भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा योगदान देगा। यह निर्णय 76 नौसैनिक उपयोगी हेलिकॉप्टरों (Naval Utility Helicopters - NUH) की खरीद से संबंधित है, जो समुद्री सुरक्षा, खोज और बचाव, और आपदा राहत कार्यों को सुविधाजनक बनाएंगे।
इस खरीद का उद्देश्य केवल नए हेलिकॉप्टरों का अधिग्रहण करना नहीं है, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी बढ़ावा देना है। हेलिकॉप्टरों के साथ सिमुलेटर और अन्य संबंधित उपकरणों की भी खरीद की जाएगी, जिससे भारतीय रक्षा उद्योग को एक नई दिशा मिल सकेगी।
नौसैनिक उपयोगी हेलीकॉप्टर (NUH) की भूमिका
नौसैनिक उपयोगी हेलिकॉप्टर (NUH) बहुआयामी कार्यों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की कई आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। ये हेलिकॉप्टर पुराने चेतक हेलिकॉप्टरों का स्थान लेंगे, जो अब अपनी उम्र के कारण प्रभावशीलता खो चुके हैं।
इन हेलिकॉप्टरों का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:
- समुद्री खोज और बचाव (SAR): समुद्र में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर लाने का कार्य।
- चिकित्सा निकासी (CASEVAC/MEDEVAC): घायल सैनिकों या नागरिकों को तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए स्थानांतरित करना।
- संचार और परिवहन: यात्रियों एवं सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना।
- कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (LIMO): समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना, जैसे तस्करी और आतंकवाद को रोकना।
- मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्यों का संचालन।
- हवाई अग्निशमन: आग बुझाने के कार्य के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग।
विशेषताएँ और तकनीकी मानक
रक्षा मंत्रालय ने इन हेलिकॉप्टरों के लिए कुछ विशेष तकनीकी और परिचालन मानक निर्धारित किए हैं। ये मानक सुनिश्चित करते हैं कि हेलिकॉप्टर विभिन्न प्रकार के संचालन में सक्षम हों।
- वजन: अधिकतम 5,500 किलोग्राम।
- इंजन: दो इंजनों वाले हेलिकॉप्टर, जो समुद्री उड़ान के लिए सुरक्षित हों।
- रोटर सिस्टम: आर्टिकुलेटेड रोटर सिस्टम और व्हील्ड लैंडिंग गियर।
- ब्लेड फोल्डिंग: जहाज के हैंगर में आसान स्टोरेज के लिए ब्लेड फोल्ड करने की सुविधा।
- हर मौसम में काम: सभी मौसमों में संचालन की क्षमता।
- हथियार: 12.7 मिमी भारी मशीन गन और 7.62 मिमी मध्यम मशीन गन से लैस।
इन हेलिकॉप्टरों के साथ सिमुलेटर और प्रशिक्षण उपकरण भी उपलब्ध होंगे, ताकि चालक दल और रखरखाव कर्मियों को उचित प्रशिक्षण दिया जा सके।
खरीद की प्रक्रिया
रक्षा मंत्रालय ने हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई है, जो पारदर्शिता और कार्यक्षमता को सुनिश्चित करती है।
- जानकारी के लिए अनुरोध (RFI): कंपनियों को अपने प्रस्ताव 17 अक्टूबर 2025 तक नौसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में प्रस्तुत करने होंगे।
- तकनीकी मूल्यांकन: प्रस्तावों का मूल्यांकन एक तकनीकी मूल्यांकन समिति द्वारा किया जाएगा।
- फील्ड मूल्यांकन परीक्षण (FET): चयनित हेलिकॉप्टरों का भारत में परीक्षण किया जाएगा।
- अंतिम चयन: नौसेना मुख्यालय द्वारा अंतिम मूल्यांकन के बाद चयन किया जाएगा।
कंपनियों को लंबे समय तक स्पेयर पार्ट्स, रखरखाव उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करनी होगी। ऐसे में, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) के माध्यम से इन हेलिकॉप्टरों का भारत में निर्माण किया जाएगा, जिससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
‘बाय एंड मेक (इंडियन)’ का दृष्टिकोण
यह खरीद ‘बाय एंड मेक (इंडियन)’ श्रेणी के तहत हो रही है, जिसका अर्थ है कि कुछ हेलिकॉप्टर सीधे खरीदे जाएंगे, जबकि अन्य का निर्माण भारत में होगा। यह न केवल नौसेना और तटरक्षक बल की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय कंपनियों को भी लाभान्वित करेगा।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, भारत फोर्ज, रिलायंस डिफेंस, महिंद्रा एयरोस्पेस और L&T जैसी कंपनियां विदेशी साझेदारियों के माध्यम से इन हेलिकॉप्टरों का निर्माण कर सकती हैं। यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की पहल को मजबूती प्रदान करेगा।
पुराने हेलीकॉप्टरों के स्थान पर नई तकनीक
भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल वर्तमान में चेतक और एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर का उपयोग कर रहे हैं, जो अब अपनी उम्र के कारण अप्रचलित हो गए हैं। चेतक हेलिकॉप्टर समुद्री उड़ान के लिए सुरक्षित नहीं माने जाते हैं, जिससे नए, आधुनिक हेलिकॉप्टरों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
रणनीतिक महत्व और सुरक्षा
यह खरीद भारत की समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारत का 7,500 किलोमीटर लंबा तट और 2.02 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है, जो मजबूत समुद्री निगरानी की आवश्यकता को दर्शाता है।
ये हेलिकॉप्टर निम्नलिखित तरीकों से भारत की रक्षा को मजबूत करेंगे:
- तटीय सुरक्षा: समुद्री तस्करी, आतंकवाद, और अवैध गतिविधियों को रोकने में सहायता।
- आपदा राहत: प्राकृतिक आपदाओं में त्वरित राहत कार्यों का संचालन।
- समुद्री निगरानी: संदिग्ध जहाजों और ड्रोन पर नजर रखना।
- आत्मनिर्भरता: स्वदेशी निर्माण से रक्षा उद्योग का विकास और रोजगार के अवसर।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की दिशा
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, भारतीय रक्षा बलों ने अपने खरीद प्रक्रियाओं में तेजी लाई है। यह खरीद भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की योजना का एक हिस्सा है, जिसमें 2050 तक 200 जहाजों और 500 विमानों के बेड़े का लक्ष्य रखा गया है।
यह कदम तब आया है जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना की गतिविधियां बढ़ रही हैं। नए हेलिकॉप्टरों से नौसेना और तटरक्षक बल की स्थिति को मजबूत करने में सहायता मिलेगी, और यह भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करेगा जो आधुनिक समुद्री रक्षा तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
यहां एक वीडियो है जो इस खरीद के महत्व और इसके संभावित प्रभावों को और अधिक स्पष्ट करता है:



