महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में ऐप-आधारित परिवहन सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए नए नियमों का प्रस्ताव रखा है। ये नियम ओला, ऊबर और ई-रिक्शा जैसे एग्रीगेटर्स को प्रभावित करने के लिए हैं और इनका उद्देश्य यात्री सुरक्षा, पारदर्शिता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना है। आइए, इन नियमों के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र डालते हैं।
नए नियमों का उद्देश्य और प्रभाव
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम परिवहन क्षेत्र में अनुशासन और सुरक्षा लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। नए नियमों के माध्यम से, सरकार ने निम्नलिखित उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित किया है:
- सर्ज प्राइसिंग पर नियंत्रण
- किराए में वृद्धि को सीमित करना
- ड्राइवरों के काम के घंटे को नियंत्रित करना
- यात्रियों के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करना
- दिव्यांग यात्रियों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करना
इन नियमों के लागू होने से न केवल यात्रियों का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि ड्राइवरों के लिए भी सुरक्षा और संतोष का एक नया मानक स्थापित होगा।
सर्ज प्राइसिंग और किराए पर नई सीमाएं
ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, सर्ज प्राइसिंग को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (RTA) द्वारा निर्धारित मूल किराए के 1.5 गुना से अधिक नहीं होने दिया जाएगा। इसके अलावा, निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु भी शामिल हैं:
- कम मांग के समय किराए को मूल दर के 25% से नीचे नहीं रखा जा सकता।
- यात्रियों से लिए जाने वाले सुविधा शुल्क को मूल किराए के 5% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- कुल कटौती 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इन नए प्रावधानों के साथ, सरकार ने यात्रियों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखा है, जिससे उन्हें अधिक पारदर्शी और उचित किराए पर यात्रा करने का अवसर मिलेगा।
ड्राइवरों के लिए कार्य समय और प्रशिक्षण
नए नियमों में ड्राइवरों के कार्य समय को भी सीमित किया गया है। निम्नलिखित प्रावधान लागू होंगे:
- ड्राइवरों को रोजाना अधिकतम 12 घंटे तक ही ऐप में लॉग इन रहने की अनुमति होगी।
- इसके बाद, उन्हें 10 घंटे का अनिवार्य आराम लेना होगा।
- ऑनबोर्डिंग से पहले, ड्राइवरों को 30 घंटे का ओरिएंटेशन और मोटिवेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम पूरा करना होगा।
- दो स्टार से कम औसत रेटिंग वाले ड्राइवरों को सुधारात्मक प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।
इस पहल का उद्देश्य न केवल ड्राइवरों की कार्य क्षमता बढ़ाना है, बल्कि उन्हें व्यावसायिक रूप से सशक्त बनाना भी है।
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाएं
यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए, नए नियमों में कई प्रावधान शामिल किए गए हैं:
- ड्राइवर को राइड स्वीकार करने से पहले यात्री का गंतव्य नहीं दिखना चाहिए।
- एग्रीगेटर ऐप्स को लाइव लोकेशन शेयरिंग और ट्रिप स्टेटस ट्रैकिंग की अनुमति देनी होगी।
- यात्रियों को ₹5 लाख तक का यात्रा बीमा कवरेज प्रदान करना अनिवार्य होगा।
ये नियम यात्रियों को बेहतर सुरक्षा और सुविधा प्रदान करने में सहायक होंगे, जिससे उन्हें यात्रा के दौरान अधिक सुरक्षा का अनुभव होगा।
नए लाइसेंस और शुल्क संरचना
एग्रीगेटर्स को राज्य परिवहन प्राधिकरण (STA) या RTA से नया लाइसेंस प्राप्त करने के लिए विभिन्न शुल्कों का भुगतान करना होगा:
- नया लाइसेंस: ₹10 लाख
- नवीनीकरण के लिए: ₹25,000
- सुरक्षा जमा: 1,000 वाहनों तक के लिए ₹10 लाख, 10,000 वाहनों तक के लिए ₹25 लाख, और 10,000 से अधिक वाहनों के लिए ₹50 लाख।
इस नई शुल्क संरचना के माध्यम से, सरकार एग्रीगेटर्स से बेहतर सेवा और गुणवत्ता की अपेक्षा कर रही है।
वाहनों की आयु और भाषा संबंधी प्रावधान
नए नियमों के तहत, केवल उन वाहनों को संचालन की अनुमति होगी, जो निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हैं:
- ऑटो और कैब के लिए: नौ साल से कम पुराने वाहन।
- बसों के मामले में: आठ साल से कम पुराने वाहन।
इसके अलावा, एग्रीगेटर ऐप्स को मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध होना भी अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी यात्रियों को सेवा मिल सके, चाहे उनकी भाषा कुछ भी हो।
राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि यह नियम ड्राइवरों के शोषण को रोकने और सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करेंगे। इन परिवर्तनों का उद्देश्य न केवल सेवा में सुधार करना है, बल्कि यात्रियों और ड्राइवरों के बीच एक स्वस्थ संबंध स्थापित करना भी है।
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