घुसपैठियों के नाम हटाने पर चुनाव आयोग के पांच सवाल

सूची
  1. मतदाता सूची की शुद्धता के लिए उठाए गए सवाल
  2. राजनीतिक दलों की भूमिका और आपत्तियां
  3. समय सीमा और प्रक्रिया की पारदर्शिता
  4. SIR प्रक्रिया का उद्देश्य और महत्व
  5. नागरिकों की जिम्मेदारी

बिहार की चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जहां इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर नागरिकों से विचार मांगे हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। आइए, जानते हैं कि इस प्रक्रिया में क्या महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए हैं और उनका प्रभाव क्या हो सकता है।

मतदाता सूची की शुद्धता के लिए उठाए गए सवाल

इलेक्शन कमीशन ने हाल ही में पांच महत्वपूर्ण सवाल प्रस्तुत किए हैं, जिनका उत्तर हर नागरिक को देना है। इन सवालों का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है, ताकि चुनावों में सभी योग्य मतदाताओं का सही प्रतिनिधित्व हो सके। आयोग ने पूछा है:

  • 1. क्या मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए?
  • 2. क्या मृत व्यक्तियों के नाम हटाने चाहिए?
  • 3. जिनके नाम मतदाता सूची में दो या अधिक स्थानों पर हैं, क्या उनके नाम एक ही जगह पर होने चाहिए?
  • 4. जो लोग दूसरे स्थानों पर जा बसे हैं, क्या उनके नाम हटाने चाहिए?
  • 5. क्या विदेशी नागरिकों के नाम हटाने चाहिए?

इन सवालों के माध्यम से आयोग ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि नागरिक इन प्रश्नों का उत्तर हां में देते हैं, तो उन्हें मतदाता सूची को शुद्ध करने की इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।

राजनीतिक दलों की भूमिका और आपत्तियां

इलेक्शन कमीशन ने बताया कि बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से केवल दस आपत्तियां ही दर्ज की गई हैं। यह स्थिति तब है जब 12 राजनीतिक दलों के पास एक लाख 61 हजार बूथ लेवल एजेंट हैं। इसके विपरीत, आम नागरिकों और मतदाताओं ने लाखों की संख्या में संशोधन के लिए आवेदन किए हैं।

आयोग के लिए यह चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों ने आपत्तियां दर्ज कराने में इतनी कम सक्रियता दिखाई है। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दल मतदाता सूची की शुद्धता को लेकर गंभीर हैं या नहीं।

समय सीमा और प्रक्रिया की पारदर्शिता

आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार में SIR के तहत मतदाता सूची के संशोधन के लिए आवेदन देने की समय सीमा मात्र पांच दिन बची है। इस सीमित समय में, राजनीतिक दलों की भागीदारी की कमी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई और तर्कपूर्ण आदेश के हटाया नहीं जाएगा। आयोग ने यह भी कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों और बूथ लेवल एजेंट्स की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

SIR प्रक्रिया का उद्देश्य और महत्व

24 जून को शुरू हुई SIR प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करना है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में 7.24 करोड़ मतदाता शामिल होंगे।

पिछले संशोधन में लगभग 65 लाख नाम हटाए गए हैं, जिनमें:

  • 22 लाख मृत मतदाता
  • 7 लाख डुप्लिकेट नाम
  • 36 लाख ऐसे लोग जो स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं या जिनका पता नहीं चल सका

इस आंकड़े से स्पष्ट है कि मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है।

नागरिकों की जिम्मेदारी

चुनाव आयोग ने नागरिकों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की है। यदि आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप इन सवालों का उत्तर दें और सुनिश्चित करें कि आपकी आवाज सुनी जाए।

सभी नागरिकों को चाहिए कि वे अपने मतदाता की स्थिति की जांच करें और यदि आवश्यक हो, तो सुधार के लिए आवेदन करें। इस तरह, हम सभी मिलकर सुनिश्चित कर सकते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में कोई भी अयोग्य व्यक्ति शामिल न हो।

इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी के लिए देखिए यह वीडियो:

बिहार में मतदाता सूची को सही और अद्यतन करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर हम सभी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं, तो हम एक बेहतर लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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