भारत के पहाड़ी क्षेत्र अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते हैं, लेकिन वर्तमान में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में आई भारी बारिश और उसके परिणामस्वरूप हुए भूस्खलन और बाढ़ ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है। इस प्राकृतिक कहर ने न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि पूरे क्षेत्र की बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुँचाया है।
कुदरत का कहर: बारिश, बाढ़ और भूस्खलन का प्रभाव
हाल के दिनों में, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में बारिश ने हर जगह तबाही मचाई है। यहाँ तक कि कई स्थानों पर जल स्तर रिकॉर्ड तोड़ चुका है, जिससे भारी बाढ़ आई है। जम्मू में पानी की बाढ़ से कई शहर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में मौसम जनित समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी सड़कें चट्टानों के गिरने से बाधित हो गई हैं।
महत्वपूर्ण है कि कटरा में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर एक बड़ी दुर्घटना हुई है, जिसमें लैंडस्लाइड ने 5 लोगों की जान ले ली और 14 लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। रक्षा अभियान जारी है और घायलों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
डोडा में भयानक स्थिति
जम्मू कश्मीर के डोडा में बादल फटने की घटना ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। चार लोगों की जान गई है और कई घर बह गए हैं। पानी की तेज धारा ने दर्जनों लोगों को अपने साथ बहा लिया, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई। अब वहाँ सुरक्षाकर्मी घर-घर जाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम कर रहे हैं।
- डोडा में खारा चारवाह क्षेत्र में खतरे का सायरन बजाया गया है।
- भूस्खलन और पुलों के बहने की आशंका बनी हुई है।
- चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
डोडा के अलावा, जम्मू भी बाढ़ की चपेट में है। सड़कों पर पानी भर जाने से कई शहरों में हालात बिगड़ गए हैं। तावी नदी का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है और इसके आसपास के पुलों पर खतरा मंडरा रहा है।
जम्मू की जल प्रलय
जम्मू के सुजवान क्षेत्र में बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में घुस आया है। कई क्षेत्रों में सैलाब का नजारा देखा जा सकता है, जहां मैदान एक समुद्र में तब्दील हो गए हैं। किश्तवाड़ में भी बादल फटने की घटनाएँ हुई हैं, जिससे पुल बह गए हैं और सड़कों पर स्थिति गंभीर बनी हुई है।
ऊधमपुर में मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। कठुआ में सेवा नदी उफान पर है और भद्रवाह में भी बारिश ने खतरनाक रूप ले लिया है। एनएच-44 पर भूस्खलन के कारण सड़कों पर भारी तबाही हो रही है।
अधकुमारी में लैंडस्लाइड की स्थिति
अधकुमारी के पास हुए भयानक लैंडस्लाइड में कई श्रद्धालु फंस गए हैं। सेना और एसडीआरएफ के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। इसी बीच, जम्मू में नदी का तेज बहाव कई पुलों को नुकसान पहुँचा रहा है, जिससे गाड़ियों के गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
अरुणाचल प्रदेश में भूस्खलन की घटनाएँ
अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में भूस्खलन ने कई चट्टानों को सड़क पर गिरा दिया। यह हादसा बालीपारा-चारिद्वार-तवांग राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ और कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं। हालाँकि, अभी तक किसी की मौत की सूचना नहीं है, लेकिन प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इस मार्ग पर यात्रा न करें।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बर्बादी
हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश के कारण भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की घटनाएँ बढ़ गई हैं। राज्य में 690 सड़कें बंद हो चुकी हैं और 20 जून से 25 अगस्त के बीच बारिश से संबंधित घटनाओं में 156 लोगों की जान जा चुकी है।
इस क्षेत्र में भूस्खलन और बाढ़ का संकट बढ़ता जा रहा है, जिससे बचाव कार्यों की आवश्यकता अधिक महसूस की जा रही है। स्थानीय प्रशासन बचाव कार्यों में जुटा हुआ है और प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक हो गया है कि स्थानीय सरकारें और प्रशासन समुचित योजनाएँ बनाएं ताकि ऐसे प्राकृतिक आपदाओं से निपटा जा सके।
इस संकट की गंभीरता को समझते हुए, सरकारी संस्थाओं और नागरिकों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और तैयारी करना ही इस प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, नीचे दिया गया वीडियो देखें, जो हालात की गंभीरता को बयां करता है: