मुस्लिम देश में लड़के को लड़के से प्यार पर इस्लामिक कानून विवाद

सूची
  1. आचे प्रांत में कोड़ों की सजा का मामला
  2. आचे की शरिया पुलिस की कार्रवाई
  3. मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
  4. बाथरूम में पकड़े जाने की घटना
  5. आचे में नैतिक अपराधों के लिए कोड़ों की सजा
  6. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया

इंडोनेशिया, जो कि दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है, अपने धार्मिक नियमों और शरिया कानून के लिए जाना जाता है। हाल ही में इस देश के आचे प्रांत में एक विवादास्पद घटना ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है। यहाँ दो युवा लड़कों को समलैंगिक संबंध बनाने के आरोप में सार्वजनिक रूप से कोड़ों से सजा दी गई। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बहस का विषय बन चुकी है।

आचे प्रांत में कोड़ों की सजा का मामला

इंडोनेशिया के आचे प्रांत में, मंगलवार को दो लड़कों को 76-76 कोड़े मारे गए। यह सजा एक शरिया अदालत द्वारा उन पर समलैंगिक संबंध बनाने का दोषी पाए जाने के बाद दी गई। प्रारंभ में अदालत ने उन्हें 80 कोड़े मारने की सजा सुनाई थी, लेकिन चार महीने की हिरासत के बाद सजा में चार कोड़े कम कर दिए गए।

इस घटना ने ऐतिहासिक संदर्भ को भी उजागर किया है, जहां आचे प्रांत में शरिया कानून की कठोरता और उसके सामाजिक प्रभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यहाँ केवल समलैंगिकता ही नहीं, बल्कि अन्य नैतिक अपराधों के लिए भी सजा दी जाती है, जैसे कि विवाह से इतर संबंध बनाना और जुआ खेलना।

आचे की शरिया पुलिस की कार्रवाई

आचे की शरिया पुलिस ने बताया कि यह घटना तब प्रकाश में आई जब दोनों लड़के एक सार्वजनिक शौचालय में एक साथ पाए गए। रोसलीना ए. जलील, जो कि कानून प्रवर्तन प्रमुख हैं, ने कहा कि एक स्थानीय नागरिक ने उनकी गतिविधियों की सूचना दी थी।

  • दोनों लड़के बाथरूम में गले लगाते और किस करते पकड़े गए।
  • आठ अन्य लोगों को भी अलग-अलग अपराधों के लिए कोड़े मारे गए।
  • इनमें तीन महिलाएं और पांच पुरुष शामिल थे।

यहां तक कि अपराध का तथाकथित प्रमाण केवल एक नागरिक की गवाही पर आधारित था, जो कि इस मामले की गंभीरता को और बढ़ाता है।

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस सजा की कड़ी निंदा की है। उनके क्षेत्रीय रिसर्च डायरेक्टर मोंटेस फेरर का कहना है कि समलैंगिकता को अपराध मानना एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

आचे में स्थानीय लोगों के बीच शरिया कानून के प्रति समर्थन में वृद्धि हो रही है, जो कि इस कानून के क्रियान्वयन को सही ठहराता है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह मानवाधिकारों के उल्लंघन की दिशा में एक कदम और बढ़ाता है।

बाथरूम में पकड़े जाने की घटना

अगस्त में, आचे प्रांत की शरिया अदालत ने दोनों लड़कों को कोड़े मारने की सजा सुनाई थी। इन लड़कों को सार्वजनिक शौचालय में एक साथ गले लगाते और किस करते हुए पकड़ा गया था। इस मामले की सुनवाई बंद दरवाजों के पीछे हुई, लेकिन अदालत ने केवल सजा सुनाने के लिए सार्वजनिक रूप से उपस्थित होने का निर्णय लिया।

मुख्य न्यायाधीश रोखमादी एम. हम ने कहा कि दोनों कॉलेज छात्र शरिया कानून का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाए गए हैं। अभियोजकों ने पहले उन्हें 85 कोड़े मारने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने सजा में छूट दी।

आचे में नैतिक अपराधों के लिए कोड़ों की सजा

आचे प्रांत में नैतिक अपराधों के लिए आमतौर पर 100 कोड़े मारने की सजा दी जाती है। इस कानून के तहत विवाह से इतर संबंध बनाना, जुआ खेलना, शराब पीना, और यहां तक कि तंग कपड़े पहनना भी दंडनीय अपराध माने जाते हैं।

  • शराब पीना
  • शादी से पहले संबंध रखना
  • जुआ खेलना
  • धार्मिक अनुष्ठान का पालन न करना

यह ध्यान देने योग्य है कि इंडोनेशिया की धर्मनिरपेक्ष केंद्र सरकार ने आचे को यह कानून लागू करने का अधिकार 2006 में दिया था। फिर 2015 में, इसे गैर-मुसलमानों पर भी लागू किया गया, जो कि प्रांत की कुल जनसंख्या का लगभग 1 प्रतिशत हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने आचे के कानूनों पर चिंता व्यक्त की है। मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस तरह की सजा केवल कानून को लागू करने का एक साधन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है, जो कि समलैंगिकता के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।

इस प्रकार की घटनाएँ न केवल आचे प्रांत में, बल्कि अन्य मुस्लिम देशों में भी समान मुद्दों को उजागर करती हैं। समलैंगिकता और LGBTQ+ अधिकारों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता एक वैश्विक चुनौती बनती जा रही है।

इस घटना ने न केवल आचे में, बल्कि पूरे विश्व में समलैंगिक अधिकारों पर चर्चा को फिर से जीवित कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस तरह की सजा पूरी मानवता के लिए एक संकेत है, कि हमें समानता और अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए।

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