कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हाल ही में बिहार में 'वोट अधिकार यात्रा' कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। उनकी बातें न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनीं, बल्कि आम जनता के बीच भी गहरी सोच और विमर्श का कारण बनीं।
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला
राहुल गांधी ने मधुबनी में एक सभा के दौरान कहा, "प्रधानमंत्री तय करते हैं कि चुनाव कमिश्नर कौन बनेगा। वहां विपक्ष के नेता की एक नहीं सुनी जाती।" उनका यह बयान किसी बड़ी राजनीतिक सच्चाई की ओर इशारा करता है, जो देश के लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने 2023 में एक नया कानून बनाया है, जिसके अनुसार चुनाव आयुक्त पर कोई केस नहीं किया जा सकता।
वोट चोरी का आरोप और इसके पीछे का तर्क
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि यह नया कानून वोट चोरी को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा, "सवाल यह है कि ऐसा कानून क्यों बनाया गया?" उनके अनुसार, यह कदम देश के चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब चोर पकड़ा जाता है, तो वह चुप हो जाता है, और यही स्थिति आज सरकार की है।
गुजरात से शुरू हुई वोट चोरी का इतिहास
राहुल गांधी ने कहा कि 'वोट चोरी' का सिलसिला पहले गुजरात में शुरू हुआ और फिर 2014 में यह राष्ट्रीय स्तर पर सामने आया। उन्होंने यह भी कहा कि यह चोरी कई सालों से चल रही है, और यह अब सार्वजनिक रूप से उजागर हो रही है।
- गुजरात में वोट चोरी का पहला उदाहरण
- 2014 में यह राष्ट्रीय स्तर पर सामने आया
- चुनावों में धांधली का आरोप
नए कानून का दुष्प्रभाव
राहुल गांधी ने इस नए कानून का जिक्र करते हुए कहा, "पहले चुनाव आयुक्त पर केस किया जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता।" यह स्थिति लोकतंत्र में एक गंभीर खतरा है, जहां विपक्ष के आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई आपके बटुए से 10 रुपए चोरी करे, तो आप महसूस नहीं करेंगे, लेकिन जब एक दिन हजार रुपए गायब हो जाएं, तो आपको पता चलेगा कि चोरी हो गई है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
राहुल गांधी ने पिछले चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि "महाराष्ट्र में हमारा गठबंधन जीता था, लेकिन चुनाव आयोग में सभी पार्टियां गायब हो गईं।" उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने लाखों नए मतदाता सूची में जोड़ दिए, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ।
राहुल गांधी की दृढ़ता और सामाजिक न्याय
राहुल गांधी ने अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा, "जब मैं ठान लेता हूं, तो वह होता है।" उन्होंने यह स्पष्ट किया कि देश में 90% लोग पिछड़े वर्गों से हैं, और उन्हें राजनीति में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने जातिगत जनगणना को विकास का ब्लूप्रिंट बताया और कहा कि यह समाज में समानता लाएगा।
राहुल गांधी का संकल्प
वोट चोरी के मुद्दे पर राहुल गांधी ने कहा, "ये बदलाव हम लाएंगे, लेकिन इसमें समय लगेगा क्योंकि ये लोग वोट चोरी कर रहे हैं।" उनका यह संकल्प और दृढ़ता न केवल पार्टी के लिए, बल्कि देश के लिए एक नई दिशा दिखा सकता है।
राहुल गांधी की बातें न केवल राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं, बल्कि यह उस प्रणाली की आलोचना भी है, जो लोकतंत्र में निष्पक्षता और पारदर्शिता को खतरे में डाल रही है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' ने न केवल उनकी पार्टी को एक नई ऊर्जा दी है, बल्कि यह लोकतंत्र की मूलभूत समस्याओं को उजागर करने का भी प्रयास है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी बातें जन जागरूकता और राजनीतिक परिवर्तन का कारण बन पाएंगी।