मुंबई की 100 साल पुरानी बेकरियों की ग्रीन फ्यूल चुनौतियाँ

सूची
  1. बेकर्स की मुख्य परेशानियाँ
  2. विशेष खर्च और आवश्यक बदलाव
  3. कोर्ट का कड़ा आदेश
  4. बदलाव की वर्तमान स्थिति

मुंबई की पुरानी बेकरीज, जो सदियों से शहर के खाने का एक अभिन्न हिस्सा रही हैं, अब एक गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बढ़ते महत्व के बीच, अदालत के आदेश ने इन बेकरीज के संचालन के तरीके को एक नई दिशा में मोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि लकड़ी और कोयले से चलने वाले ओवन अब शहर में अनुमति नहीं दिए जाएंगे। सभी बेकरीज को क्लीन एनर्जी जैसे गैस, बिजली या अन्य ग्रीन फ्यूल पर शिफ्ट करना होगा। यह निर्णय सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में लिया गया है, और अदालत ने विस्तार की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है।

बेकर्स की मुख्य परेशानियाँ

मुंबई की 120 साल पुरानी कायनी बेकरी के पार्टनर फारुख शौकरी ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि दक्षिण मुंबई में गैस पाइपलाइन की अनुपलब्धता एक बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ओवन की कीमतें इतनी अधिक हैं कि छोटे बेकर्स के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल है।

  • गैस पाइपलाइन की कमी
  • इलेक्ट्रिक ओवन की उच्च लागत
  • एलपीजी सिलेंडरों की सीमित क्षमता
  • मकान मालिक और BMC से अनुमति की आवश्यकता
  • बिजनेस बंद होने का डर

फारुख का सवाल है कि एलपीजी सिलेंडरों पर निर्भर रहने की स्थिति में कितने सिलेंडर को स्टोर किया जा सकता है। उन्हें यह भी चिंता है कि कहीं उनके व्यवसाय को बंद करना न पड़े।

विशेष खर्च और आवश्यक बदलाव

यजदानी बेकरी के मालिक पेरजोन जेंड ने भी इसी तरह की चिंताएँ व्यक्त की हैं। उनका कहना है कि ग्रीन फ्यूल अपनाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके लिए उन्हें समय चाहिए। बेकरी की भट्टी और चिमनी को तोड़ना, साथ ही फ्लोरिंग को बदलना है, जिससे लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आएगा।

वे कहते हैं कि लकड़ी से चलने वाली भट्टी सस्ती होती है, जहां एक ट्रक लकड़ी 6,500 रुपये में मिलती है और यह 10 दिन तक चलती है। जबकि, एक 19 किलो का एलपीजी सिलेंडर केवल 1-2 दिन चलता है। यह लागत दोगुनी से भी अधिक हो जाएगी, जिससे ब्रेड की कीमतों पर भी असर पड़ेगा।

कोर्ट का कड़ा आदेश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बेकर्स की समस्याएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा इससे कहीं अधिक प्राथमिकता रखती है। अदालत ने बेरोजगारी या व्यापारिक समस्याओं के तर्क को खारिज करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य को कोई भी खतरा नहीं उठाया जा सकता।

बदलाव की वर्तमान स्थिति

मुंबई में अब तक 573 बेकरी चालू हैं। इनमें से:

  • 187 बेकरी पहले ही ग्रीन फ्यूल पर शिफ्ट हो चुकी हैं।
  • 74 बेकरी अभी ट्रांजिशन की प्रक्रिया में हैं।
  • बाकी बेकरीज को जल्द ही बदलाव करना होगा, अन्यथा उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

यह स्पष्ट है कि बेकरी उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। पुराने तरीकों से नई तकनीकों की ओर बढ़ना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह शहर की स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अनिवार्य है। हालांकि, इसके लिए एक ठोस योजना और उचित संसाधनों की आवश्यकता होगी, ताकि इस परिवर्तन को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।

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