भारत की डिप्लोमैटिक मुहिम तेज, अमेरिकी सांसदों से मुलाकात

सूची
  1. टैरिफ नीति के कारण बढ़ता तनाव
  2. भारतीय राजदूत की सक्रियता
  3. ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा
  4. भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ संकट का प्रभाव
  5. भारत की प्रतिक्रिया और आगे की संभावनाएँ

जब भी वैश्विक व्यापार की बात होती है, भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों का उल्लेख आवश्यक होता है। हाल के समय में, इन संबंधों में आए उतार-चढ़ाव ने न केवल दोनों देशों के व्यापारिक वातावरण को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी इसके परिणाम देखने को मिले हैं।

टैरिफ नीति के कारण बढ़ता तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया है। 9 अगस्त से अब तक, भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने 19 अमेरिकी सीनेटरों और कांग्रेस के सदस्यों से मुलाकात की है। इन बैठकों का उद्देश्य व्यापार में संतुलन बनाए रखना और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देना है।

अमेरिका द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ पहले से ही लागू है, और अब चार दिनों में अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना है, जो भारत के लिए एक बड़ा रुख बदलाव है। हाल ही में, अमेरिकी प्रतिनिधि दिल्ली में व्यापार पर चर्चा के लिए आए थे, लेकिन यह बैठक स्थगित कर दी गई। यह भारत के लिए एक गंभीर झटका था, जिससे व्यापारिक माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया है।

भारतीय राजदूत की सक्रियता

भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिका में अपने कार्यकाल को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अमेरिकी सांसदों से लगातार मिलकर बातचीत की है। इन मुलाकातों में उन्होंने निम्नलिखित मुद्दों पर जोर दिया:

  • संतुलित व्यापारिक संबंध बनाए रखना
  • ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग बढ़ाना
  • हाइड्रोकार्बन की खरीदारी का महत्व

क्वात्रा ने हाल ही में क्लाउडिया टेनी से मुलाकात की, जो ‘वेज एंड मीन्स कमेटी’ तथा ‘हाउस इंटेलिजेंस कमेटी’ की सदस्य हैं। इस बैठक में दोनों नेताओं ने संतुलित व्यापार संबंधों पर चर्चा की, जो दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा

क्वात्रा ने कांग्रेस के सदस्य जोनाथन एल जैक्सन और हेले स्टीवंस से भी वार्ता की, जिसमें उन्होंने भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अमेरिका से हाइड्रोकार्बन खरीद को महत्वपूर्ण बताया। यह बातचीत भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयास का एक हिस्सा है।

हाइड्रोकार्बन की खरीद भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक हो सकती है और इसके साथ ही भारत को ऊर्जा के विविध स्रोतों का लाभ भी मिल सकता है।

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ संकट का प्रभाव

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन पर हमले में सहयोग दे रहा है, जिसके चलते अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है।

इसके अलावा, अमेरिका ने अपने कृषि और डेयरी उत्पादों को भारत में निर्यात करने के लिए भी प्रयास किए थे, लेकिन भारत सरकार ने संभावित कृषि-डेयरी प्रस्तावों को खारिज कर दिया। यह भारत के किसानों के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम था।

भारत की प्रतिक्रिया और आगे की संभावनाएँ

भारत सरकार ने अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण बताया है। इस स्थिति में, भारत को अपनी आर्थिक नीति और व्यापारिक संबंधों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

आने वाले समय में भारत को अपने व्यापारिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए अमेरिका के साथ संवाद जारी रखना होगा। इस संदर्भ में, भारत की डिप्लोमैटिक मुहिम और क्वात्रा के प्रयास महत्वपूर्ण हैं।

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को स्थिर रखने के लिए दोनों देशों के बीच आपसी समझदारी और सहयोग की आवश्यकता है। इस दिशा में किए गए प्रयास न केवल व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देंगे।

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भारत और अमेरिका के संबंधों में आई इस जटिलता को समझने के लिए इस विषय पर एक महत्वपूर्ण वीडियो भी है:

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