हाल के वर्षों में, भारत में ईंधन की संरचना और इसके उपयोग में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं। पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण के बाद अब सरकार डीजल में आइसोब्यूटेनॉल मिलाने की योजना बना रही है। यह कदम न केवल ईंधन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए है, बल्कि प्रदूषण में भी कमी लाने के लिए उठाया जा रहा है। आइए जानते हैं इस नई पहल के बारे में विस्तार से।
आइसोब्यूटेनॉल का परिचय
आइसोब्यूटेनॉल एक रंगहीन, ज्वलनशील कार्बनिक तरल है, जिसका रासायनिक सूत्र C₄H₁₀O है। यह एल्केनॉल समूह का सदस्य है और इसका मुख्य उपयोग उद्योगों में सॉल्वेंट के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, इसकी उच्च ऊर्जा घनत्व और ऑक्टेन रेटिंग के कारण इसे ईंधन additives के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आइसोब्यूटेनॉल को पेट्रोलियम या बायोमास जैसे स्रोतों से प्रोपिलीन कार्बोनिलीकरण के माध्यम से बनाया जा सकता है।
डीजल में आइसोब्यूटेनॉल का महत्व और उपयोग
आइसोब्यूटेनॉल को डीजल में मिलाने के कई लाभ हो सकते हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण विकल्प बनाते हैं:
- फ्यूल ब्लेंडिंग: आइसोब्यूटेनॉल को डीजल में मिलाकर उपयोग करने से ईंधन की दक्षता बढ़ सकती है।
- स्वच्छ दहन: इसमें सल्फर और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा कम होती है, जिससे स्वच्छ दहन की प्रक्रिया होती है।
- ग्रीनहाउस गैस में कमी: इसका उपयोग CO₂ और अन्य प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने में सहायक हो सकता है।
- इंजन के साथ संगतता: शोध से पता चला है कि आइसोब्यूटेनॉल-डीजल मिश्रण को बिना किसी बड़े परिवर्तन के डीजल इंजनों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बेहतर प्रदर्शन: इससे इंजन की प्रदर्शन में सुधार हो सकता है और ईंधन की खपत भी कम हो सकती है।
हालांकि, डीजल में आइसोब्यूटेनॉल के मिश्रण पर अनुसंधान अभी जारी है। भविष्य में, नए डीजल इंजनों को फ्लेक्स-फ्यूल इंजन सिद्धांत के आधार पर विकसित किया जा सकता है, जो पूरी तरह से आइसोब्यूटेनॉल पर चलने में सक्षम होंगे।
शोध के निष्कर्ष
सोसायटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स (SAE) द्वारा की गई एक शोध रिपोर्ट में 4-स्ट्रोक सिंगल-सिलेंडर डीजल इंजन में 5% और 10% वॉल्यूम आइसोब्यूटेनॉल मिलाने से ब्रेक थर्मल एफिशिएंसी (BTE) में सुधार देखा गया है। रिपोर्ट में निम्नलिखित निष्कर्ष शामिल हैं:
- ब्रेक स्पेसिफिक फ्यूल कंजम्प्शन (BSFC) में सुधार, यानी प्रति यूनिट ऊर्जा में ईंधन की खपत कम हुई।
- कार्बन उत्सर्जन और धुएँ की तीव्रता में कमी आई।
- NOₓ उत्सर्जन में मामूली कमी देखने को मिली।
हालांकि, इस परियोजना की अंतिम रिपोर्ट आने में अभी समय लगेगा। नितिन गडकरी ने संकेत दिया है कि जब अनुशंसाएँ पूरी होंगी, तब इसे पेट्रोलियम मंत्रालय के पास भेजा जाएगा, जहां से इसे अंतिम मंजूरी मिलेगी।
भारत में डीजल की खपत का प्रबंधन
भारत में डीजल की खपत की बात करें तो यह देश की कुल कच्चे तेल की खपत का लगभग 40% है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, 2024-25 में डीजल की खपत में 2% की वृद्धि का अनुमान है, जो 91.4 मिलियन टन तक पहुंच जाएगी। इसके बाद, 2025-26 में डीजल के उपयोग में 3% की वृद्धि की संभावना है।
इस संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि डीजल की मांग भविष्य में और बढ़ने वाली है, जिसके चलते यह आवश्यक है कि हम इसके विकल्पों और पर्यावरणीय प्रभावों पर ध्यान दें।
पेट्रोल और डीजल में मिलाए जाने वाले तत्व
पेट्रोल और डीजल के मिश्रण में कई तत्व मिलाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तत्व हैं:
- एथेनॉल: पेट्रोल में आमतौर पर एथेनॉल मिलाया जाता है ताकि इसकी ऑक्टेन रेटिंग में सुधार हो सके।
- आइसोब्यूटेनॉल: जैसा कि पहले चर्चा की गई, डीजल में आइसोब्यूटेनॉल का मिश्रण प्रदूषण को कम कर सकता है।
- बायोडीजल: यह जैविक स्रोतों से प्राप्त होता है और डीजल के साथ मिलाया जाता है।
इन तत्वों का मिश्रण ईंधन की गुणवत्ता और इसकी प्रदर्शन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
भारत की ईंधन नीति और भविष्य के कदम
भारत सरकार ने ईंधन नीति को सुधारने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं:
- बायोफ्यूल का विकास: बायोफ्यूल्स की अनुसंधान और विकास पर जोर दिया जा रहा है।
- स्थायी ईंधन स्रोतों की खोज: भारत में वैकल्पिक ईंधन स्रोतों की खोज को प्राथमिकता दी जा रही है।
- भूमंडलीय तापमान में कमी: प्रदूषण को कम करने के लिए उपायों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
इन पहलों का उद्देश्य न केवल ईंधन की आपूर्ति को स्थायी बनाना है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस नई पहल की चर्चा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि आइसोब्यूटेनॉल भारत के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं:
इस तरह, भारत में आइसोब्यूटेनॉल के उपयोग की दिशा में उठाए गए कदम न केवल देश के ईंधन के उपयोग को प्रभावी बनाएंगे, बल्कि प्रदूषण में भी कमी लाने में मदद करेंगे।



