छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में हाल ही में एक दुखद और चौंकाने वाली घटना हुई, जिसने न केवल स्थानीय समुदाय को बल्कि पूरे देश को अचंभित कर दिया है। यह घटना एक पति के मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक तनाव के जटिल पहलुओं को उजागर करती है।
छत्तीसगढ़: पत्नी ने अंडा करी बनाने से मना किया तो पति ने लगा ली फांसी
धमतरी के संकरा गांव के एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी द्वारा अंडा करी न बनाने पर आत्महत्या कर ली। यह घटना कुछ दिन पहले घटित हुई जब पत्नी ने 'करू भात' पर्व के कारण अंडा करी बनाने से मना कर दिया।
घटना का विवरण
इस मरने वाले व्यक्ति की पहचान तिकुराम सेन के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, तिकुराम ने सोमवार शाम को बाजार से अंडा खरीदकर घर लाया और पत्नी से अंडा करी बनाने के लिए कहा। लेकिन उसकी पत्नी ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उसने बताया कि अगले दिन तीज पर्व का उपलक्ष्य है और इस धार्मिक अवसर पर वह निर्जला व्रत रखेगी। तीज के इस महापर्व में महिलाएं कड़वे व्यंजन जैसे करेला का सेवन करती हैं और अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं।
पत्नी की इस पारंपरिक प्रतिबद्धता ने तिकुराम को गुस्से में डाल दिया। वह घर से बाहर निकल गया और कुछ समय बाद उसका शव गांव के पास एक पेड़ से लटका हुआ मिला। परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया।
सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के पहलू
यह घटना केवल एक घरेलू विवाद नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और परिवारों में तनाव के गंभीर परिणामों को दर्शाती है। स्थानीय पुलिस ने बताया कि तिकुराम का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है और मामले की जांच जारी है। वे जानना चाहते हैं कि क्या आत्महत्या का कारण सिर्फ अंडा करी को लेकर विवाद था या फिर इसके पीछे कोई अन्य पारिवारिक तनाव भी था।
स्थानीय लोग बताते हैं कि तिकुराम दिहाड़ी मजदूर था और उसके परिवार में अक्सर छोटे-मोटे विवाद होते रहते थे। लेकिन इस तरह की एक छोटी सी बात पर आत्महत्या करने का निर्णय लेना पूरे गांव के लिए एक हैरानी और दुख का विषय बन गया है।
करू भात पर्व का महत्व
छत्तीसगढ़ में 'करू भात' पर्व तीज से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं कड़वे व्यंजन खाकर अगले दिन निर्जला व्रत रखती हैं। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई है, जहां महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
- महिलाएं इस दिन कड़वे भोजन का सेवन करती हैं, जैसे करेला।
- यह व्रत निर्जला होता है, यानी इसमें जल का भी सेवन नहीं किया जाता।
- यह पर्व विशेष रूप से संतान सुख और दांपत्य जीवन की सुखमयता के लिए मनाया जाता है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस घटना ने गांव के लोगों को हिला दिया है। कई स्थानीय निवासियों ने इसे एक दुखद घटना करार दिया है और इसके पीछे के सामाजिक कारणों पर चर्चा कर रहे हैं।
गांव के एक निवासी ने कहा, "यह एक छोटी सी बात थी, लेकिन इसका परिणाम इतना गंभीर हो गया। हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान निकालने की जरूरत है।" यह बयान इस बात का संकेत है कि कैसे छोटी-छोटी समस्याएं, अगर अनदेखी की जाएं, तो बड़ी त्रासदियों का कारण बन सकती हैं।
क्या किया जाए?
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक तनाव को कैसे संभालना चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- खुले संवाद को बढ़ावा देना: परिवार के सदस्यों के बीच संवाद को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।
- समस्या समाधान के लिए सहायता: अगर कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो एक हल निकालने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल: नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।
यह घटना हमें यह समझाती है कि हमें अपने करीबी रिश्तों में संवेदनशीलता और समझदारी को बनाए रखना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए, इस घटना से जुड़ा एक वीडियो देख सकते हैं: