तेजस्वी यादव डिप्टी CM नहीं बन सकते मेरी सहमति के बिना

सूची
  1. प्रशांत किशोर का बड़ा दावा: तेजस्वी यादव की राजनीतिक स्थिति
  2. नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर: एक बदलाव की कहानी
  3. बिहार में सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का प्रयास
  4. कैबिनेट में प्रभाव और निर्णय लेने की प्रक्रिया
  5. तेजस्वी और किशोर की राजनीतिक सोच में अंतर
  6. राजनीतिक आकांक्षाएं और उनकी वास्तविकता

बिहार की राजनीतिक स्कीमा में हलचल जोरों पर है। सभी दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, और इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार दिया। इस बातचीत में उन्होंने तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार और बिहार के मौजूदा सियासी हालात पर कई खुलासे किए, जो इस चुनावी माहौल में काफी महत्वपूर्ण हैं।

प्रशांत किशोर का बड़ा दावा: तेजस्वी यादव की राजनीतिक स्थिति

प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट किया कि अगर उनकी सहमति नहीं होती, तो तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री नहीं बन पाते। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि उनकी भूमिका बिहार की राजनीति में निर्णायक रही है।

किशोर ने कहा, "तेजस्वी यादव को लेकर लालू यादव जी से पूछिए, उनकी उपमुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया में मेरी स्थिति क्या थी।" उनका यह बयान बिहार की राजनीति में उनकी सशक्त स्थिति को दर्शाता है।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर: एक बदलाव की कहानी

जब प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उनसे जुड़े कई पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उनका नीतीश कुमार के प्रति सम्मान बरकरार है, लेकिन राजनीतिक स्तर पर वे अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं।

Kishor ने कहा, "नीतीश बाबू की मानसिक और शारीरिक स्थिति अब वैसी नहीं है, जैसी पहले थी।" यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

बिहार में सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का प्रयास

प्रशांत किशोर का मुख्य उद्देश्य बिहार में सामाजिक-राजनीतिक आमूल-चूल परिवर्तन लाना है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे किसी मंत्री या विधायक बनने के लिए राजनीति में नहीं आए हैं।

उन्होंने कहा, "अगर हम 2015 में चुनाव जीतते, तो यह हमारा उद्देश्य होता।" उनका यह बयान यह दर्शाता है कि वे बिहार की राजनीति में बदलाव की दिशा में गंभीर हैं।

कैबिनेट में प्रभाव और निर्णय लेने की प्रक्रिया

  • किशोर ने कहा कि 2015 में जो कैबिनेट बना, उसमें उनके विरोध के कारण कई नाम शामिल नहीं हो सके।
  • उन्होंने यह भी बताया कि वे उस समय निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
  • उनका मानना है कि सही निर्णय लेने से ही बिहार में सकारात्मक बदलाव संभव है।

तेजस्वी और किशोर की राजनीतिक सोच में अंतर

जब प्रशांत किशोर से तेजस्वी यादव के बयानों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "तेजस्वी यादव साल भर पहले नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री बने थे।" उन्होंने यह भी कहा कि उनके और तेजस्वी के बीच एक महत्वपूर्ण फर्क है।

किशोर ने बताया कि जब वे बिहार आए, तब नीतीश कुमार ने उन्हें बुलाया था, लेकिन उन्होंने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, "अगर मुझे मंत्री बनना होता, तो मैं शामिल हो जाता।" यह उनके राजनीति के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है।

राजनीतिक आकांक्षाएं और उनकी वास्तविकता

प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव के सरकारी विकास के दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जैसा विकास उन्होंने दिखाया था, वैसा नहीं हुआ।

किशोर ने कहा, "बिहार में शराबबंदी नहीं दिखती, बल्कि यह एक भ्रमित करने वाला माहौल है।" उनका यह बयान बिहार की वर्तमान स्थिति का सटीक चित्रण करता है।

बिहार में राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और प्रशांत किशोर की बातें इस बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत दे रही हैं। क्या ये दावे सच हो पाएंगे? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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