गणेश चतुर्थी 2025: गणेश महोत्सव की शुरुआत और पूजा विधि

सूची
  1. गणेश स्थापना और पूजा का मुहूर्त
  2. गणेश स्थापना की पूजा विधि
  3. गणेश चतुर्थी 2025 की पूजा विधि
  4. गणपति जी का प्रिय भोग

गणेश चतुर्थी का पर्व हर वर्ष भक्तों के बीच एक विशेष उल्लास लेकर आता है। इस बार, यह महोत्सव 27 अगस्त से शुरू हो रहा है और 6 सितंबर तक चलेगा। इस अवसर पर, लोग अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमा स्थापित करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह 10 दिवसीय महोत्सव न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि समृद्धि और खुशहाली का भी आह्वान करता है। आइए जानते हैं कि गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त और उचित पूजा विधि क्या है।

गणेश स्थापना और पूजा का मुहूर्त

गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष, यह तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:53 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 3:43 बजे तक रहेगी। इस दौरान गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

  • पहला शुभ मुहूर्त: 27 अगस्त को सुबह 11:01 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक।
  • दूसरा शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:39 बजे से शाम 6:05 बजे तक।

गणपति की पूजा के लिए भी एक विशेष समय है, जो सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी माना जाता है।

गणेश स्थापना की पूजा विधि

गणेश स्थापना की पूजा विधि को ध्यानपूर्वक करना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल हैं:

  1. सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें और उसे फूल, रंगोली और सजावटी वस्तुओं से सजाएं।
  2. शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें।
  3. चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं।
  4. पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, अक्षत (चावल) और फूल लेकर व्रत व पूजा का संकल्प करें।
  5. 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए गणपति बाप्पा का आह्वान करें।
  6. भगवान की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
  7. इसके बाद उन्हें नए वस्त्र, पुष्प और आभूषण पहनाएं।
  8. गणेश जी को उनका प्रिय भोग मोदक और लड्डू चढ़ाएं।

गणेश चतुर्थी 2025 की पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नान कर पूजा स्थल को स्वच्छ करें। इसके बाद, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में चौकी स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करें। मूर्ति शुद्ध सामग्री जैसे पीतल, कांस्य, लकड़ी या पत्थर से बनी होनी चाहिए। विधिपूर्वक गणपति की पूजा-अर्चना करें। प्रतिदिन गणेश जी की उपासना करते रहें। अंतिम दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ गणपति विसर्जन करें।

गणपति जी का प्रिय भोग

भगवान गणेश को चढ़ाए जाने वाले भोग में कुछ विशेष चीजें शामिल हैं, जो उनकी पसंदीदा होती हैं:

  • लड्डू: गणेश जी को लड्डू अर्पित करना शुभ माना जाता है। आप बेसन या बूंदी के लड्डू चढ़ा सकते हैं।
  • मोदक: गणेश जी का प्रिय भोग मोदक है। पुराणों में उल्लेख है कि बचपन में गणेश जी अपनी माता पार्वती द्वारा बनाए गए मोदक को तुरंत ही खा जाते थे।
  • दूर्वा घास: यह गणेश जी को विशेष रूप से प्रिय होती है और इसे चढ़ाने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
  • लाल फूल: लाल रंग के फूल भी भगवान को चढ़ाने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।

इन भोगों के साथ, नियमित पूजा करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर, आप निम्नलिखित वीडियो को देख सकते हैं जो इस पर्व से संबंधित विशेष जानकारी प्रदान करता है:

गणेश चतुर्थी एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है, बल्कि सामाजिक समरसता को भी प्रोत्साहित करता है। इस दौरान भक्ति, सेवा, और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है, जिससे समाज में एकता का संचार होता है। आप भी इस अवसर का लाभ उठाकर भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को खुशियों से भरें।

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