामिल होने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करें।
- फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहें: किसी भी वेबसाइट की विश्वसनीयता की जांच करें।
- संवेदनशील जानकारी साझा न करें: कभी भी अपने बैंक विवरण या व्यक्तिगत जानकारी को अनजान लोगों के साथ साझा न करें।
- सुरक्षा सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें: अपने कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस पर सुरक्षा सॉफ़्टवेयर स्थापित करें।
इन सावधानियों का पालन करके आप खुद को साइबर ठगी से बचा सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं।
निष्कर्ष
ओडिशा पुलिस की यह कार्रवाई दर्शाती है कि साइबर अपराध के खिलाफ कानूनी प्रणाली कितनी सक्रिय है। हालांकि, आम जनता को भी चाहिए कि वे सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की निवेश योजना में शामिल होने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करें। इस मामले से हमें यह सीखने को मिलता है कि साइबर ठगी का खतरा किसी भी समय हो सकता है, और इसके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है।
संबंधित वीडियो में इस मामले की और जानकारी मिलेगी: