भारत में 5वीं पीढ़ी फाइटर जेट के लिए फ्रांस से इंजन मदद

सूची
  1. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की विशेषताएं
  2. सैफरॉन के साथ भारत की साझेदारी
  3. AMCA: भारत का स्टील्थ सपना
  4. स्वदेशी इंजन की आवश्यकता
  5. भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग
  6. तेजस: आत्मनिर्भरता का प्रतीक
  7. मेक इन इंडिया और वैश्विक भूमिका
  8. चुनौतियां और भविष्य

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत अब पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft) बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस कड़ी में, इन विमानों के लिए आवश्यक इंजन भी भारत में ही निर्मित किए जाएंगे, जो फ्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी सैफरॉन (Safran) के सहयोग से होगा। यह घोषणा न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि अमेरिका को भी एक स्पष्ट संदेश भेजती है, जो तेजस के लिए इंजन देने में देरी कर रहा है।

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की विशेषताएं

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को आधुनिक युद्ध के लिए अत्याधुनिक तकनीक के साथ डिज़ाइन किया गया है। इनकी कुछ प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं:

  • स्टील्थ तकनीक: ये विमानों का डिज़ाइन ऐसा होता है कि ये दुश्मन के रडार से बच सकते हैं, जिससे उनकी पहचान में कमी आती है।
  • सुपरक्रूज़: ये विमानों को बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने की क्षमता प्रदान करता है।
  • सेंसर फ्यूजन: ये तकनीक विभिन्न सेंसरों से जानकारी को एकत्रित करके पायलट को बेहतर स्थिति की समझ और निशाना लगाने की क्षमता प्रदान करती है।
  • आंतरिक हथियार बे: इसमें हथियार विमान के अंदर रखे जाते हैं, जिससे स्टील्थ क्षमता में वृद्धि होती है।
  • उन्नत एवियोनिक्स: ये विमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नेटवर्क-आधारित युद्ध प्रणालियों से लैस होते हैं, जो उन्हें लड़ाई में अधिक सक्षम बनाते हैं।

भारत का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) इसी श्रेणी का एक विमान होगा, जो हवा में वर्चस्व स्थापित करने और गहरे हमले करने में सक्षम होगा। इसका वजन लगभग 25 टन होगा और इसे ट्विन-इंजन डिज़ाइन के साथ विकसित किया जा रहा है।

सैफरॉन के साथ भारत की साझेदारी

भारत ने AMCA के लिए इंजन बनाने के लिए सैफरॉन कंपनी को चुना है, जो फ्रांस की एक प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी है। सैफरॉन वर्तमान में राफेल लड़ाकू विमान के लिए M88 इंजन का निर्माण करती है। इस साझेदारी की कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:

  • 120 किलो न्यूटन (kN) इंजन: यह नया इंजन AMCA के Mk-2 वेरिएंट को शक्ति प्रदान करेगा, जो विश्व के सबसे शक्तिशाली इंजनों में से एक होगा।
  • 100% तकनीक हस्तांतरण (ToT): सैफरॉन भारत को इंजन डिज़ाइन, विकास और उत्पादन की पूरी तकनीक प्रदान करेगी, जिससे भारत को बौद्धिक संपदा (IP) का पूरा नियंत्रण मिलेगा।
  • स्वदेशी उत्पादन: यह इंजन भारत में निर्मित होगा, जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
  • लंबी अवधि का प्रोजेक्ट: इंजन के विकास में लगभग 10 साल लग सकते हैं, और इसे DRDO और उसकी गैस टरबाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) के सहयोग से विकसित किया जाएगा।
  • एयरोस्पेस इकोसिस्टम: सैफरॉन ने भारत में एक व्यापक इंजन निर्माण इकोसिस्टम बनाने की योजना बनाई है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला और रखरखाव सुविधाएं शामिल होंगी।

राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह साझेदारी भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

AMCA: भारत का स्टील्थ सपना

एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और निजी कंपनियों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना की प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • दो वेरिएंट:
    • Mk-1: शुरुआती मॉडल में GE-414 इंजन (98 kN) का उपयोग होगा, जो अमेरिका से आयात किया जाएगा।
    • Mk-2: उन्नत मॉडल में सैफरॉन का 120 kN इंजन होगा, जिसे भारत में विकसित किया जाएगा।
  • उत्पादन: 2035 तक भारतीय वायुसेना में 7 स्क्वाड्रन (126 विमान) शामिल किए जाने की योजना है।
  • लागत: प्रोटोटाइप और डिज़ाइन के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
  • विशेषताएं: स्टील्थ, सुपरक्रूज़, आंतरिक हथियार बे और उन्नत सेंसर शामिल हैं।

AMCA भारत की हवाई ताकत को बढ़ाएगा और इसे चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के विरुद्ध रणनीतिक बढ़त दिलाएगा।

स्वदेशी इंजन की आवश्यकता

भारत लंबे समय से लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर रहा है, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। उदाहरण के लिए:

  • तेजस Mk-1A: GE-F404 इंजन (अमेरिका) का उपयोग करता है।
  • तेजस Mk-2: GE-F414 इंजन (अमेरिका) का उपयोग करेगा।
  • राफेल: M88 इंजन (सैफरॉन, फ्रांस) का उपयोग किया जाता है।
  • सु-30 MKI: AL-31 इंजन (रूस) का उपयोग किया जाता है।

विदेशी इंजनों की आपूर्ति में देरी और रखरखाव की लागत ने भारत के लिए चुनौती पेश की है। उदाहरण के लिए, GE-F404 इंजनों की डिलीवरी में दो वर्षों की देरी ने तेजस Mk-1A के उत्पादन को धीमा कर दिया। इसके अलावा, कावेरी इंजन परियोजना, जो भारत का स्वदेशी इंजन बनाने का प्रयास था, पर्याप्त शक्ति (थ्रस्ट) न दे पाने के कारण असफल रही।

सैफरॉन के साथ यह साझेदारी भारत को निम्नलिखित लाभ प्रदान करेगी:

  • आत्मनिर्भरता: यह विदेशी निर्भरता को कम करेगी।
  • नौकरियां: हजारों उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन होगा।
  • निर्यात: भविष्य में भारत इंजन का निर्यात कर सकता है।
  • तकनीकी विकास: उन्नत तकनीकों जैसे क्रिस्टल ब्लेड, लेजर ड्रिलिंग और हॉट-एंड कोटिंग में महारत हासिल होगी।

भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग

भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पहले से ही मजबूत है। कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण शामिल हैं:

  • राफेल डील: भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल विमान हैं।
  • हेलिकॉप्टर इंजन: सैफरॉन और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 400 हेलिकॉप्टर इंजन बनाए हैं।
  • MRO सेंटर: सैफरॉन ने हैदराबाद में M88 इंजनों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) केंद्र स्थापित किया है।

2022 में सैफरॉन के CEO ओलिवियर एंड्रिएस और राजनाथ सिंह की मुलाकात में इस साझेदारी की नींव रखी गई थी। अब यह साझेदारी होराइजन 2047 रोडमैप का हिस्सा है, जो भारत-फ्रांस के रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करेगा।

तेजस: आत्मनिर्भरता का प्रतीक

राजनाथ सिंह ने तेजस लड़ाकू विमान को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। हाल ही में, 97 तेजस विमानों के लिए 66,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर HAL को दिया गया। इससे पहले, 83 विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया था।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है और वह लड़ाकू विमानों के निर्माण में पूरी क्षमता हासिल करेगा।

मेक इन इंडिया और वैश्विक भूमिका

राजनाथ सिंह ने वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश करने का आमंत्रण दिया है। उन्होंने कहा है कि मेक इन इंडिया सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। भारत ने पिछले दशक में रक्षा निर्यात को 686 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़ाकर 23,622 करोड़ रुपये (2024-25) तक पहुंचाया है। 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।

सैफरॉन के साथ यह साझेदारी भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता बनाने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कहा था कि हमें प्रणोदन, सेमीकंडक्टर और AI जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों में आत्मनिर्भर होना होगा। यह प्रोजेक्ट उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

चुनौतियां और भविष्य

हालांकि, इस परियोजना के आगे कई चुनौतियां हैं:

  • चुनौतियां: इंजन बनाना एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है। इसकी लागत 7 बिलियन डॉलर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये) तक हो सकती है।
  • अवसर: यह प्रोजेक्ट भारत को एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में विश्व नेता बनाने में मदद करेगा। यह उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा औद्योगिक गलियारों को बढ़ावा देगा।

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