बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया नाम उभर रहा है, जो चुनावी माहौल को गर्मा रहा है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर एक ऐसे नेता हैं, जो अपनी कट्टरता और स्पष्टवादी विचारों के लिए जाने जाते हैं। वे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और अपने विचारों को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी प्रभावशाली रैलियों और जनसभाओं ने बिहार के मतदाताओं का ध्यान खींचा है। आइए, जानते हैं प्रशांत किशोर के विचार और उनके चुनावी रणनीति के बारे में।
प्रशांत किशोर का चुनावी दृष्टिकोण
प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में बताया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उनका दावा है कि 90 प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे होंगे जिन्होंने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा है। इसमें डॉक्टर, वकील, समाजसेवी और बिजनेसमैन शामिल होंगे। यह बात दर्शाती है कि वे एक नई राजनीति की शुरुआत करना चाहते हैं, जिसमें योग्यताएं और क्षमता प्राथमिकता होंगी।
बीजेपी और आरजेडी पर सीधे हमले
किशोर ने चुनावी माहौल में बीजेपी और आरजेडी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, "बीजेपी बिहार में चाल, चरित्र, चेहरा की बात करती है, लेकिन उसके नेता खुद संगीन अपराधों में आरोपित हैं। आरजेडी अपहरण, रंगदारी और कट्टा कल्चर से पहचानी जाती है।" उनके इस बयान ने दोनों दलों की राजनीतिक स्थिति को चुनौती दी है।
जातिवाद और नई राजनीति की परिभाषा
जातिवाद पर किशोर ने स्पष्ट रूप से कहा कि जन सुराज का पैमाना सिर्फ योग्यता होगी। उनका मानना है कि "243 सीटों पर 243 योग्य लोग मिल सकते हैं," लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर समाज के कााबिल लोगों को प्रतिनिधित्व मिले।
- प्रशांत किशोर ने लालू यादव का नाम लेते हुए कहा कि वे जाति की राजनीति नहीं, बल्कि परिवारवाद करते हैं।
- जातिवाद को समाप्त करने के लिए वे एक नई विचारधारा की बात कर रहे हैं।
- उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने में सफल होगी।
मोदी और कट्टरता की राजनीति
किशोर ने बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे देश को दाईं ओर मोड़ रहे हैं, जिससे न केवल मुसलमानों, बल्कि हिंदुओं के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने कहा, "कट्टे और कट्टरता दोनों का जवाब गांधी और अंबेडकर के रास्ते से ही मिलेगा।" यह बयान उनकी विचारधारा को स्पष्ट करता है कि वे एक समावेशी राजनीति की हिमायत करते हैं।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर टिप्पणी
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के साथ अपने पुराने रिश्ते का जिक्र किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि "अब उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं है।" उनका मानना है कि नीतीश कुमार अब केवल अपने अस्तित्व को बनाए रखने में लगे हैं।
तेजस्वी यादव को लेकर उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सिर्फ मंत्री बनना है, जबकि जन सुराज का उद्देश्य बिहार में आमूलचूल परिवर्तन लाना है।
कांग्रेस की स्थिति और भविष्य
किशोर ने कांग्रेस को आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी करार दिया। उनका कहना है, "राहुल गांधी बड़े नेता हैं, लेकिन बिहार में कांग्रेस का वजूद आरजेडी पर निर्भर है।" उन्होंने यह भी कहा कि कन्हैया कुमार को बिहार में प्रचार की इजाज़त नहीं दी गई है क्योंकि आरजेडी नहीं चाहती कि कांग्रेस मज़बूत हो।
चुनावी मुकाबला और जन सुराज का दावा
प्रशांत किशोर ने विश्वास जताया कि जन सुराज को निर्णायक बहुमत मिलेगा। उन्होंने कहा, "जीतेगा तो जन सुराज ही। अगर हमें 60-70 सीटें भी मिलेंगी, तो हम किसी दल से गठबंधन नहीं करेंगे।" उनका यह बयान उनकी आत्मविश्वास को दर्शाता है कि उनकी पार्टी चुनाव में एक नई दिशा ले जा सकती है।
वोटर लिस्ट और चुनावी धांधली
किशोर ने बिहार में वोटर लिस्ट सुधार पर सवाल उठाए। उनका आरोप है कि सरकार और व्यवस्था मिलकर राजनीतिक लाभ के लिए वोट काट रही है। प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यक मतदाताओं को निशाना बनाकर नाम हटाए जा रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से एक वोट चोरी की कोशिश है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का उदय बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उनके विचार और दृष्टिकोण ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पार्टी चुनावों में किस तरह का प्रदर्शन करती है।
देखें प्रशांत किशोर का एक विशेष साक्षात्कार जिसमें उन्होंने बिहार की राजनीति के बारे में अपने विचार साझा किए हैं: