निक्की की मौत में बच्चे की गवाही का महत्व और कानून

सूची
  1. निक्की भाटी हत्याकांड का संक्षिप्त विवरण
  2. बच्चे के बयान का महत्व
  3. भारतीय कानून में नाबालिग की गवाही
  4. बच्चों से गवाही लेने की प्रक्रिया
  5. बच्चों की सुरक्षा और पहचान
  6. गवाही की विश्वसनीयता
  7. समाज का दृष्टिकोण और आगे का रास्ता

ग्रेटर नोएडा में निक्की भाटी की हत्या का मामला एक बार फिर से चर्चा में है, खासकर तब जब मृतका के छह साल के बेटे का बयान सामने आया है। इस मामले को लेकर न केवल स्थानीय पुलिस और महिला आयोग सक्रिय हो गए हैं, बल्कि इसने कई कानूनी सवाल भी खड़े कर दिए हैं। क्या एक नाबालिग के बयान को अदालत में गंभीरता से लिया जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर अधिक जटिल है, और इसे समझने के लिए हमें बच्चों के गवाह बनने की प्रक्रिया और उसके कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना होगा।

निक्की भाटी हत्याकांड का संक्षिप्त विवरण

21 अगस्त को, निक्की भाटी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई, जब वह ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में आग में झुलस गई। उसके पति विपिन पर हत्या का आरोप लगाया गया है। बताया जा रहा है कि यह एक दहेज हत्या है, और इस मामले में निक्की के साथ मारपीट करने की भी बातें सामने आई हैं। सोशल मीडिया पर निक्की के साथ मारपीट की वीडियो भी वायरल हुई है, जो उसकी बहन द्वारा रिकॉर्ड की गई थी। घटनास्थल पर पुलिस ने विपिन और उसके परिवार के सदस्यों को हिरासत में ले लिया है। हाल ही में, निक्की का बेटा, जो घटना का चश्मदीद गवाह माना जा रहा है, ने आरोप लगाया कि उसके पिता ने उसकी माँ के साथ मारपीट की और फिर आग लगा दी।

बच्चे के बयान का महत्व

बच्चे के बयान पर दो प्रकार की राय बन गई हैं। एक पक्ष का मानना है कि बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते, और उनके बयान को आधार मानकर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए। जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि बच्चे अक्सर बहकावे में आ सकते हैं और उनकी गवाही को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। इस बहस के बीच, यह जानना आवश्यक है कि भारतीय कानून बच्चों के बयानों को किस तरह से देखता है।

भारतीय कानून में नाबालिग की गवाही

भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत, गवाह बनने की न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं की गई है। इसका अर्थ है कि यदि अदालत को यह विश्वास हो कि बच्चा प्रश्नों को समझ सकता है और उनके तथ्यात्मक उत्तर दे सकता है, तो उसकी गवाही को वैध माना जाएगा।

  • उदाहरण के लिए, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में, एक सात साल की बच्ची को अकेले गवाह बनाया गया था, जहाँ उसके पिता पर हत्या का आरोप था।
  • अदालत ने बच्ची की गवाही के आधार पर पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

बच्चों से गवाही लेने की प्रक्रिया

भारतीय अदालतें बच्चों से गवाही लेने की प्रक्रिया में काफी सावधानी बरतती हैं। वकील मनीष भदौरिया बताते हैं कि बच्चे के बयान की प्रक्रिया वयस्कों से अलग होती है।

  • दिल्ली में हर जिला अदालत में चाइल्ड विटनेस रूम बनाए गए हैं, जहाँ बच्चों से नर्म और शालीन तरीके से गवाही ली जाती है।
  • बच्चों के साथ सवाल पूछने की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।

इसमें, पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने बच्चे का बयान लिया जाता है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे को कोई भय या दबाव न हो। अदालत में गवाही देने के समय विशेष व्यवस्था की जाती है, जैसे कि बच्चे के लिए एक रिसोर्स पर्सन भेजा जाता है, जो बच्चे के साथ सहानुभूति से पेश आता है।

बच्चों की सुरक्षा और पहचान

बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। अदालत में बच्चे का नाम चार्जशीट में नहीं लिखा जाता और उनकी पहचान छिपाई जाती है। इसके लिए कोड शब्दों का उपयोग किया जाता है।

  • बच्चे का नाम या पहचान कभी भी सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं की जाती।
  • बच्चे की गवाही के दौरान, उसका सामना आरोपी से केवल कुछ क्षणों के लिए कराया जाता है।

गवाही की विश्वसनीयता

बच्चे की गवाही की विश्वसनीयता अक्सर अधिक मानी जाती है, जबकि वयस्कों की गवाही कई बार खारिज की जा सकती है। यदि कोई वयस्क अपना बयान बदलता है, तो अदालत इसे संदेह की दृष्टि से देख सकती है।

इस मामले में, यह देखना महत्वपूर्ण है कि बच्चे के बयान के पीछे क्या कारण हैं। अदालत बच्चे से कई बार एक ही सवाल को अलग-अलग तरीके से पूछकर उसकी सच्चाई को निश्चय करने का प्रयास करती है।

समाज का दृष्टिकोण और आगे का रास्ता

जब हम इस मामले को देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि बच्चों की गवाही की प्रक्रिया और उनके अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता आवश्यक है। बच्चों की सुरक्षा और उनकी गवाही की सच्चाई से जुड़े कई पहलू हैं, जिन्हें समझना और स्वीकार करना आवश्यक है।

समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे बिना किसी भय के अपनी गवाही दे सकें। इसके लिए कानूनी व्यवस्था के साथ-साथ समाज में भी बदलाव की आवश्यकता है।

इस विषय पर और जानने के लिए, यहाँ एक वीडियो है जिसमें निक्की भाटी के मामले पर चर्चा की गई है:

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