फिजी के प्रधानमंत्री ने PM मोदी से कहा ट्रंप के टैरिफ पर

सूची
  1. फिजी के प्रधानमंत्री का भारत दौरा: उद्देश्यों और महत्व
  2. ट्रंप के टैरिफ: वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
  3. भारत-फिजी संबंध: समझौतों की श्रृंखला
  4. ओशन ऑफ पीस: राबुका का दृष्टिकोण
  5. ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका
  6. उपसंहार: भारत और फिजी के संबंधों का भविष्य

फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगाममादा राबुका हाल ही में भारत के दौरे पर आए हैं, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उनकी यात्रा न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी इसके गहरे अर्थ हैं। इस यात्रा के दौरान, राबुका ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के संदर्भ में अपने विचार साझा किए।

फिजी के प्रधानमंत्री का भारत दौरा: उद्देश्यों और महत्व

राबुका ने मंगलवार को नई दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) द्वारा आयोजित 'ओशन ऑफ पीस' लेक्चर में भाग लिया। उनके इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और फिजी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करना था।

उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा में समुद्री सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि फिजी और भारत दोनों ही व्यापारिक और सामरिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे के निकट हैं।

ट्रंप के टैरिफ: वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

राबुका ने बातचीत में बिना नाम लिए ट्रंप के द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए 50% टैरिफ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "मैंने पीएम मोदी से बताया कि कोई आपसे बहुत खुश नहीं है, लेकिन आप इतने बड़े हैं कि इन परेशानियों का सामना कर लेंगे।" यह टिप्पणी भारतीय और फिजी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रस्तुत करती है।

अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए टैरिफ का प्रभाव कई उद्योगों पर पड़ेगा, जैसे:

  • झींगा
  • परिधान
  • चमड़ा
  • रत्न-आभूषण

इन पर लागू होने वाले 25% अतिरिक्त शुल्क के कारण, भारत के ये श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्र सीधे प्रभावित होंगे, जो कि आर्थिक दृष्टिकोण से चिंता का विषय है।

भारत-फिजी संबंध: समझौतों की श्रृंखला

दोनों देशों के बीच प्रतिनिधियों की बैठक में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। राबुका और पीएम मोदी के बीच हुई बातचीत में रक्षा सहयोग को बढ़ाने और एक शांतिपूर्ण, समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए संयुक्त प्रयासों की योजना बनाई गई।

इस यात्रा के दौरान कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देंगे। इन समझौतों का उद्देश्य न केवल व्यापार बढ़ाना है, बल्कि सामरिक सहयोग को भी मजबूत करना है।

ओशन ऑफ पीस: राबुका का दृष्टिकोण

राबुका ने अपने 'ओशन ऑफ पीस' विजन पर जोर देते हुए कहा कि प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। उन्होंने कहा, "फिजी और भारत मिलकर प्रशांत को शांति का सागर बनाने के लिए काम कर सकते हैं, जो न केवल हमारे क्षेत्र के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी योगदान देगा।"

यह दृष्टिकोण न केवल फिजी की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह भारत के लिए भी एक अवसर प्रदान करता है कि वह प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका को मजबूत करे।

ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका

राबुका ने यह भी उल्लेख किया कि वैश्विक घटनाएं छोटे देशों को भी प्रभावित करती हैं। उन्होंने भारत की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को आतंकवाद के खिलाफ सराहा और इस बात पर जोर दिया कि फिजी जैसे छोटे देशों के लिए भारत की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन भी दोहराया, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

उपसंहार: भारत और फिजी के संबंधों का भविष्य

फिजी के प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और फिजी के बीच के संबंधों को और भी मजबूत बनाने का एक अवसर है। दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं अत्यधिक हैं, विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में।

अंततः, यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर है, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच के तनाव के संदर्भ में।

इस संदर्भ में, एक वीडियो भी है जो ट्रंप के टैरिफ पर चर्चा करता है और इस विषय को और अधिक स्पष्ट करने में मदद कर सकता है:

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