दिल्ली में डिजिटल ठगी: रिटायर अफसर से 9 लाख की धोखाधड़ी

सूची
  1. दिल्ली में डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगी का मामला
  2. पीड़ित की शिकायत और घटना का विवरण
  3. आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
  4. फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी
  5. पुलिस की कार्रवाई और नागरिकों के लिए सलाह

हाल के वर्षों में, साइबर अपराध की दुनिया में तेजी से वृद्धि हुई है। एक नया मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर सरकारी अधिकारी को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर 9 लाख रुपये गंवाने पड़े। इस घटना ने कई सवाल उठाए हैं, जैसे कि ऐसे धोखाधड़ी के मामलों से कैसे बचा जा सकता है।

दिल्ली में डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगी का मामला

दिल्ली पुलिस ने एक गंभीर साइबर ठगी का मामला उजागर किया है, जिसके तहत एक रिटायर सरकारी अधिकारी को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर 9 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले में पुलिस ने फरीदाबाद निवासी एक आरोपी, सोनू अंसारी, को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने एक फर्जी किरायानामा बनाकर बैंक खाता खोला और इस खाते में पैसे ट्रांसफर करवाए।

पीड़ित की शिकायत और घटना का विवरण

यह मामला 8 अगस्त को सामने आया, जब 76 वर्षीय पीड़ित ने केशवपुरम इलाके में साइबर पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें वीडियो कॉल के माध्यम से कुछ लोगों ने संपर्क किया, जिन्होंने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। कॉल करने वालों ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाते हुए धमकी दी कि यदि वे तुरंत 9 लाख रुपये नहीं देंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

पीड़ित, जो एक रिटायर्ड दूरसंचार इंजीनियर हैं, डर और दबाव में आकर दो अलग-अलग लेन-देन के माध्यम से 9 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर कर दिए, जो आरोपियों ने बताया था। यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे धोखाधड़ी करने वाले लोगों को मानसिक दबाव में डालकर उनके पैसे चुराते हैं।

आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी

शिकायत मिलने के बाद, पुलिस ने तकनीकी जांच और डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर आरोपी की पहचान की। हालांकि, उसकी सही लोकेशन का पता लगाना शुरू में चुनौतीपूर्ण था। लगातार निगरानी और प्रयासों के बाद पुलिस ने उसे फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ के दौरान, सोनू अंसारी ने अपना जुर्म कबूल किया और बताया कि उसने यह खाता प्रतीक दुबे नाम के व्यक्ति के कहने पर खोला था। दुबे ने उसे पैसे का लालच देकर यह सब करने के लिए प्रेरित किया। पुलिस के अनुसार, पीड़ित से हड़पी गई पूरी रकम पहले इसी खाते में जमा हुई और बाद में अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी गई।

फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी

आरोपी ने बैंक खाता खोलने के लिए एक फर्जी किरायानामा का उपयोग किया और बैंक रिकॉर्ड में दिए गए पते पर वह वास्तव में निवास नहीं करता था। यह बात दर्शाती है कि अपराधी कितनी चतुराई से अपने अपराध को अंजाम देते हैं और समाज में अव्यवस्था फैलाते हैं।

पुलिस की कार्रवाई और नागरिकों के लिए सलाह

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है और नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे फर्जी कॉल्स से सतर्क रहें। यदि किसी को ऐसे संदिग्ध कॉल मिलते हैं, तो उन्हें तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करना चाहिए।

पुलिस ने इस तरह के अपराधों से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं:

  • कभी भी अनजान नंबर से आए कॉल्स पर तुरंत विश्वास न करें।
  • किसी भी प्रकार के पैसे ट्रांसफर करने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करें।
  • यदि आपको संदेह हो, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
  • अपने व्यक्तिगत और वित्तीय विवरणों को गोपनीय रखें।
  • साइबर अपराध के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समाज में चर्चा करें।

साइबर ठगी के मामलों में तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है, और इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए समाज को सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक है।

इस विषय पर और जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं:

दिल्ली पुलिस इस मामले में अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है और यह भी पता लगा रही है कि क्या सोनू अंसारी अन्य धोखाधड़ी के मामलों में शामिल रहा है। ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई और जागरूकता ही हमारे सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

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