महिला बैडमिंटन कोच की विदाई पर भावुक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

सूची
  1. सुनीता अटवाल का कोचिंग करियर
  2. खिलाड़ियों की भावनाएं और यादें
  3. ग्रासरूट स्तर पर खिलाड़ी तैयार करना
  4. खिलाड़ियों के अनुभव और प्रशंसा
  5. खेल और उसके प्रभाव

दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में महिला बैडमिंटन हाई परफॉर्मेंस कोच सुनीता अटवाल की रिटायरमेंट ने खेल जगत में एक गहरा सन्नाटा पैदा कर दिया। उनके 38 वर्षों के समर्पित करियर ने न केवल उन्हें एक सफल कोच बनाया, बल्कि उन्होंने देश को कई बेहतरीन खिलाड़ी भी दिए। इस अवसर पर, उनके समर्पण और प्रभाव को याद करते हुए, कई पूर्व और वर्तमान खिलाड़ी भावुक हो गए।

सुनीता अटवाल ने अपने करियर में उन खिलाड़ियों को तराशा है जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और जिनके पास संसाधनों की कमी थी। उन्होंने उन्हें न केवल कोचिंग दी, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान किया। इस लेख में, हम सुनीता अटवाल के योगदान, उनकी कोचिंग पद्धतियों, और उन खिलाड़ियों के अनुभवों पर चर्चा करेंगे जिन्होंने उनके मार्गदर्शन में सफलता पाई।

सुनीता अटवाल का कोचिंग करियर

सुनीता अटवाल का करियर 38 सालों का एक अद्भुत सफर है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाड़ियों को ग्रासरूट स्तर से ट्रेनिंग देकर उन्हें उच्चतम स्तर तक पहुंचाया। उनका मानना था कि सही दिशा और मार्गदर्शन से कोई भी बच्चा एक बेहतरीन खिलाड़ी बन सकता है।

कुछ मुख्य बिंदु जो उनके कोचिंग करियर को परिभाषित करते हैं:

  • प्रतिभा की पहचान: सुनीता में युवाओं की प्रतिभा को पहचानने की असाधारण क्षमता थी।
  • समर्पण: उन्होंने हर बच्चे को समान अवसर देने का प्रयास किया, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
  • अनुशासन: उन्होंने हमेशा अपने खिलाड़ियों को अनुशासन सिखाया, जो खेल में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मनोबल बढ़ाना: उनके सकारात्मक दृष्टिकोण ने खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का हौसला दिया।

खिलाड़ियों की भावनाएं और यादें

सुनीता अटवाल की विदाई पर कई खिलाड़ियों ने अपनी भावनाएं साझा कीं। भारत की पूर्व अंतरराष्ट्रीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी मधुमिता बिष्ट ने कहा, "सुनीता मैम के साथ बिताया हर पल मेरे लिए अनमोल है। उनकी सकारात्मक ऊर्जा और मददगार स्वभाव ने हमेशा मुझे प्रेरित किया।" इस तरह की भावनाएं कई खिलाड़ियों के दिल में बसी हुई हैं।

नीरू चौहान, पूर्व नंबर एक खिलाड़ी, ने कहा कि "खेल किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुनीता मैम ने अपने कोचिंग करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।"

ग्रासरूट स्तर पर खिलाड़ी तैयार करना

सुनीता अटवाल ने हमेशा जमीनी स्तर पर काम करने को प्राथमिकता दी। उन्होंने उन बच्चों को ट्रेनिंग दी जो अन्यथा खेल जगत में स्थान नहीं बना पाते। उनका मानना था कि हर बच्चे में प्रतिभा होती है, जिसे सही दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

उनकी कोचिंग शैली में शामिल थे:

  • खुला आमंत्रण: उन्होंने हमेशा कहा, "आओ, खेलो... मोस्ट वेलकम।" यह शब्द बच्चों को कोर्ट में आने के लिए प्रेरित करते थे।
  • सकारात्मकता: उनका सकारात्मक दृष्टिकोण बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाता था।
  • समर्थन: उन्होंने कभी किसी बच्चे को खेलने से नहीं रोका, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कैसी भी हो।

खिलाड़ियों के अनुभव और प्रशंसा

राजीव शर्मा, वर्तमान नेशनल और वर्ल्ड चैंपियन, ने कहा, "जब भी मैं यहां आता हूं, मैं उनकी मुस्कान को याद करता हूं। उन्होंने हमें हमेशा प्रोत्साहित किया और हमसे अनुशासन सिखाया।" उनके द्वारा दिए गए समर्थन ने कई बच्चों को अपने सपनों को साकार करने में मदद की।

रुद्र कौशिक, पूर्व नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी, ने कहा, "मैं आज जहां हूं, उसमें सुनीता मैम का बड़ा योगदान है। उन्होंने मुझे एडमिशन दिलवाया और हर कदम पर मेरा साथ दिया।"

खेल और उसके प्रभाव

सुनीता अटवाल का मानना था कि खेल केवल शारीरिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह व्यक्तित्व विकास में भी मदद करता है। खेल से बच्चे न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनते हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और टीम भावना भी विकसित होती है।

खेल के कुछ प्रमुख लाभ हैं:

  • शारीरिक स्वास्थ्य: नियमित खेल गतिविधि से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • मानसिक विकास: खेल बच्चों में मानसिक संतुलन और फोकस बढ़ाता है।
  • समाज में एकता: खेल के माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमियों के बच्चे एक साथ आते हैं।

सुनीता अटवाल के योगदान और उनके दृष्टिकोण ने बैडमिंटन के क्षेत्र में अनगिनत खिलाड़ियों को सफलता की सीढ़ी चढ़ने में मदद की है। उनकी विदाई से पैदा हुआ खालीपन लंबे समय तक महसूस किया जाएगा, लेकिन उनका प्रभाव हमेशा खिलाड़ियों के दिलों में जिंदा रहेगा।

इस विदाई के साथ, खेल जगत ने एक अद्भुत कोच को खो दिया है, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए खिलाड़ियों की सफलता उनके कार्यों की गूंज को बनाए रखेगी।

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