क्रिकेट, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच के मैच, हमेशा से एक गंभीर विषय रहे हैं। इन मैचों के दौरान न केवल खेल की भावना दर्शाई जाती है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे भी सतह पर आते हैं। हाल ही में, शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एशिया कप में होने वाले भारत-पाकिस्तान मैच के लाइव प्रसारण को रोकने की मांग की है। आइए इस मुद्दे की गहराई में जाकर समझते हैं कि क्यों यह विषय इतना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है।
प्रियंका चतुर्वेदी की मांग: भारत-पाकिस्तान मैच का लाइव प्रसारण रोका जाए
शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि अगले महीने होने वाले एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच का लाइव प्रसारण न किया जाए। उन्होंने यह बात उस समय कही जब उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की बात की। चतुर्वेदी का मानना है कि पाकिस्तान के खिलाफ खेलना सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ है।
चतुर्वेदी ने केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में कहा है कि यह मामला न केवल खेल का है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जन भावनाओं से भी जुड़ा है। यह मांग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ समय से भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों में तनाव बढ़ा है, और ऐसे में खेलों का आयोजन एक संवेदनशील विषय बन जाता है।
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति
प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने पत्र में खास तौर पर पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराना था। उनकी राय में, यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ खेलता है, तो यह अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ होगा।
- पाकिस्तान से आतंकवाद का समर्थन: भारत ने हमेशा से पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
- जीरो टॉलरेंस नीति: यह नीति भारत सरकार की एक ठोस रणनीति है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है।
- आत्मसम्मान की रक्षा: खेल के जरिए आतंकवादियों के समर्थन वाले देश के खिलाफ खड़ा होना भारत के आत्मसम्मान की रक्षा करता है।
चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि भारत सरकार ने एक बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को विदेशों में भेजकर यह संदेश दिया था कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी प्रकार की नरमी नहीं दिखाएगा। उन्होंने खुद उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने की बात कही, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।
बीसीसीआई और खेल मंत्रालय की भूमिका
प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और खेल मंत्रालय की भी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थाएं एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच आयोजित करने पर अड़ी हुई हैं, जबकि यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। चतुर्वेदी का आरोप है कि खेल भावना के नाम पर यह मैच कराना आतंक प्रायोजक देश के प्रति खड़े होने का साहस न दिखाने जैसा है।
उन्होंने सुझाव दिया कि आईटी मंत्रालय को सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म और प्रसारकों को इस मैच का लाइव स्ट्रीमिंग रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। इससे यह स्पष्ट होगा कि भारत अपने सुरक्षा और जन भावनाओं को प्राथमिकता दे रहा है।
इतिहास में खेल और राजनीति का संबंध
प्रियंका चतुर्वेदी ने खेल और राजनीति के संबंधों का उदाहरण देते हुए कहा कि विश्व इतिहास में कई बार देशों ने खेलों से ज्यादा सिद्धांतों को प्राथमिकता दी है। कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण इस प्रकार हैं:
- दक्षिण अफ्रीका का रंगभेद के समय बहिष्कार: खेलों के दौरान रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका का बहिष्कार किया था।
- ओलंपिक का बहिष्कार: राजनीति के कारण कई देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया, ताकि अपने विचारों को प्रदर्शित कर सकें।
- पाकिस्तान की हॉकी टीम का भारत में एशिया हॉकी कप में खेलने से इनकार: यह एक और उदाहरण है कि कैसे खेलों में राजनीतिक मुद्दों का प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने 1990-91 में एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान पाकिस्तान के बहिष्कार का भी उल्लेख किया। उनके अनुसार, बीसीसीआई द्वारा इस मैच को बढ़ावा देने की जिद सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि यह "खून की कमाई" और "अभिशापित धन" होगी, जो पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और शहीद जवानों के ताबूतों की याद दिलाएगी।
एशिया कप 2023: मैच की तारीख और प्रारूप
भारत और पाकिस्तान के बीच यह मैच 14 सितंबर को दुबई में खेला जाएगा। एशिया कप का आयोजन 9 सितंबर से शुरू हो रहा है, और यह टूर्नामेंट टी-20 प्रारूप में आयोजित किया जाएगा। ऐसे में चतुर्वेदी की मांग और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह एक ऐसा समय होगा जब दोनों देशों के बीच की राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।
इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि खेल केवल खेल नहीं हैं, बल्कि ये राजनीति, समाज और राष्ट्रीय हितों का भी एक हिस्सा हैं। प्रियंका चतुर्वेदी की मांग इस बात का प्रमाण है कि खेल के मैदान में भी राष्ट्रीय भावना और सुरक्षा की प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस मुद्दे पर और अधिक जानने के लिए आप इस वीडियो को देख सकते हैं:




