वराह जयंती 2025: हिरण्याक्ष का वध और भगवान का वराह अवतार

सूची
  1. वराह जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त और तिथि
  2. वराह अवतार का महत्व और पौराणिक कथा
  3. वराह जयंती की पूजा विधि
  4. विशेष आयोजन और मंदिर
  5. वराह अवतार के अन्य पहलु

वराह जयंती 2025: हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह को समर्पित है। इस दिन भक्तजन भगवान वराह की पूजा-अर्चना करते हैं और पाप से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। भगवान विष्णु के वराह अवतार को उद्धारक देवता के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कि इस साल वराह जयंती कब मनाई जाएगी और इसके महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

वराह जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त और तिथि

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस साल वराह जयंती 25 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जिसमें भक्तजन भगवान की पूजा कर सकते हैं।

वराह अवतार का महत्व और पौराणिक कथा

वराह अवतार भगवान विष्णु का एक महत्वपूर्ण अवतार है, जो धरती की रक्षा के लिए लिया गया। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को हरण करके उसे पाताल लोक ले गया। हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप का भाई था, जो अपने अधर्म और आतंक के लिए जाना जाता था। जब धरती को इस संकट से बचाने की आवश्यकता पड़ी, तो भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लिया।

  • वराह ने धरती को अपने खर से उठाया और उसे सुरक्षित स्थान पर रखा।
  • इस अवतार के द्वारा भगवान विष्णु ने न केवल धरती को पुनः प्राप्त किया, बल्कि अधर्म का नाश भी किया।
  • यह कथा धर्म की विजय और अधर्म की हार का प्रतीक है।

इसलिए, वराह जयंती को अधर्म के नाश और धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

वराह जयंती की पूजा विधि

वराह जयंती पर भक्तजन उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन की पूजा विधि निम्नलिखित है:

  1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  2. घर के पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  3. भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. “ॐ वराहाय नमः” या “ॐ श्री वराहाय विष्णवे नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

इस दिन को भक्तजन विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ मनाते हैं, ताकि उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

विशेष आयोजन और मंदिर

वराह जयंती देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं, जैसे:

  • भुवराह स्वामी मंदिर: यह मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमला में स्थित है। यहाँ वराह जयंती पर भगवान विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा को नारियल के पानी से स्नान कराया जाता है।
  • गोपेश्वर मंदिर: उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर में भी वराह जयंती के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
  • वराह मंदिर, पुरी: इस मंदिर में भी भक्तजन बड़ी संख्या में आते हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इन मंदिरों में भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है, जहां वे अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

वराह अवतार के अन्य पहलु

वराह अवतार के संबंध में अनेक पहलु हैं, जिन्हें जानना आवश्यक है:

  • धर्म की रक्षा: वराह अवतार ने धर्म की रक्षा की और पाताल लोक से पृथ्वी को मुक्त किया।
  • प्रकृति के प्रति चेतना: यह अवतार हमें यह सिखाता है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए।
  • आध्यात्मिक उन्नति: वराह अवतार का ध्यान करने से भक्तजन आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं।

इस प्रकार, वराह अवतार न केवल एक धार्मिक कथा है, बल्कि यह जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी उजागर करता है।

भक्तों के लिए यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि वराह जयंती पर विशेष पूजा विधियों और अनुष्ठानों का पालन करने से वे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं।

वराह जयंती की पूजा की विधि और इसके महत्व को समझने के लिए आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जिसमें पूजा विधि को विस्तार से बताया गया है:

इस प्रकार, वराह जयंती का पर्व हमें धर्म, संस्कृति और प्रकृति के प्रति जागरूक करता है, जो हमें अपने जीवन में संतुलन और सुख की ओर अग्रसर करता है।

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