नीतीश कुमार की ताकत और प्रशांत किशोर की राय

सूची
  1. प्रशांत किशोर का चुनावी दावा
  2. बिहार में जातिवाद और राजनीतिक दावे
  3. नीतीश कुमार की स्थिति
  4. कांग्रेस और राजद की भूमिका
  5. वोटर लिस्ट और मृतकों के नाम

बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि में चुनावी हलचलें एक बार फिर जोरों पर हैं, और जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक मोहरे अपने-अपने पत्ते खोलने लगे हैं। इस बार, ना केवल सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सक्रियता दिखाई है, बल्कि विपक्षी महागठबंधन भी अपने रणनीतिकारों के माध्यम से जनता के बीच अपनी बात रख रहा है। इस सियासी माहौल में, चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज के बारे में कुछ विवादास्पद दावे किए हैं।

प्रशांत किशोर का चुनावी दावा

प्रशांत किशोर, जो आजकल जन सुराज पार्टी के सूत्रधार हैं, ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि उनकी पार्टी न केवल चुनाव में जीत हासिल करेगी, बल्कि यह प्रचंड बहुमत के साथ जीतने का आत्मविश्वास भी रखती है। किशोर का मानना है कि वे चुनाव विधायक बनने या सत्ता के लिए नहीं लड़ रहे हैं। इसके पीछे उनकी सोच यह है कि वे बिहार की राजनीतिक संरचना में एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।

  • किशोर ने कहा कि अगर उन्हें मंत्री बनना होता, तो नीतीश कुमार ने पहले ही उन्हें बुलाकर यह मौका दे दिया होता।
  • उन्होंने विधायकों को स्वतंत्रता देने की बात की, जिससे वे अपनी इच्छा अनुसार किसी भी दल में शामिल हो सकें।
  • किशोर ने यह भी कहा कि एनडीए में उनकी कोई रुचि नहीं है और वे चुनाव में जन सुराज का मुकाबला एनडीए से ही करेंगे।

बिहार में जातिवाद और राजनीतिक दावे

जातिवाद की राजनीति पर प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू यादव भी इस मुद्दे पर अपनी सच्चाई का सामना नहीं कर रहे हैं। वे जाति की राजनीति करने के बजाय अपने बेटे को सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे हैं। किशोर ने यह भी कहा कि वे अपनी पार्टी में नए चेहरों को बढ़ावा देंगे, और 90 प्रतिशत उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ेंगे।

इसके साथ ही, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कट्टरता और कट्टा के बीच की लड़ाई को गांधी के रास्ते अपनाकर ही जीता जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में नए विचारों को सामने लाने की कोशिश कर रहा है।

नीतीश कुमार की स्थिति

नीतीश कुमार पर बात करते हुए, प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका व्यक्तिगत स्नेह आज भी कायम है, लेकिन उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने यह भी कहा कि जेडीयू, जो कभी 25 सांसदों की पार्टी थी, अब लोकसभा चुनाव में केवल 12 सीट हासिल कर पाई है।

किशोर ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की असली ताकत तब थी जब वे बीजेपी के खिलाफ खड़े थे। इस समय, वे कमजोर दिख रहे हैं, और यही उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।

कांग्रेस और राजद की भूमिका

कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा करते हुए, प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में वह आरजेडी के पीछे खड़ी है। इसके साथ ही, उन्होंने कन्हैया कुमार की तारीफ की, लेकिन कहा कि वह प्रभावी वक्ता हैं, फिर भी बिहार में उनकी उपस्थिति नहीं है।

किशोर ने चुनावी माहौल में हो रही वोट चोरी की कोशिशों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में इस वोटर लिस्ट से चुनाव हुए थे, और अगर अब घुसपैठियों के नाम सामने आ रहे हैं, तो इसका क्या मतलब है? यह उनके लिए एक गंभीर मुद्दा है।

वोटर लिस्ट और मृतकों के नाम

जब उन्होंने मृतकों के नाम वोटर लिस्ट में होने के बारे में पूछा गया, तो किशोर ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे सही आंकड़े पेश करें। कोविड के बाद की स्थिति में, मृतकों की सही संख्या का पता लगाना बेहद जरूरी है।

  • किशोर ने यह स्पष्ट किया कि 2011 के बाद जनगणना नहीं होने से भी इस समस्या में इजाफा हुआ है।
  • उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग अक्सर वोटरों को शुद्धिकरण के नाम पर काटने की कोशिश करते हैं।
  • यह स्थिति बिहार की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंताजनक है और इसे सुलझाने की आवश्यकता है।

इस राजनीतिक परिदृश्य में प्रशांत किशोर का दृष्टिकोण एक नई दिशा देने का प्रयास है। उनका चुनावी दृष्टिकोण, जातिवाद के खिलाफ उनकी आवाज़, और नीतीश कुमार की स्थिति पर उनकी टिप्पणियां, सभी मिलकर बिहार के चुनावी माहौल को एक नया मोड़ दे सकती हैं।

इन सबके बीच, प्रशांत किशोर के विचार और दृष्टिकोण को समझने के लिए उनके साक्षात्कार का एक वीडियो भी है, जिसमें उन्होंने अपने विचारों को विस्तार से व्यक्त किया है। आप इसे यहाँ देख सकते हैं:

इस चुनावी माहौल में, प्रशांत किशोर का दृष्टिकोण और उनकी पार्टी जन सुराज बिहार की सियासत को नया दिशा देने की कोशिश कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी ये योजनाएँ कितनी कारगर साबित होती हैं।

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