गुजरात हाईकोर्ट में नाबालिग रेप पीड़िता ने बच्ची को जन्म दिया

सूची
  1. गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान नाबालिग ने बच्ची को जन्म दिया
  2. अस्पताल में स्वास्थ्य देखभाल और जांच
  3. अदालत के निर्देश और पुनर्वास की प्रक्रिया
  4. आर्थिक सहायता और मुआवजा

गुजरात राज्य में एक गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसमें एक 15 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता ने अदालत की सुनवाई के दौरान एक बच्ची को जन्म दिया। यह घटना न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे समाज में महिलाओं के अधिकारों और नाबालिगों की सुरक्षा के मुद्दों पर भी गहरी छाप छोड़ती है।

गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान नाबालिग ने बच्ची को जन्म दिया

अहमदाबाद की 15 वर्षीय रेप पीड़िता ने हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। यह मामला तब और संवेदनशील बन गया जब अदालत में भ्रूण के गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी। इस याचिका का उद्देश्य नाबालिग को मानसिक और शारीरिक रूप से सुरक्षित रखना था, लेकिन सुनवाई के दौरान ही नाबालिग को प्रसव पीड़ा हुई और उसने 28 अक्टूबर को बच्ची को जन्म दिया।

न्यायमूर्ति समीर दवे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गर्भपात की मांग अब "निरर्थक" हो गई है, क्योंकि नाबालिग ने बच्चे को जन्म दे दिया है। अदालत ने इसके बाद राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नाबालिग और नवजात के सभी खर्चों की जिम्मेदारी उठाए।

अस्पताल में स्वास्थ्य देखभाल और जांच

अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में नाबालिग की मेडिकल जांच अदालत के आदेश पर की गई थी। रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि गर्भ 35 सप्ताह और 3 दिन का था। नाबालिग को 25 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और 28 अक्टूबर को उसने 2.2 किलोग्राम की स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

  • नाबालिग की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल द्वारा सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ की गईं।
  • बच्ची का जन्म स्वस्थ हुआ, जो नाबालिग की मानसिक और शारीरिक स्थिति के लिए सकारात्मक संकेत है।
  • अस्पताल ने नाबालिग और नवजात के स्वास्थ्य की नियमित जांच का आदेश दिया।

अदालत के निर्देश और पुनर्वास की प्रक्रिया

कोर्ट ने नाबालिग और बच्ची के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की बात कही है। यदि नाबालिग चाहती है कि बच्ची को दत्तक दिया जाए, तो यह प्रक्रिया अहमदाबाद की किसी मान्यता प्राप्त एजेंसी के माध्यम से की जाएगी। इस प्रकार की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि बच्ची को एक सुरक्षित और प्यार भरा परिवार मिले।

बाल कल्याण समिति को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। अगर नाबालिग अपने परिवार के साथ नहीं रहना चाहती, तो उसे किसी महिला आश्रय गृह में रखा जाएगा, जहाँ उसकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।

आर्थिक सहायता और मुआवजा

अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को बच्ची के लिए अंतरिम मुआवजा तय करने और पुनर्वास की प्रक्रिया की निगरानी करने के आदेश दिए हैं। यह मुआवजा न केवल बच्ची की वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि उसे भविष्य में बेहतर अवसर भी प्रदान करेगा।

  • अंतरिम मुआवजा बच्ची की शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तय किया जाएगा।
  • पीड़िता को आवश्यक मानसिक और सामाजिक सहायता प्रदान की जाएगी।
  • सुनिश्चित किया जाएगा कि पीड़िता सामान्य जीवन की ओर लौट सके।

इस मामले ने न केवल कानूनी दृष्टिकोण से ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह समाज में नाबालिगों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर भी चर्चा का विषय बना है।

इस घटना पर अधिक जानकारी पाने के लिए, आप इस लिंक पर जा सकते हैं।

इस मामले से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए, यहाँ एक संबंधित वीडियो भी है:

इस प्रकार के मामलों में न्याय प्रणाली की भूमिका और समाज की जिम्मेदारी दोनों महत्वपूर्ण हैं। यह समय है कि हम सभी मिलकर ऐसे मामलों को रोकने और नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करें।

Go up