गणेश चतुर्थी 2025 पूजा मुहूर्त आपके शहर में गणपति स्थापना

सूची
  1. गणपति प्रतिमा की स्थापना का मुहूर्त
  2. विभिन्न शहरों में गणपति स्थापना का मुहूर्त
  3. गणेश स्थापना पूजा विधि
  4. गणेश जी की महिमा और महत्व

गणेश चतुर्थी 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में हर साल भव्यता और धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी गहरा प्रभाव रखता है। इस वर्ष, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अगस्त को है, जो इस पर्व का आरंभ करेगी। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर लाते हैं, उनकी पूजा करते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है।

गणपति प्रतिमा की स्थापना का मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति प्रतिमा की स्थापना का मुहूर्त बेहद महत्वपूर्ण होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अगस्त को गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। यह समय गणपति की स्थापना और पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। हालांकि, विभिन्न शहरों में गणेश की पूजा का मुहूर्त थोड़ा भिन्न हो सकता है।

विभिन्न शहरों में गणपति स्थापना का मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के पर्व को मनाने के लिए विभिन्न शहरों में अलग-अलग शुभ मुहूर्त हैं। यहाँ कुछ प्रमुख शहरों के लिए गणपति स्थापना का समय दिया गया है:

पुणे: सुबह 11:21 बजे से दोपहर 1:51 बजेचंडीगढ़: सुबह 11:07 बजे से दोपहर 1:42 बजे
नई दिल्ली: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजेकोलकाता: सुबह 10:22 बजे से दोपहर 12:54 बजे
चेन्नई: सुबह 10:56 बजे से दोपहर 1:25 बजेमुंबई: सुबह 11:24 बजे से दोपहर 1:55 बजे
जयपुर: सुबह 11:11 बजे से दोपहर 1:45 बजेबेंगलुरू: सुबह 11:07 बजे से दोपहर 1:36 बजे
हैदराबाद: सुबह 11:02 बजे से दोपहर 1:33 बजेअहमदाबाद: सुबह 11:25 बजे से दोपहर 1:57 बजे
गुरुग्राम: सुबह 11:06 बजे से दोपहर 1:40 बजेनोएडा: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे

गणेश स्थापना पूजा विधि

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि का पालन करना आवश्यक है। यहाँ प्रस्तुत हैं पूजा की विधि के चरण:

  • सबसे पहले घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और उसे सजावट से सुंदर बनाएं।
  • शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को एक वेदी (चौकी) पर स्थापित करें। वेदी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं।
  • पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, अक्षत (चावल) और फूल लेकर व्रत व पूजा का संकल्प करें।
  • ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए गणपति बाप्पा का आह्वान करें।
  • भगवान की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
  • इसके बाद उन्हें नए वस्त्र, पुष्प और आभूषण पहनाएं।
  • गणेश जी को उनका प्रिय भोग मोदक और लड्डू चढ़ाएं। साथ ही दूर्वा घास, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें।
  • अंत में पूरे परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

गणेश जी की महिमा और महत्व

भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धि विनायक” का स्वरूप माना गया है। उनकी आराधना से न केवल भौतिक समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि मानसिक शांति और सुख-शांति भी मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन उनकी आराधना करने से हर कार्य में सफलता और समृद्धि मिलती है।

गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक है, बल्कि यह समाजिक एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। इस अवसर पर लोग मिलकर सामूहिक रूप से पूजा करते हैं, जिससे आपसी स्नेह और एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

गणेश चतुर्थी पर आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन होता है, जिससे समाज में खुशहाली का संदेश फैलता है। इस पर्व का आनंद लेने के लिए लोग एक साथ मिलकर तैयारी करते हैं, जो कि समाज के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

गणेश चतुर्थी 2025 के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों और पूजा की विधियों के बारे में और अधिक जानने के लिए इस वीडियो को देखें:

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