रूस में वर्कफोर्स की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे देश की औद्योगिक और आर्थिक विकास की गति प्रभावित हो रही है। भारतीय पेशेवरों के लिए यहां अनगिनत अवसरों का द्वार खुल रहा है। आइए, इस विषय पर गहराई से नज़र डालते हैं और समझते हैं कि कैसे भारत और रूस के बीच यह संबंध विकसित हो रहा है।
रूस में श्रमिकों की कमी का दृश्य
रूस की मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में कुशल श्रमिकों की भारी कमी देखी जा रही है। मास्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि रूस में भारतीय श्रमिकों की मांग काफी बढ़ रही है। उनके अनुसार, यह स्थिति रूस के पारंपरिक क्षेत्रों से अधिकतर जुड़ी हुई है।
रूस के विभिन्न उद्योगों का कहना है कि उन्हें काम की बढ़ती मात्रा को संभालने के लिए अधिक कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है, और भारत में ऐसे पेशेवरों की भरपूर उपलब्धता है।
क्यों बुलाए जा रहे हैं भारतीय श्रमिक?
रूस सरकार ने 10 लाख विदेशी श्रमिकों को बुलाने की योजना बनाई है, जिसमें भारतीयों की संख्या प्रमुख है। यह निर्णय रूस के उद्योगों की मौजूदा स्थिति और भविष्य के विकास की आवश्यकताओं के आधार पर लिया गया है।
- भारतीय श्रमिकों की तकनीकी विशेषज्ञता
- रूसी कंपनियों में कुशल कार्यबल की कमी
- वाणिज्य दूतावासों की सेवाओं में वृद्धि
राजदूत विनय कुमार ने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय श्रमिक रूस में रोजगार पाने के लिए आ रहे हैं, वाणिज्य दूतावास पर काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। उन्हें पासपोर्ट एक्सटेंशन और अन्य आवश्यक सेवाओं में मदद करने की आवश्यकता होती है।
रूस में 10 लाख विदेशी श्रमिकों के आने की योजना
उरल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख आंद्रे बेसेडिन ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। उनके अनुसार, इस वर्ष के अंत तक भारत सहित अन्य देशों से 10 लाख कुशल श्रमिकों को रूस लाने की योजना है।
यह योजना स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र में भी लागू होगी, जहां भारत का एक नया वाणिज्य दूतावास भी खुल रहा है। यह दूतावास विशेष रूप से भारतीय श्रमिकों की समस्याओं को सुलझाने में मदद करेगा।
रूसी उद्योगों की आवश्यकताएं
रूस के स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र की कंपनियां उत्पादन बढ़ाने के लिए योग्य कर्मचारियों की तलाश में हैं। बेसेडिन ने कहा कि कुछ श्रमिक यूक्रेन में सैन्य अभियान में तैनात हैं, जबकि युवा अब कारखानों में काम करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र, जिसकी राजधानी येकातेरिनबर्ग है, रूस की भारी उद्योग और सैन्य औद्योगिक परिसर का केंद्र है। यहां की कंपनियों को तकनीकी कौशल वाले श्रमिकों की सख्त जरूरत है।
भविष्य की चुनौतियाँ: 2030 तक की आवश्यकताएँ
रूसी श्रम मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 2030 तक देश में कुशल श्रमिकों की कमी 31 लाख तक पहुंच सकती है। इस कमी को पूरा करने के लिए मंत्रालय ने अगले कुछ वर्षों में विदेशी श्रमिकों के कोटे को 1.5 गुना बढ़ाने की योजना बनाई है।
- 2025 में कोटा 2.3 लाख करने की योजना
- स्वदेशी कुशल श्रमिकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता
- अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की महत्वता
भारत और रूस के बीच मजबूत होते संबंध
भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने इन्हें और भी प्रगाढ़ किया है। भारतीय श्रमिकों की रूस में बढ़ती जरूरत इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ सकता है।
इसके साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत और रूस मिलकर तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान दें, ताकि भारत के युवा पेशेवर रूस के उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और प्रतिस्पर्धा
रूस की जरूरतें केवल भारतीयों तक सीमित नहीं हैं; अन्य देशों से भी कुशल श्रमिकों को बुलाने की योजना बनाई जा रही है। ऐसे में भारत को अपनी प्रतिस्पर्धा और स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे।
यहां कुछ बिंदु हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है:
- कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार
- रूसी भाषा और संस्कृति की समझ बढ़ाना
- व्यावसायिक नेटवर्क विकसित करना
भारत और रूस के बीच यह विकासशील संबंध न केवल पेशेवरों के लिए नए अवसर लाएगा, बल्कि दोनों देशों की आर्थिक स्थितियों को भी मजबूत करेगा। इस संदर्भ में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे यह सहयोग भविष्य में आकार लेता है।
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