ठाणे में साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़, 7 गिरफ्तार

सूची
  1. साइबर ठगी का नया तरीका
  2. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान
  3. पुलिस ने क्या बरामद किया?
  4. कैसे खुला मामला?
  5. बेरोजगारों को कैसे बनाया शिकार?
  6. गिरोह का संचालन
  7. साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता

साइबर अपराध की दुनिया में आए दिन नए तरीके और नए गिरोह सामने आते रहते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने बेरोजगार युवाओं को नौकरी के झांसे में लेकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाने का काम किया। यह गिरोह युवाओं की मासूमियत का फायदा उठाकर उन्हें ठगी का शिकार बना रहा था, जिससे लाखों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी।

साइबर ठगी का नया तरीका

ठाणे पुलिस ने गोवा से सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो बेरोजगार युवाओं को नौकरी का लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाते खोलते थे। इन खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी और ऑनलाइन गेमिंग घोटालों में किया जाता था। इस गिरोह का चौंकाने वाला तरीका यह था कि उन्होंने बेरोजगारों को मामूली पैसों का लालच देकर उनके नाम पर फर्जी खाता खोलने के लिए राजी कर लिया।

पुलिस इंस्पेक्टर अतुल अदुरकर ने बताया कि इस गिरोह में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान निम्नलिखित है:

  • आनंद अशोक मेघवानी (34, मध्य प्रदेश)
  • सौरभ शर्मा (40, छत्तीसगढ़)
  • भोला प्रदीप यादव (21, बिहार)
  • लालचंद मुखिया (25, बिहार)
  • गौरव यादव (25, बिहार)
  • रोहित यादव (21, बिहार)
  • राजकुमार यादव (21, बिहार)

इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने बेरोजगार युवाओं को ठगी का शिकार बनाया और उनके नाम से बैंक खाते खुलवाए।

पुलिस ने क्या बरामद किया?

ठाणे पुलिस ने गिरोह के पास से महत्वपूर्ण सामान बरामद किया है, जिसमें शामिल हैं:

  • 2 लैपटॉप
  • 30 मोबाइल फोन
  • 11 लोगों की पासबुक
  • एटीएम कार्ड
  • सिम कार्ड की खेप

ये सभी वस्तुएं साइबर अपराध में इस्तेमाल की जा रही थीं, जिससे धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही थी।

कैसे खुला मामला?

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक पीड़ित व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि उसके नाम से फर्जी बैंक खाता खोला गया और उससे जुड़ा सिम कार्ड साइबर धोखाधड़ी के लिए प्रयोग किया गया। गिरोह ने उसे नौकरी दिलाने का भरोसा दिया, लेकिन बाद में उसने पाया कि उसके नाम पर खोला गया खाता धोखाधड़ी के काम में इस्तेमाल किया गया।

इस प्रकार के मामलों में, युवाओं को नौकरी के नाम पर धोखा देकर उन्हें अपने जाल में फंसाया जाता था। इसके बाद, आरोपियों ने सभी दस्तावेज गोवा भेज दिए, जहां पर इनका उपयोग अवैध लेनदेन और ठगी में किया गया।

बेरोजगारों को कैसे बनाया शिकार?

गिरोह के तरीके:

  • बेरोजगारों को 5,000 रुपये देकर उनके नाम पर खाता खुलवाना।
  • एजेंटों के जरिए पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम की किट हासिल करना।
  • इन खातों का उपयोग साइबर अपराध और ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड में करना।

इस प्रकार, गिरोह ने बेरोजगारों को मामूली रकम का लालच देकर उन्हें ठगी का शिकार बना लिया। पीड़ितों की संख्या लगभग 80 बताई गई है।

गिरोह का संचालन

पुलिस ने बताया कि यह गिरोह हर 15 दिन में अपना ठिकाना बदलता था ताकि गिरफ्तारी से बचा जा सके। इसके साथ ही, पुलिस ने गोवा के एक होटल में छापा मारा और सभी सात आरोपियों को मौके पर ही पकड़ लिया।

इनकी गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि साइबर अपराध के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पुलिस की जांच जारी है ताकि और भी पीड़ितों की पहचान की जा सके और उन्हें न्याय मिल सके।

साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता

इस प्रकार के मामलों से बचने के लिए नागरिकों को जागरूक होना आवश्यक है। कुछ सुझाव जो मददगार हो सकते हैं:

  • कभी भी अनजान व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत जानकारी न दें।
  • नौकरी के ऑफर्स की सत्यता की जांच करें।
  • बैंक से संबंधित किसी भी गतिविधि की जानकारी स्वयं खोजें, न कि दूसरों पर भरोसा करें।

साइबर ठगी के मामलों में बढ़ोतरी के कारण, सरकार और पुलिस विभाग ने भी जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

इस मामले में अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं, जो साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं पर एक रोशनी डालता है:

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