भारतीय नौसेना 26 को कमीशन करेगी फ्रिगेट उदयगिरी और हिमगिरी

सूची
  1. उदयगिरी और हिमगिरी: नौसेना की नई शक्ति
  2. युद्धपोतों की विशेषताएं
  3. कठिन समुद्री परीक्षण
  4. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत
  5. 2025: नौसेना के लिए ऐतिहासिक वर्ष
  6. रणनीतिक महत्व

भारतीय नौसेना एक नए युग की शुरुआत करने जा रही है। विशाखापट्टनम में 26 अगस्त को दो अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स, आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी, का कमीशन एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह पहली बार है जब दो अलग-अलग भारतीय शिपयार्ड्स द्वारा निर्मित दो बड़े युद्धपोतों को एक साथ कमीशन किया जाएगा, जो भारत की समुद्री सामर्थ्य और तकनीकी प्रगति का प्रतीक हैं।

उदयगिरी और हिमगिरी: नौसेना की नई शक्ति

आईएनएस उदयगिरी (F35) और आईएनएस हिमगिरी (F34) प्रोजेक्ट 17A (निलगिरी-क्लास) के स्टील्थ फ्रिगेट्स हैं। ये युद्धपोत भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक तकनीक के साथ डिज़ाइन किए गए हैं। इनके निर्माण में भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, और खासतौर पर उदयगिरी इस ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां युद्धपोत है, जो भारत की स्वदेशी डिज़ाइन क्षमता का एक मजबूत उदाहरण है।

इन फ्रिगेट्स का निर्माण दो प्रमुख शिपयार्ड्स ने किया है:

  • उदयगिरी: इसे मुंबई के माज़गांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा बनाया गया है।
  • हिमगिरी: इसे कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है।

प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल सात फ्रिगेट्स का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से चार MDL और तीन GRSE द्वारा निर्मित हैं। पहला युद्धपोत, आईएनएस नीलगिरी, जनवरी 2025 में कमीशन किया जा चुका है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत अब केवल एक ही स्थान पर नहीं, बल्कि एक साथ विभिन्न स्थानों पर जटिल युद्धपोतों का निर्माण करने में सक्षम है।

युद्धपोतों की विशेषताएं

उदयगिरी और हिमगिरी कई मायनों में शिवालिक-क्लास युद्धपोतों से उन्नत हैं। इनमें शामिल हैं:

  • वजन और डिज़ाइन: ये युद्धपोत लगभग 6,700 टन के हैं, जो उन्हें शिवालिक-क्लास से 5% बड़े बनाते हैं। उनका डिज़ाइन स्टील्थ तकनीक पर आधारित है, जिससे वे दुश्मन के रडार से आसानी से बच सकते हैं।
  • प्रणोदन प्रणाली: ये कंबाइंड डीजल और गैस (CODOG) प्रणाली से संचालित होते हैं, जिसमें डीजल इंजन और गैस टरबाइन का संयोजन होता है। यह प्रणाली जहाज को अधिक कुशलता से चलाने में मदद करती है।
  • हथियार: अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, जैसे कि सुपरसोनिक सतह-से-सतह मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइलें, आदि।

इन युद्धपोतों की बहुउद्देशीय क्षमता उन्हें सतह, हवा और पनडुब्बी रोधी युद्ध में सक्षम बनाती है। यह उन्हें सभी प्रकार के समुद्री खतरों का सामना करने में सक्षम बनाता है।

कठिन समुद्री परीक्षण

कमीशन से पहले, इन दोनों युद्धपोतों ने कई कठिन समुद्री परीक्षण पास किए हैं, जिनमें निम्नलिखित की जांच की गई:

  • हल (संरचना): जहाज की मजबूती और स्थिरता।
  • मशीनरी: इंजन और प्रणोदन प्रणाली की कार्यक्षमता।
  • अग्निशमन और क्षति नियंत्रण: आपात स्थिति में जहाज की सुरक्षा।
  • नेविगेशन और संचार: सटीक दिशा-निर्देश और संपर्क प्रणाली।

ये परीक्षण यह सुनिश्चित करते हैं कि उदयगिरी और हिमगिरी तुरंत परिचालन के लिए तैयार हैं, जो भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होता है।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत

यह कमीशन भारतीय नौसेना की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल की एक प्रमुख सफलता है। इन युद्धपोतों के निर्माण में 200 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने योगदान दिया है, जिससे लगभग 4,000 प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है।

यह पूरी प्रक्रिया यह दर्शाती है कि भारत न केवल अपने रक्षा उपकरणों का निर्माण कर सकता है, बल्कि इनकी डिज़ाइन और निर्माण में भी पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है।

2025: नौसेना के लिए ऐतिहासिक वर्ष

2025 भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। इस वर्ष कई स्वदेशी प्लेटफॉर्म कमीशन किए गए हैं, जैसे:

  • आईएनएस सूरत: गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर।
  • आईएनएस नीलगिरी: स्टील्थ फ्रिगेट।
  • आईएनएस वागशीर: पारंपरिक पनडुब्बी।
  • आईएनएस अर्नाला: पनडुब्बी रोधी उथला जल पोत।
  • आईएनएस निस्तार: डाइविंग सपोर्ट पोत।

इसके अलावा, हाल ही में रूस में कमीशन किया गया स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तमाल ने मोरक्को के कैसाब्लांका में अपनी यात्रा की, जो भारत की समुद्री कूटनीति को दर्शाता है।

रणनीतिक महत्व

उदयगिरी और हिमगिरी का कमीशन भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की नौसेना की गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। ये युद्धपोत गहरे समुद्र (ब्लू वॉटर) में परिचालन के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक खतरों का सामना करने में सक्षम हैं।

यह भारतीय नौसेना की 7,500 किलोमीटर लंबी तट रेखा और 2.02 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

इस कारण, उदयगिरी और हिमगिरी का कमीशन भारतीय रक्षा क्षमताओं के विस्तार और समुद्री सुरक्षा में एक नया अध्याय जोड़ता है।

इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं:

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