गणेश चतुर्थी 2025: गणेश पूजन से शुभ कार्य की शुरुआत क्यों होती है

सूची
  1. भगवान शिव ने शुरू की थी यह अनोखी प्रतियोगिता
  2. गणेश जी की अद्भुत सोच
  3. भगवान शिव का निर्णय
  4. गणेश जी का महत्व और पूजा का लाभ
  5. गणेश चतुर्थी का पौराणिक महत्व
  6. गणेश जी की स्थापना कब होगी 2025 में?
  7. चतुर्थी का चाँद क्यों नहीं देखना चाहिए?

Ganesh Chaturthi 2025: इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025, बुधवार से प्रारंभ होगा और इसका समापन 8 सितंबर, सोमवार को होगा। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले गणपति बप्पा का स्मरण किया जाता है। लोग शुभारंभ से पहले 'श्रीगणेशाय नमः' लिखते हैं, संकल्प करते हैं और उनके नाम का उच्चारण करके कार्य आरंभ करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसके पीछे का कारण और पौराणिक रहस्य बहुत कम लोग जानते हैं।

गणेश जी की पूजा को सर्वोपरि मानने का एक गहरा तात्पर्य है, जो न केवल धार्मिक मान्यता है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम क्यों की जाती है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।

भगवान शिव ने शुरू की थी यह अनोखी प्रतियोगिता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार सभी देवताओं के बीच यह विवाद हुआ कि मनुष्य लोक में सबसे पहले किस देवता की आराधना होनी चाहिए। हर देवता अपने-आपको श्रेष्ठ बताने लगा। यह स्थिति गंभीर होती देख नारद मुनि ने देवताओं को सलाह दी कि वे भगवान शिव के पास जाकर इस मसले को सुलझाएं।

जब सभी देवता कैलाश पहुंचे, तो शिवजी ने झगड़े को सुलझाने के लिए एक अनोखी प्रतियोगिता का आयोजन किया। उन्होंने कहा, 'तुम सब अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करो। जो सबसे पहले लौटकर आएगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा।'

गणेश जी की अद्भुत सोच

प्रतियोगिता शुरू होते ही सभी देवता अपने-अपने वाहनों के साथ ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। गणेश जी भी इस प्रतियोगिता का हिस्सा बने, लेकिन वे बाकी देवताओं की तरह वाहन लेकर नहीं गए। उनकी सोच थी कि उनके माता-पिता ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड हैं। शिव और पार्वती का पूजन समस्त लोकों के पूजन के समान है।

इस सोच के तहत, उन्होंने अपने माता-पिता की सात परिक्रमा की और उनके चरणों में विनम्रता से खड़े हो गए। यह उनकी बुद्धि और भक्ति का प्रतीक था, जिसने उन्हें अन्य देवताओं से अलग रखा।

भगवान शिव का निर्णय

जब बाकी देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा करके लौटे, तो उन्होंने देखा कि गणेश जी पहले से शिव-पार्वती के सामने खड़े हैं। भगवान शिव ने सभी देवताओं को बताया कि गणेश जी इस प्रतियोगिता के विजेता हैं और अब से हर शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाएगी।

देवता हैरान हुए और कारण पूछा। तब भगवान शिव ने समझाया, 'माता-पिता समस्त लोकों और समस्त देवताओं से भी श्रेष्ठ स्थान रखते हैं। गणेश ने अपनी बुद्धि और भक्ति से यह सिद्ध किया है। इसलिए वही सर्वप्रथम पूज्य होंगे।'

गणेश जी का महत्व और पूजा का लाभ

तभी से गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' का दर्जा मिला था। माना जाता है कि यदि किसी भी कार्य की शुरुआत में उनका स्मरण किया जाए, तो सारी बाधाएँ दूर होती हैं और कार्य सफल होता है। गणपति का पूजन न केवल विघ्न दूर करता है, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।

  • सुख और समृद्धि: गणेश जी की पूजा से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
  • विघ्नों का नाश: कार्य में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
  • शांति का अनुभव: मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गणेश चतुर्थी का पौराणिक महत्व

गणेश चतुर्थी केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक भी है। इस दिन, भक्त गणेश जी की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं और पूरे श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी प्रतीक है।

गणेश चतुर्थी के दौरान आयोजित भव्य समारोह, जैसे झांकियां और मूर्ति विसर्जन, लोगों को एक साथ लाते हैं और सामूहिकता का अनुभव कराते हैं।

गणेश जी की स्थापना कब होगी 2025 में?

गणेश चतुर्थी 2025 में 27 अगस्त को आरंभ होगी। इस दिन भक्त गणेश जी की मूर्तियाँ अपने घरों में स्थापित करेंगे और उनकी पूजा-अर्चना करेंगे। इस दिन से लेकर 8 सितंबर तक, भक्तजन विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और धार्मिक कार्य करेंगे।

गणेश जी की स्थापना के समय भक्तजन विशेष मंत्रों का जाप करते हैं, जैसे 'ॐ गण गणपतये नमः'। यह मंत्र गणेश जी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है।

चतुर्थी का चाँद क्यों नहीं देखना चाहिए?

गणेश चतुर्थी के दौरान चतुर्थी तिथि को चाँद देखने की निषेधता का एक पौराणिक कारण है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि इस दिन चाँद को देखा जाए, तो यह संयोग और सौभाग्य के लिए अशुभ माना जाता है।

कथा के अनुसार, एक बार चाँद ने गणेश जी का अपमान किया था, जिसके फलस्वरूप गणेश जी ने यह निश्चय किया कि चतुर्थी के दिन चाँद को देखने पर बुरा फल प्राप्त होगा। इसलिए भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे चतुर्थी के दिन चाँद की ओर न देखें।

गणेश चतुर्थी का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का भी अनमोल हिस्सा है। इस पर्व के माध्यम से हम अपने जीवन में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।

इस प्रकार, गणेश चतुर्थी का पर्व हमें न केवल गणेश जी की आराधना करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह हमारी आस्था और विश्वास को भी मजबूत करता है।

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